सड़क पर ही सब्जी दुकान, गंदगी से लोग परेशान
मुजफ्फरपुर के बालूघाट कॉलोनी के निवासी बुनियादी सुविधाओं की कमी से परेशान हैं। सड़कें जर्जर हो चुकी हैं, नालियों का पानी सड़कों पर बहता है और आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोग प्रशासन...
मुजफ्फरपुर। सौ साल पुराने मोहल्ले में भी बुनियादी सुविधाओं की किल्लत हो तो लोगों का आक्रोश स्वाभाविक है। अखाड़ाघाट पुल पार करते ही काफी पुरानी बसावट है बालूघाट कॉलोनी। यहां डेढ़ दशक पहले बनी सड़क जर्जर हो चुकी है। रोड पर ही सब्जीमंडी के कारण अतिक्रमण व गंदगी यहां की प्रमुख समस्या है। लोगों का कहना है कि नालों का लेवल सही नहीं होने से गंदा पानी सड़क पर ही बहता है। बरसात में स्थिति बहुत खराब हो जाती है। स्ट्रीट लाइट नहीं होने से शाम ढलते ही कुत्तों का आतंक बढ़ जाता है। अहम इलाका होने के बाद भी हमारी समस्याओं की अनदेखी हो रही है।
पुरानी बसावट होने के बावजूद बालूघाट कॉलोनी को मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी से बाहर रखे जाने पर स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है। मोहल्ले के डॉ. अमृतेश कुमार का कहना है कि निगम प्रशासन आज भी इसे शहर का बाहरी हिस्सा ही मानता है, जबकि अन्य इलाकों में जाम के कारण व्यावसायिक गतिविधियों का विकास अखाड़ा घाट रोड के किनारे इसी इलाके में हो रहा है। बावजूद यह मोहल्ला शुद्ध पेयजल, स्ट्रीट लाइट, सड़क और नाली का प्रबंध जैसी सुविधाओं के मानकों पर काफी पिछड़ा हुआ है। विजय कुमार श्रीवास्तव, पृथ्वीनाथ व अन्य ने बताया कि मोहल्ले में करीब तीन सौ मकानों में दो हजार की आबादी रहती है, लेकिन इस आबादी के लिए बनी सड़क पर पिछले एक दशक से अवैध रूप से सब्जीमंडी लगाने वालों का कब्जा है। मना करने पर दुकानदार गाली-गलौज पर उतारू हो जाते हैं। स्थानीय पुलिस के अलावा निगम से भी शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब मजबूरी में सबको घूमकर दूसरे रास्ते से जाना पड़ता है।
बरसात में घुटनेभर पानी पार करना मजबूरी :
रामजानकी मठ के महंथ राजेश कुमार दास, अरविंद कुमार सिंह, रत्नेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मोहल्ले की सड़क करीब डेढ़ दशक पहले बनाई गई थी। नाले का अलाइंमेंट सही नहीं रहने के कारण गंदा पानी सड़क पर बहता है। बरसात में बहुत बुरा हाल हो जाता है। घुटनेभर पानी पार कर आना-जाना पड़ता हैं। जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं।
कचरे की सड़ांध के बीच से गुजरना मुश्किल :
प्रो. सुशील कुमार, ब्रजकिशोर और जयराम सिंह ने बताया कि सप्ताह में दो से तीन दिन ही कूड़े का उठाव होता है। कूड़ा सड़ने से दुर्गंध के कारण सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है। साफ-सफाई के अलावा मोहल्ले में सही से रोशनी का भी प्रबंध नहीं है। स्ट्रीट लाइट नहीं होने से रात में कुत्तों का आतंक बढ़ जाता है। वहीं चंदन कुमार, दिलीप कुमार ने कहा कि नाले के जमा पानी से सड़क टूट चुकी है। करीब एक दशक से लोग जलजमाव के बीच इसी टूटी सड़क से गुजरने को विवश हैं। सुधांशु कुमार, अजीत सिंह, ज्योति चौधरी, सौरभ शाही, अरविंद का कहना है कि वे लोग ग्रामीण और शहरी इलाके के बीच त्रिशंकु जैसे हालात में जीने को विवश हैं।
कुत्तों के आतंक से मोहल्लेवासी भयभीत :
स्थानीय राजेश कुमार, अमित कुमार, सोनू कुमार और मोहन प्रसाद सिन्हा का कहना है कि मोहल्ले की सबसे बड़ी समस्याओं में सड़क का अतिक्रमण के बाद कुत्तों का आतंक है। सुबह और शाम में आवारा कुत्तों का झुंड मुहल्ले में घूमता रहता है। पिछले एक साल में कई स्कूली बच्चों को ये अपना शिकार बना चुके हैं। कई बार महिलाएं भी इनका शिकार होकर घायल हो चुकी हैं। बाजार से लौटती महिलाओं के हाथ में पैकेट देखते ही कुत्ते उनपर झपट पड़ते हैं। हालांकि अभी तक इस कारण कोई बड़ी घटना तो नहीं हुई, लेकिन मोहल्लेवासी इसको लेकर दहशतजदा हैं। लोगों का कहना है कि इतना महत्वपूर्ण और पुराना इलाका होने के बाद भी उपेक्षा के कारण हमलोगों में प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है।
बोले जिम्मेदार :
मैंने खुद उस मोहल्ले का भ्रमण किया था। लोगों की परेशानी देख सड़क और नालों को बनाने के लिए कुछ दिन पहले ही निविदा को अंतिम रूप दे दिया गया है। जल्द ही सड़क के साथ नाला बनाने का काम शुरू हो जाएगा। इससे लोगों को जलजमाव से मुक्ति मिलेगी।
-निर्मला साहू, महापौर
अगर किसी भी तरह का अतिक्रमण हुआ है, तो निगम के संबंधित अधिकारियों से जांच कराई जाएगी। जिन लोगों ने भी अतिक्रमण किया हुआ होगा, उनको पहले नोटिस भेजा जाएगा। फिर अतिक्रम हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
-सोनू कुमार राय, उप नगर आयुक्त
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