Hindi Newsबिहार न्यूज़Nitish faces threat of opposition from Jeevika Didis in Yatra core women voter of JDU

सरकार से नाराज हैं नीतीश की जीविका दीदियां, यात्रा के दौरान कोर वोटर का विरोध झेलने का खतरा

  • बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महिला संवाद कार्यक्रम के जरिए 15वीं यात्रा पर निकल रहे नीतीश कुमार को मानदेय बढ़ाने और स्थायी कर्मचारी का दर्जा देने जैसी मांगों को लेकर जीविका दीदियों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।

Ritesh Verma हिन्दुस्तान, विजय स्वरूप, पटनाMon, 2 Dec 2024 07:03 PM
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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अपनी कोर वोटर महिलाओं का मन-मिजाज समझने के लिए बिहार की यात्रा पर निकल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कुछ जगहों पर जीविका दीदियों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। जीविका दीदियां नीतीश के अच्छे-बुरे राजनीतिक दौर में उनके साथ टिकी रही हैं जो उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को मिली चुनावी सफलता की एक वजह है। नीतीश कुमार 15 दिसंबर को पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि नगर से अपनी 15वीं बिहार यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं। राज्य सरकार ने इसके लिए 225 करोड़ का बजट मंजूर किया है।

शराबबंदी, छात्राओं की मदद के लिए कई तरह की योजनाओं के साथ-साथ स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सबल बनाने की नीतीश की कोशिशों का नतीजा है कि राज्य की आधी आबादी के बीच उनकी टक्कर का कोई नेता नहीं है। राज्य में करीब 48 फीसदी वोटर महिलाएं हैं जिनको सरसरी तौर पर नीतीश का कोर वोटर माना जाता है। बिहार में 10.55 लाख से ऊपर स्वयं सहायता समूह (सेल्फ हेल्प ग्रुप) काम कर रहा है जिसके साथ राज्य की 1.21 करोड़ महिलाएं सीधे तौर पर जुड़ी हैं। इन महिलाओं को जीविका दीदी के नाम से जाना जाता है। महिलाओं को रोजगार के जरिए खुद के पैर पर खड़ा करने की कोशिश के तहत कौशल विकास से लेकर कर्ज और बाजार तक सरकार इनकी मदद करती है।

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जीविका दीदियां पिछले कुछ समय से कई तरह की मांगों को लेकर आंदोलन कर रही हैं। मानदेय सबसे बड़ा मसला है जिसे श्रम कानूनों के आधार पर बढ़ाकर न्यूनतम 13 हजार से अधिकतम 25 हजार रुपये करने की मांग हो रही है। जीविका दीदियां मानदेय की रकम सीधे अपने खाते में मांग रही हैं और कह रही हैं कि उन्हें पहचान पत्र (आईडी कार्ड), ड्रेस और मोबाइल फोन दिया जाए। जीविका दीदियों की शिकायत है कि उनके ऊपर के अधिकारी उन्हें धमकाते हैं जिससे छुटकारा दिलाने के लिए उन्हें स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। इनके अलावा भी और कुछ मांगें हैं।

भागलपुर में जीविका की एक कोर्डिनेटर अनिता कुमारी सिन्हा कहती हैं कि भागलपुर और दूसरे जिलों में जीविका दीदियां मुख्यमंत्री के महिला संवाद कार्यक्रम का विरोध करेंगी। वो कहती हैं कि हमसे वोटर पहचान पत्र बनवाया जाता है, गांवों में शौचालय निर्माण की निगरानी करवाई जाती है, वृक्षारोपण, आधार कार्ड से जुड़े काम करवाए जाते हैं। कोई भी काम आता है तो हम पर थोप दिया जाता है। इन सबके बाद भी अगर हम ये अतिरिक्त काम करने के कारण मीटिंग में ना जा पाएं तो हमें सेल्फ हेल्फ ग्रुप से निकालने की धमकी दी जाती है।

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नौगछिया की जीविका दीदी कंचन कुमारी कहती हैं- “हम महिलाओं को आजीविका से जोड़ते हैं। हम महिलाों को सब कुछ सिखाते हैं। ये हमारा काम है कि हम मुख्यमंत्री के काम का प्रचार-प्रसार करें। और इसके बदले हमें 2000 रुपये मानदेय मिलता है। इतने पैसे में हम कैसे काम करेंगे। कई साल से हम लोग पैसा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। अगर 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले जीविका दीदियों की मांगें नहीं पूरी हुईं तो नीतीश सरकार को हार का सामना करना होगा।”

पिछले शुक्रवार को खत्म हुए बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भी हजारों जीविका दीदियां पटना पहुंच गई थीं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। जीविका दीदियों का गुस्सा इस बात से और बढ़ गया है कि नीतीश के महिला संवाद कार्यक्रम के लिए सरकार ने 225 करोड़ का बजट रखा है। अनिता सिन्हा कहती हैं- “सरकार के पास इसके लिए पैसे हैं लेकिन हमारे लिए नहीं हैं।”

नीतीश के महिला वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में विपक्ष

विपक्षी महागठबंधन और खास तौर पर वामपंथी दलों को नीतीश के महिला वोट बैंक में सेंधमारी का मौका दिखा है और वो इसे भुनाने में जुट गया है। सीपीआई-एमएल के मीडिया प्रभारी परवेज कुमार कहते हैं कि लेफ्ट निश्चित रूप से उनका समर्थन करेगा। परवेज ने कहा कि इस सरकार ने ना सिर्फ जीविका दीदियों को ठगा है बल्कि आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ भी धोखा किया है। सीपीआई-माले की ट्रेड यूनियन एआईटीयू ने जीविका कैडर संघ में भी जगह बनाई है। महागठबंधन और राजद के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने हाल में संपन्न विधानसभा उपचुनाव में भी जीविका दीदियों के मसले को उठाया था।

जीविका दीदियां बंटी हैं, टूटी नहीं

मुजफ्फरपुर की जीविका दीदी मीना देवी कहती हैं कि कुछ नेता हमारे काम पर राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये सच है कि जीविका दीदियां मानदेय बढ़ाने की मांग कर रही हैं लेकिन कुछ राजनेता उनको बहका रहे हैं। मीना देवी ने पंचायत चुनाव लड़ा था और चार वोट से हार गई थीं। शराबबंदी को लेकर आंदोलन के दौरान उन पर तलवार से हमला हुआ था। वो कहती हैं- “आज कोई हमें ये नहीं कह सकता कि ये करना है या ये नहीं करना है। हम अच्छा और बुरा तय करने में खुद सक्षम हैं। सरकार की मदद से हम आत्मनिर्भर हैं। हम जीविका के साथ हैं। हम लोग चुपचाप फैसला करते हैं।”

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जीविका दीदियों के आंदोलन के जरिए विपक्ष की महिलाओं में पैठ बढ़ाने की कोशिश से भाजपा बहुत चिंतित नहीं है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमीन पर लाभ पहुंचाने के लिए लगातार काम किया है। बिहार में जीविका दीदियों की वजह से वंचित तबके को आर्थिक सबलता मिल रही है। अगर कोई और सरकार होती या आरजेडी का शासन होता तो इस योजना को इतनी सफलता नहीं मिलती। एनडीए सरकार ने सुनिश्चित किया है कि जीविका एक आंदोलन बन जाए जिससे विपक्षी दल जल रहे हैं।

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