Hindi Newsबिहार न्यूज़नवादाKarwa Chauth Celebrated by Married Women for Husband s Long Life and Happy Marital Life

करवा चौथ : चांद देख कर सुहागिनों ने ली पति की बलाएं

नवादा में रविवार को सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। यह निर्जला उपवास कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया गया। चंद्रमा के...

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाMon, 21 Oct 2024 03:06 PM
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नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। जिले भर में रविवार को सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। सुहागिन महिलाओं के लिए विशिष्ट त्योहार करवा चौथ का निर्जला व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि रविवार को मनाया गया। रविवार की सुबह 6.46 बजे से शुरू हो कर यह तिथि अगले दिन 21 अक्तूबर की सुबह 4.16 बजे खत्म हो रही है। रविवार को सूर्योदय 6.25 बजे हुआ, उस समय से ही यह व्रत शुरू हो गया। इसका समापन चंद्रमा को अर्घ्य देने और विधिपूर्वक पूजन के बाद हुआ। पूजन का शुभ मुहूर्त का खास ध्यान रखते हुए शाम 5.46 बजे से लेकर शाम 7.02 बजे तक सुहागिन महिलाओं ने पूजा संपन्न की ताकि पूजन का फल कई गुणा ज्यादा मिले। चांद का हुआ दीदार तो पति का मुखड़ा देख पूजा की पूरी चांद देख कर सुहागिनों ने अपने-अपने पति की बलाएं लीं। करवा चौथ पर रविवार की देर शाम सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग में सुहागिनों ने व्रत का विधान पूरा किया। व्यतिपात योग का भी शुभ प्रभाव पड़ने से करवा चौथ सुहागिनों के लिए खास रहा। चंद्रमा के साथ-साथ शिव-पार्वती सहित गणेशजी की पूजा व्रतियों ने सायंकाल में की। मंगल ग्रह के स्वामी देव सेनापति कार्तिकेय की भी पूजा का विधान सुहागिनों ने पूरा किया। 13 घंटे 10 मिनट का व्रत सुहागिन व्रतियों ने रखा और इस दरम्यान सभी ने निराहार व निर्जल व्रत रखा, जिसका संकल्प रविवार की अहले सुबह सभी ने ले रखा था। व्रत करने वाली महिलाओं ने प्रात: उठकर अपने घर की परम्परा के अनुसार सरगही आदि ग्रहण किया। अहले सुबह ही स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया। दिन भर के निर्जला उपवास के बाद शाम के समय तुलसी के पास बैठकर दीपक प्रज्जवलित कर करवाचौथ की व्रत कथा पढ़ा अथवा श्रवण किया। चंद्रमा निकलने से पहले ही एक थाली में धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिष्ठान आदि रख कर तैयारी पूरी कर ली गई थी जबकि मिट्टी के बने करवा में चावल या फिर चिउड़ा आदि भरकर उसमें दक्षिणा के रूप में कुछ धन रखा गया। एक थाली में शृंगार का सामान भी रखा गया। चंद्रमा का इंतजार हुआ खत्म तो शुरू की पूजा चंद्रमा निकलने के बाद चंद्र दर्शन कर सुहागिनों ने पूजन आरंभ किया। सभी देवी-देवताओं का तिलक करके फल-फूल मिष्ठान आदि अर्पित कर शृंगार के सभी सामान को भी पूजा में रखा गया तथा इन्हें टीका लगाया। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दे कर छलनी में दीप जलाकर चंद्र दर्शन कर छलनी से ही अपने पति का मुखड़ा देखने का विधान पूरा किया। इसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण व्रत का पारण किया। पूजन के बाद अपने घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद ले कर सुहागिनों ने विधान पूर्ण किया। पूजन में प्रयोग की गई शृंगार की सामग्री और करवा को अपनी सास या फिर किसी सुहागिन स्त्री को देने का विधान भी सुहागिनों ने पूरा किया।

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