मच्छरजनित रोगों का बढ़ा प्रकोप, कालाजार रोगियों की खोज शुरू
जिले में मच्छरजनित रोगों का प्रकोप बढ़ गया है। इन रोगों से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कार्यक्रम शुरू किया है। जिला के छह प्रखंड, जहां कालाजार रोग के मरीज मिलते हैं, आशा कार्यकर्ताओं द्वारा रोगी...
जिले में मच्छरजनित रोगों का प्रकोप बढ़ गया है। इन रोगों से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कार्यक्रम शुरू किया है। जिला के छह प्रखंड, जहां कालाजार रोग के मरीज मिलते हैं, आशा कार्यकर्ताओं द्वारा रोगी खोज अभियान चलाने को निर्देश दिया गया है। 02 सितंबर तक कालाजार रोगी खोज अभियान चलेगा। अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार पीड़ित रोगियों की पहचान कर रही है। इस दौरान कालाजार बीमारी से पीड़ित मरीजों की खोज कर स्थानीय पीएचसी में इलाज कराया जाएगा। अभियान को लेकर बिहार स्वास्थ्य विभाग के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. एमपी शर्मा ने पत्र जारी करके जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. वीरेन्द्र कुमार को अभियान की निगरानी का निर्देश दिया है।
पंचायत प्रतिनिधियों को भी फैलानी है जागरूकता
कालाजार रोगी खोज अभियान में जिलास्तर पर वीडीसीओ, डीपीओ, डीसीएम एवं कालाजार सलाहकार सहायक की भूमिका में होंगे। आशा कार्यकर्ताओं के कार्यों का मॉनिटरिंग आईसीडीएस की महिला पर्यवेक्षिकाएं करेंगी। इधर, कालाजार प्रभावित गांवों में रोगी की खोज के लिए पंचायत के मुखिया को भी सहायता देनी है। मुखिया व ग्राम पंचायत से जुड़े प्रतिनिधि अधिकाधिक नागरिकों को बीमारी के बारे में जागरूक करेंगे और घर-घर खोज में रोगियों की पहचान करने में सहायता पहुंचाएंगे। अभियान के पर्यवेक्षण की जिम्मेवारी पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम व अन्य स्वास्थ्य अधिकारी को सौंपी गई हैं।
सदर सहित छह प्रखंडों में चल रहा अभियान
जिला के सदर प्रखंड सहित रोह, काशीचक, वारिसलीगंज, गोविंदपुर और मेसकौर प्रखंड में कालाजार रोगी अभियान चलाया जा रहा है। जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन प्रखंडों के कई गांवों को कालाजार प्रकोप वाले गांवों के रुप में चिन्हित किया गया है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. वीरेंद्र ने बताया कि दो सप्ताह से अधिक बुखार रहना, जिगर और तिल्ली बढ़ना जैसे लक्षण कालाजार के हैं। पीड़ित व्यक्तियों की पहचान कर आरके-39 किट से जांच के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर किया जाना हैं। ऐसे मरीज, जिन्होंने पहले मलेरिया की दवा अथवा एंटीबायोटिकि दवा का सेवन किया हो और इसके बाद भी बुखार ठीक न हुआ हो, भूख की कमी और उदर बड़ा होने जैसे लक्षण हों, तो उनके इलाज की व्यवस्था की जाएगी।
आशा को 02 सौ से 250 घरों के सर्वे की मिली है जिम्मेवारी
जिन घरों में कालाजार के मामले मिले हैं, उन घर के चारों दिशा में स्थित 50-50 घरों में रोगियों की खोज करनी है। एक आशा को लगभग 200 से 250 घरों का सर्वे करके रोगियों की पहचान करनी हैं। छह प्रखंडों के विभिन्न गांवों में मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए दवा का छिड़काव भी कराया जा रहा है। वीबीसीडीओ ने बताया कि प्रभावित गांवों में फॉगिंग भी करायी जा रही है। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को बीमारी के लक्षण बताने के साथ-साथ आस पड़ोस को साफ रखने, मच्छरदारी का इस्तेमाल करने, जमीन पर नहीं सोने की सलाह दी जा रही है।
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