सियासी जंग : बदल गए साथी, बदला माहौल, अब बदला-बदला रहेगा नजारा
विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। आचार संहिता लगने के साथ ही चुनाव कार्यक्रम घोषित हो चुका है। गत विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी नवादा में पहले चरण में चुनाव होंगे। इसको लेकर जिले में सियासी...
नवादा। राजेश मंझवेकर
विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। आचार संहिता लगने के साथ ही चुनाव कार्यक्रम घोषित हो चुका है। गत विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी नवादा में पहले चरण में चुनाव होंगे। इसको लेकर जिले में सियासी सरगर्मियां काफी तेज हो गई हैं। कोरोना काल में इस साल विधानसभा चुनाव होगा। इस कारण एक अलग ही नजारा रहेगा। इसके अलावा राजनीतिक माहौल भी बदला-बदला रहने वाला है। विगत पांच साल में कई की आस्था बदल जाने तथा इस पाले से उस पाले में चले जाने की उठापटक के बाद सभी विधानसभा सीटों पर एक रोचक परिदृश्य रहने वाला है। इस बार जिले की सभी विधानसभा सीट पर लड़ाई रोचक रहने के आसार हैं।
अब तक राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं किए जाने से पार्टी के कार्यकर्ता असमंजस में हैं, लेकिन अगले एक-दो दिनों में सब कुछ साफ हो जाने की उम्मीद भी बनी हुई है। इसको लेकर अब तक जारे कयासों और दावों का दौर चरम पर है। वहीं, टिकट के दावेदार नेता पटना में कैंप कर अपने राजनीतिक आकाओं के सहारे टिकट लेने की जुगाड़ में लगे हैं। जब तक टिकट कन्फर्म नहीं होता है, तब तक कोई भी दावेदार खुलकर चुनावी संग्राम में सामने नहीं आ रहा है।
सीटिंग सीट पर बहुत जिच नहीं, सामने वाले का तनाव बरकरार
सीटिंग सीट को लेकर बहुत जिच नहीं है। जिले के पांचों विधानसभा सीट पर जिस दल के विधायक हैं, वह अपनी सीट और अपना टिकट कन्फर्म मान कर चल रहे हैं। हालांकि अभी भी कई तरह की खींचतान दिख रही है। कहीं नए दावेदार सामने हैं तो कहीं दल और आस्था बदल जाने के बाद नया नजारा है। इसी के ईद-गिर्द सभी संभावितों की तैयारियां चल रही हैं, जबकि पार्टी कार्यकर्ता आलाकमान के निर्देश की प्रतीक्षा में हैं। हिसुआ और वारिसलीगंज सीट पर भाजपा के वर्तमान विधायकों का टिकट कन्फर्म माना जा रहा है। वहीं नवादा और गोविंदपुर में जदयू जबकि रजौली में राजद का दावा पुख्ता है। शेष, सब कुछ इसी के इर्द-गिर्द रहने का अनुमान है।
नवादा विधानसभा सीट पर जदयू का दावा
नवादा विधानसभा सीट पर जदयू के विजेता विधायक का दावा पुख्ता है। एनडीए पक्ष से इसमें कोई फेरबदल की संभावना शून्य है। उनके सामने राजद का उम्मीदवार महागठबंधन से उतारे जाने की भी लगभग पूरी तैयारी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेसी खेमा भी नवादा को राजद का सीट स्वीकार करता दिख रहा है। ऐसे में इस सीट पर जदयू और राजद उम्मीदवार का आमना-सामना तय लग रहा है। अन्य उम्मीदवारों का नाम सामने आने के बाद आगे यह स्पष्ट होगा कि कौन इस मुकाबले को और कितना रोचक बना सकता है।
हिसुआ विधानसभा सीट भाजपा के लिए सुरक्षित
