गुजराती मोहल्ले की मांग, मिले कारोबार की जगह
गुजराती मोहल्ले में 250 से अधिक परिवार रहते हैं, जो पुराने कपड़ों का कारोबार करते हैं। मूलभूत सुविधाओं का अभाव और सरकारी सहायता की कमी के कारण उन्हें विस्थापन का डर सता रहा है। फुटपाथ से हटाए जाने का...
मुजफ्फरपुर। शहर के इमलीचट्टी स्थित सरकारी बस स्टैंड की चहारदीवारी से सटकर बसे गुजराती मोहल्ले की पहचान पुराने कपड़े की मंडी के रूप में ज्यादा है। गुजरात के मूल निवासी बीते पांच दशक से यहां बसे हैं। अब उनकी तीसरी पीढ़ियां यहां रहती है। करीब एक हजार आबादी है। छोटे-छोटे अस्थायी घरों में 250 से अधिक परिवार रहते हैं। रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया पुराने कपड़ों का कारोबार। देहात से शहर तक घूम-घूम कर नए बर्तन देकर पुराने कपड़े लेते हैं। फिर इन कपड़ों की सिलाई आदि को दुरुस्त करके साफ करने के बाद दुकान लगाकर बेचते हैं। बिजली-पानी, आवास, शौचालय सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव के बावजूद यहां गुजारा कर रहे परिवारों को अब विस्थापन का डर सता रहा है। दुकान पहले ही उजड़ चुकी है। अब तक न तो बसने के लिए सरकार से बासगीत पर्चा मिला और न सरकारी मकान या दुकान आवंटित हुआ। स्थानीय संतोष गुजराती, भोला भाई दंतानी व अन्य ने बताया बार-बार जगह खाली कराने की बात उठती है। परिवार लेकर कहां जाएंगे? यहां से हटाकर दूसरी जगह पर शिफ्ट किया गया तो रोजगार ठप हो जाएगा। भुखमरी की नौबत आ जाएगी। सरकार को इसी जगह पर रोजी-रोटी और मकान का प्रबंध करना चाहिए।
वे बताते हें कि चुनावी मौसम में हर बार जनप्रतिनिधि दुकान से लेकर मकान तक देने का वादा कर चले जाते हैं। फिर बाद में कोई सुध लेने नहीं आता। तीन दशक पहले निगम की ओर से रोजगार के लिए डीएम कोठी तिराहा के पास से लेकर इमलीचट्टी बस स्टैंड तक 150 दुकानें आवंटित की गई थी। मासिक शुल्क लेकर नगर निगम की ओर से रसीद दी जाती थी। हालांकि, कुछ वर्षों बाद ही दुकानें हटा दी गई। इसके बाद मोहल्ले से सभी लोग सड़क पर आ गए। फिर उसी इलाके में फुटपाथ पर पुराने कपड़े की दुकान लगाने का सिलसिला शुरू हुआ जो अब तक जारी है। हालांकि, आबादी के हिसाब से रोजगार या दुकान लगाने के लिए जगह कम पड़ रही है। अब तो लोग रोटेशन पर दुकान लगाते हैं। एक ही परिवार के तीन-चार सदस्य कारोबार करते हैं। ऐसे में बारी-बारी से सभी सप्ताह में एक-दो दिन ही दुकान लगा पाते हैं। अधिकतर दुकान महिलाएं संभालती हैं, जबकि पुरुष पुराना कपड़ा खरीदने के साथ ही अन्य कार्यों में उनका सहयोग करते हैं। हालांकि, अब फुटपाथ से भी खदेड़ने की साजिश की जा रही है।
फुटपाथ खाली करने को दबंगों का दबाव
गुजराती मोहल्ले के लोगों ने बताया कि लोकल दबंग बार-बार फुटपाथ का एक हिस्सा यानी एक दर्जन से अधिक दुकानों को हटाने का दबाव बना रहे हैं। पहले से ही कारोबार मंदा चल रहा है। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपईया की स्थिति है। कारोबार की कमाई से किसी तरह दवा आदि का इंतजाम हो पाता है। सरकारी राशन के भरोसे गृहस्थी की गाड़ी चल रही है। फुटपाथ पर भी दुकान बंद हो गई तो परविार चलाना मुश्किल हो जाएगा। मोहल्ले में अधिकांश लोगों के अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे होने के कारण रोजगार या नौकरी मिलना भी मुश्किल है।
मानसून में तीन महीने रहती है नारकीय स्थिति
गुजराती मोहल्ले के निवासी हर साल बारिश के मौसम में कम से कम तीन महीने तक नारकीय स्थिति में रहने को विवश होते हैं। सुदर्शन गुजराती ने बताया कि मोहल्ले में नाला या जल निकासी की कोई अच्छी व्यवस्था नहीं है। नतीजतन हल्की बारिश होने पर भी पूरे इलाके में जलजमाव हो जाता है। सड़क से घरों तक गंदा पानी लग जाता है। घर में रहना या बाहर आना-जाना मुहाल हो जाता है। सांप-बिच्छू के डर के कारण कई बार रतजगा करना पड़ता है। झोपड़ी गिरने का भी खतरा रहता है। ऐसे में विशेषकर बच्चे, बुजुर्ग व महिलाओं की परेशानी बढ़ जाती है।
