जितिया 25 को, संतान की दीर्घायु के लिए माताएं करेंगी निर्जला व्रत
जितिया व्रत इस साल 25 सितंबर को रखा जाएगा। माताएं अपने संतान की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत करेंगी और भगवान जीमूतवाहन की पूजा करेंगी। व्रत की तैयारी में महिलाएं जुट गई हैं। नहाय-खाय 24 सितंबर से शुरू...
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। जितिया व्रत इस साल 25 सितम्बर बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन माताएं अपने संतान की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत करेंगी और भगवान जीमूतवाहन की पूजा कर मनोकामना सिद्धि की प्रार्थना करेंगी। भगवान जीमूतवाहन की व्रत कथा सुनने के बाद ही पूजा संपन्न होगा। जितिया की तैयारी में जिले की श्रद्धालु महिलाएं जुट गई हैं। 24 सितम्बर को नहाय-खाय के साथ व्रत का आरम्भ हो जाएगा। आल-औलाद से भरपूर सुखमय जीवन की कामना को लेकर किए जाने वाले जितिया व्रत को लेकर जितिया गथाने से लेकर अन्य सारी तैयारी में महिलाएं जुटी दिख रही हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत यानी कि जितिया व्रत का हिंदू धर्म में खास महत्व माना जाता है। इस बहुत ही कठिन व्रत के क्रम में व्रती महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए बिना अन्न जल ग्रहण किए 24 घंटे तक रहती हैं। अपनी संतान के बेहतर स्वास्थ्य और सफलता की कामना करती हैं। मंगलवार से आरंभ हो जाएगा जितिया व्रत जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। शहर के ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र झा ने बताया कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि इस बार 24 सितंबर को दोपहर में 12 बजकर 38 मिनट पर लग जाएगी। 25 सितंबर को आद्रा नक्षत्र रात के 3:30 बजे तक पड़ रहा है, इसलिए इस दिन व्रत करना बहुत ही शुभ रहेगा। बुधवार की शाम में जिउतिया शुभ मुर्हूत (लाभ) दोपहर एक बजे से संध्या 04 बजे तक है। तिथि और मुहूर्त की इस स्थिति के कारण इस वर्ष 24 सितम्बर मंगलवार को जितिया का नहाय-खाय होगा जबकि जितिया का व्रत रखने वाली माताएं उदया तिथि के कारण 25 सितम्बर बुधवार को पूरे दिन और पूरी रात व्रत रखके अगले दिन यानी कि 26 सितम्बर गुरुवार को व्रत का पारण करेंगी। इसका विधिवत पारण सुबह 04 बजकर 35 मिनट से सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक किया जाएगा। जितिया व्रत का है काफी महत्व जितिया व्रत प्रमुख रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश की कुछ हिस्सों में रखा जाता है। माताएं संतान के लिए निर्जला व्रत करके भगवान जीमूतवाहन की विधि विधान से पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपकी संतान के ऊपर से हर प्रकार का संकट टल जाता है। इस व्रत को महिलाओं को हर साल करना होता है और बीच में कभी छोड़ा नहीं जाता। पंडित धर्मेन्द्र झा ने बताया कि जितिया व्रत की विधिपूव्रक पूजा काफी फलदाई होती है। जीवित्पुत्रिका व्रत को करने के लिए महिलाएं सुबह ही स्नान करने के बाद व्रत करने का संकल्प लेती हैं और गोबर से लीपकर पूजास्थल को साफ कर देती हैं। उसके बाद महिलाएं वहां पर एक छोटा सा कच्चा तालाब बनाकर उसमें पाकड़ की डाल लगा देती हैं। तालाब में भगवान जीमूतवाहन की प्रतिमा स्थापित करते हैं। इस प्रतिमा की धूप-दीप, अक्षत, रोली और फूलों से पूजा की जाती है। इस व्रत में गोबर से चील और सियारिन की मूर्तियां भी बनाई जाती हैं। इन पर सिंदूर चढ़ाया जाता है और उसके बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनाकर पूजा को सम्पन्न किया जाता है।
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