‘कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़, सरकार बनने पर मिलेगी भागीदारी
बोले तेजस्वी : - दल को और मजबूत करने को पंचायत के कार्यकर्ताओं से कर
मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाता। राजद कार्यकर्ता जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन सोमवार को खबड़ा स्थित एक निजी होटल में हुआ। इसमें छह विधानसभा क्षेत्र के पंचायत से लेकर जिला स्तर के करीब 700 कार्यकर्ता शामिल हुए। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने हर विधानसभा के दो-दो पंचायत अध्यक्षों से सीधा संवाद किया। इस दौरान राजद के वरीय नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी और राज्यसभा सांसद संजय यादव भी मौजूद रहे।
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने कहा कि जमीनी कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़ होते हैं। उनकी उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। सरकार बनने पर उन्हें भी भागीदारी और जिम्मेदारी पार्टी जरूर सौंपेगी। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने के टिप्स दिये। पंचायत अध्यक्षों से उनकी समस्या पर भी राय मांगी। सभी ने नेता प्रतिपक्ष के समाने खुलकर अपनी बात रखी। कुछ ने पार्टी की वाहवाही की तो कुछ ने कुछ ऐसे बिंदुओं पर तेजस्वी का ध्यान आकृष्ट किया, जहां पार्टी जमीनी स्तर पर कमजोर हो रही है।
ग्राउंड पर जनता का मूड टटोल रहे :
जनसंवाद कार्यक्रम के माध्यम से राजद ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए ग्रांउड जीरो पर पार्टी की तैयारी को और मजूबत करने की योजना बनायी है, जहां चुनाव और पार्टी को लेकर जनता का मूड भी पंचायत अध्यक्षों के माध्यम से टटोला जा रहा है। सोमवार को तेजस्वी ने मीनापुर, औराई, कुढ़नी, सकरा, गायघाट, बोचहां विधानसभा के पंचायत अध्यक्षों से सीधा संवाद किया। वहीं मंगलवार को मुजफ्फरपुर नगर, पारू, साहेबगंज, कांटी और बरुराज विधानसभा के प्रतिनिधियों से रूबरू होंगे। मौके पर मुजफ्फरपुर के सभी राजद विधायक, जिलाध्यक्ष रमेश कुमार गुप्ता, छात्र नेता चंदन यादव, छात्र राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष अमरेंद्र कुमार के साथ छह विधानसभा के पंचायत से लेकर प्रखंड और जिला स्तर के पार्टी पदाधिकारी मौजूद रहे।
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डबल इंजन की सरकार किसी की सुनती नहीं, लोग परेशान :
इससे पहले सोमवार को सर्किट हाउस में प्रेस वार्ता के दौरान तेजस्वी ने कहा कि केंद्र के नेता सिर्फ हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद और पाकिस्तान बांग्लादेश कर रहे हैं। केंद्र पर आरोप लगाया कि रेपिस्ट और भ्रष्टाचारी को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। कहा कि वोट लेने के समय स्पेशल पैकेज देने की वकालत करते हैं और जब मौका आया तो अपने ही वादे से मुकर गये। स्वतंत्र रेलवे बजट भी बंद कर दिया। 50 ट्रेन बंद कर एक ट्रेन चला दिये। भाड़ा भी अधिक वसूल रहे। सुविधा के नाम पर छह-छह घंटे ट्रेनें लेट चल रही हैं।
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