टूटी झोपड़ी में समय काट रहे सात लोग
किशन की झोपड़ी से सटी एक अन्य झोपड़ी गिरने के कगार पर है। उसमें एक ही परिवार के सात लोग रहते हैं। उनका कहना था कि मरम्मत के लिए दो-चार हजार रुपए भी नहीं है।
छोटे कमरे में पर्दा टांगकर रहते चार परिवार के 16 लोग
गुजराती मोहल्ले में जाने के लिए सिर्फ एक संकरी सड़क है। सड़क से सटे मीरा माली के एक ही कमरे के घर में चार परिवार के 16 लोग रहते हैं। मीरा माली ने बताया कि चार बेटे और चार पतोहू के साथ 6 पोती-पोते एक ही साथ रहते हैं। ऐसे में एक ही कमरे में कपड़ा टांग रहने की मजबूरी है। दूसरा कोई उपाय नहीं है। पहले झोपड़ी में रहने पर अक्सर जलजमाव, सांप-बिच्छू का डर रहता था। आर्थिक तंगी के कारण पीएम स्वनिधि योजना के तहत फुटपाथ पर रोजगार के लिए मिले लोन से हीकंक्रीट की दीवार जोड़कर एस्बेस्टस का घर बना लिया। मेघा व पूजा गुजराती का कहना है कि मोहल्ले में शौचालय के अभाव में सबसे अधिक दिक्कत महिलाओं को हो रही है। काफी पहले बन रहा तीन मंजिला सार्वजनिक शौचालय अधूरा है। उसमें 10 टॉयलेट व दो स्नानागार हैं। पानी की टंकी या नल की व्यवस्था नहीं होने के बावजूद किसी तरह महिलाएं उसका इस्तेमाल कर रही हैं। मोहल्ले के पुरुष शुल्क देकर बस स्टैंड परिसर में बने शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। बारिश या ठंड के मौसम में वहां तक जाने में भी परेशानी होती है। सार्वजनिक शौचालय के लिए निगम के अधिकारियों से लेकर जन प्रतिनिधियों तक गुहार बेकार गई।
छह साल में भी नहीं बन सका खराब सबमर्सिबल
मोहल्ले के लोगों ने बताया कि पहले पानी को लेकर इतनी समस्या नहीं थी। मोहल्ले में लगा सबमर्सिबल छह साल पहले खराब हुआ, इसके बाद दोबारा चालू नहीं हो सका। इसके बाद से सरकारी बस स्टैंड में बने पंप हाउस की जलमीनार से मोहल्ले के लोगों को पानी की सुविधा मिल रही है। लोगों ने बताया कि अब तक सिर्फ एक बार वार्ड पार्षद की पहल पर सड़क बनी और कुछ स्ट्रीट लाइट लगी थी। सड़क जर्जर हो रही है। कई स्ट्रील लाइट खराब हो गई, जिसे दुरुस्त नहीं कराया गया। इससे शाम होने के बाद निकलने में भय लगता है।
वेंडिंग जोन में दी जाएगी रोजगार के लिए जगह
गुजराती मोहल्ले की समस्याओं के समाधान के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जाएंगे। फुटपाथी या फुटकर व्यवसायियों को वेंडिंग जोन बना कर रोजगार के लिए जगह उपलब्ध कराई जाएगी। यह इस साल की पहली प्राथमिकता है। प्रयास है कि इसे चालू वित्तीय वर्ष में मार्च तक पूरा किया जाए। इसको लेकर बजट में राशि का भी प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा में शहरी विकास मिशन के तहत शौचालय का मामला उठाया गया है। राशि नहीं मिली तो निगम अपने स्तर से निर्माण कराएगा।
- निर्मला साहू, मेयर
दुकान व पक्के मकान के लिए करेंगे प्रयास
मार्केट बनाकर दुकान के आवंटन के लिए प्रयास करेंगे। इस संबंध में मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे। गुजराती मोहल्ले के वाशिंदों को आवास योजना के तहत पक्का मकान दिलाने की पहल की जाएगी। सड़क, नाला या शौचालय की स्थिति को बेहतर किया जाएगा। इस संबंध में निगम में भी बात करेंगे। पूर्व में मेरे प्रयास के कारण ही गुजराती मोहल्ला में रहने वाले को हटाने के लिए कोई छेड़छाड़ नहीं कर पाता है।
- विजेंद्र चौधरी, नगर विधायक
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।