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बंगाल की तर्ज पर होगी स्पाइक अर्थिंग, आंधी-बारिश में गुल नहीं होगी बिजली

मुजफ्फरपुर में आंधी, बारिश और वज्रपात से बिजली के नुकसान को कम करने के लिए स्पाइक अर्थिंग का प्रयोग किया जाएगा। नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (एनबीपीडीसीएल) ने इसे मंजूरी दे दी है। जिले के चार...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरSat, 10 Aug 2024 06:05 PM
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मुजफ्फरपुर, सोमनाथ सत्योम। जिले में आंधी, बारिश व वज्रपात से बिजली के नुकसान को कम करने के लिए स्पाइक अर्थिंग का प्रयोग किया जाएगा। जिले के चार विद्युत संचरण लाइन में से एक में ट्रायल के तौर पर स्पाइक अर्थिंग लगायी जाएगी। नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (एनबीपीडीसीएल) ने इसे मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों के लिए हरी झंडी दे दी है। इसके लिए राशि का भी प्रावधान किया जा रहा है।

इधर, जिले के कुढ़नी, कांटी, औराई, कटरा, गायघाट, कांटी, मड़वन आदि प्रखंडों की बिजली संचरण लाइन में इंसुलेटर जलने, तार जलने, ब्रेक डाउन आदि की समस्या बारिश के दिनों में अधिक होती है। नतीजतन बिजली आपूर्ति प्रभावित रहती है। हाल ही में जिले में आई तेज आंधी-बारिश के दौरान वज्रपात हुआ था। इसकी चपेट में आने से कांटी, मड़वन, कुढ़नी, औराई और मीनापुर में आपूर्ति प्रभावित हो गयी थी। कुढ़नी, कांटी व मड़वन में छह दिनों तक आपूर्ति बाधित रही थी। बिजली कंपनी को राजस्व के नुकसान के साथ उपभोक्तओं का आक्रोश भी झेलना पड़ा था। इस स्थिति से निबटने के लिए स्पाइक अर्थिंग की योजना पर फोकस किया गया है। एक सप्ताह के अंदर इसपर काम शुरू हो जाने की संभावना है।

एनबीपीडीसीएल के एक इंजीनियर ने बताया कि स्पाइक अर्थिंग का इस्तेमाल पश्चिम बंगाल में बिजली संचरण लाइन में किया जा रहा है। इससे वहां तेज आंधी, बारिश व वज्रपात में भी बिजली आपूर्ति बहुत प्रभावित नहीं होती है। इसी को देखते हुए एनबीपीडीसीएल ने स्पाइक अर्थिंग के इस्तेमाल को लेकर योजना तैयार की है। अधीक्षक अभियंता पंकज राजेश ने बताया कि फिलहाल यह किशनगंज में प्रयोग किया जाएगा। सफल होने पर मुजफ्फरपुर सर्किल में भी लगाया जाएगा।

क्या है स्पाइक अर्थिग

स्पाइक अर्थिंग का उपयोग 11 केवी व 33 केवीए पोल के लिए किया जाएगा। इसमें 25 गुणा 6 मिमी, 1.5 मीटर जीएल फ्लैट, 2.5 मीटर लंबा स्पाइक अर्थिंग इलेक्ट्रोड होता है, जिसमें आवश्यक छेद होता है। इसका उपायेग अक्सर सिस्टम के इंसुलेशन को आंधी और मूसलाधार बारिश के दौरान बिजली के नुकसान से बचाने के लिए किया जाता है।

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