हिसुआ विधानसभा सीट भाजपा के वर्तमान विधायक के लिए सुरक्षित माना जा रहा है। विगत तीन टर्म से जारी उनका प्रदर्शन उनकी टिकट की राह को बिल्कुल आसान बनाएगा, ऐसा जानकारों का मानना है। इस सीट पर महागठबंधन से कांग्रेस का दावा माना जा रहा है। यूं तो राजद के पक्षकार सीटों को लेकर कुछ भी बोलने से परहेज करते दिख रहे हैं, लेकिन उनका साथी कांग्रेस बहुत क्लीयर दिख रही है। हिसुआ सीट पर कांग्रेसी दावेदारी और तैयारी इस बात को मजबूती देती भी है।
वारिसलीगंज सीट पर भी हिसुआ जैसा माहौल
वारिसलीगंज विधानसभा सीट पर भी एनडीए का भाजपा घटक टिकट को लेकर बहुत आश्वस्त है। भाजपा-जदयू के समझौते और विजेता को टिकट देने की नीति के लिहाज से इस सीट पर यथावत स्थिति रहने की पूरी गुंजाइश है। जबकि हिसुआ की मानिन्द यहां भी कांग्र्रेस की दावेदारी और तैयारी काफी पुख्ता दिख रही है। कांग्रेस अपना दावा इन्हीं दो सीटों पर कर रही है और बहुत आश्वस्त भी दिख रही है। बहुत उलट-पलट की संभावना सामान्यत: नहीं दिख रही है।
रजौली का मामला अब भी संशयभरा
रजौली विधानसभा सुरक्षित सीट का मामला एनडीए के लिए अभी भी संशयभरा है। एनडीए के दोनों घटक दल अपने-अपने तर्कों से अपना दावा कर रहे हैं। भाजपा इस सीट पर विजेता रह चुकी है, लेकिन गत विधानसभा चुनाव में उसे राजद से पटखनी खानी पड़ी थी। हालांकि भाजपा का अपनी परम्परागत सीट होने का दावा अब भी है, लेकिन पिछली शिकस्त के आधार पर जदयू इस सीट पर अपनी उपस्थिति चाहती है। महागठबंधन में यह सीट राजद को मिलना तय जाना जा रहा है, क्योंकि यहां से उन्हीं की पार्टी का विधायक है।
गोविंदपुर सीट पर असमंजस बरकरार
गोविंदपुर सीट बहुत आसान नहीं दिख रहा। यहां अब तक असमंजस बरकरार है। दबी जुबान में भाजपा गोविंदपुर सीट को भी अपना बता रही है। चूंकि पिछली बार महज चार हजार वोट से भाजपा की उम्मीदवार यह सीट हार गयी थीं। उस वक्त महागठबंधन के साथी कांग्रेस की उम्मीदवार उनके खिलाफ चुनाव मैदान में थीं। इस बार दोनों एनडीए के साथ हैं। वहां की विधायक अभी कुछ समय पूर्व ही जदयू में शामिल हुईं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि उनका जदयू से टिकट पक्का है। वहीं इस सीट पर तीसरे नंबर पर रहने वाले रालोसपा नेता इस बार राजद में आ गए हैं। राजनीतिक प्रेक्षक मान कर चल रहे हैं कि उनका राजद में आना ही बता रहा है कि वह यहां से चुनाव लड़ेंगे।
पूरे परिदृश्य से लोजपा गायब
अभी तक की जो स्थिति सामने है, उसमें लोजपा पूरे परिदृश्य से गायब दिख रही है। लोजपा की जिला इकाई भंग रहने से पार्टीजन कुछ भी कहने से बचते दिख रहे हैं। ले-दे कर सभी की निगाहें अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा पर लगी है। उनकी घोषणा के बाद ही स्पष्ट होगा कि लोजपा एनडीए का घटक दल बनी रहती भी है या अलग राह पकड़ेगी। इसके बाद ही नवादा जिले में लोजपा का दावा स्पष्ट हो सकेगा। साथ ही लोजपा का राजनीतिक भविष्य भी तय हो पाएगा।
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