एमआईटी के हॉस्टलों में सुविधाओं की कमी रोक रही भावी इंजीनियरों की राह
एमआईटी के हॉस्टलों में सुविधाओं की कमी भावी इंजीनियरों की राह रोक रही है। विद्यार्थियों का कहना है कि यहां पढ़ाई तो अच्छी होती है, मगर हॉस्टलों में अपे
मुजफ्फरपुर। एमआईटी में सात हॉस्टल हैं, जिनमें लगभग 700 विद्यार्थी रहते हैं। प्रथम वर्ष से लेकर अंतिम वर्ष तक के छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग हॉस्टल हैं। एक हॉस्टल में 100 से अधिक विद्यार्थी रहते हैं। अधिकतर में बिजली, पानी सहित कई समस्याएं एक जैसी हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि खाने का मेन्यू तो हमलोग ही तय करते हैं, मगर कई बार इसकी गुणवत्ता ऊपर-नीचे हो जाती है। मेस में मिलने वाला खाना हाइजेनिक होना चाहिए। जहां खाना बने, वह जगह भी स्वच्छ रहना चाहिए। बताया कि हॉस्टलों में आरओ से लेकर सफाई तक की समस्या है। बाहर इतनी गंदगी है कि रातभर मच्छर परेशान करते हैं। कई दफा सांप भी निकल आते हैं। इससे हमलोगों में डर बना रहता है। छात्र आर्यमन ने बताया कि बेसिन का पानी परिसर के बाहर लगता है, जिससे वहां कीचड़ हो गया है। गर्ल्स हॉस्टल की नैना व श्रुति ने कहा कि हॉस्टल में सफाई का अभाव है।
ब्वॉयज हॉस्टल एच1 के छात्रों की परेशानी है कि शाम में अंधेरा रहता है। हॉस्टल परिसर की कई लाइटें खराब हैं, जिन्हें जल्द ठीक कराने की जरूरत है। बाथरूम में भी बत्ती नहीं है। फ्लश नहीं चल रहे हैं। ग्राउंड में भी लाइट नहीं है। छात्रों ने कहा कि तीन आरओ हैं, लेकिन ग्राउंड फ्लोर के अलावा दूसरी मंजिल पर आरओ नहीं है। बीच में आरओ खराब हो गया था, जिसकी मरम्मत में काफी वक्त लगा। हॉस्टल में पेयजल की व्यवस्था समय पर होनी चाहिए। कुछ छात्रों ने बताया कि हमलोग सुबह से शाम तक क्लास करते हैं। इसलिए जब तक ग्राउंड में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होगी, तब तक हम नहीं खेल सकते हैं।
गर्ल्स हॉस्टल जर्जर, टूटकर गिरता है प्लास्टर
गर्ल्स हॉस्टल की छात्राओं का कहना है कि हॉस्टल जर्जर हो गया है। सड़क से कोई ट्रक गुजरता है तो ऐसा लगता है कि हॉस्टल हिल रहा है। छात्रा प्रेरणा रानी ने बताया कि कई बार छज्जे का प्लास्टर टूटकर गिर चुका है। जर्जर हॉस्टल में रहने में डर लगता है, लेकिन जब यही आवंटित हुआ है तो इसमें रहना मजबूरी है।
कमरों में कुर्सी-टेबल की दरकार
हॉस्टल में रहने वाले छात्रों का कहना है कि हमलोगों को एमआईटी प्रशासन की तरफ से कुर्सी-टेबल मिलनी चाहिए। कई छात्र खुद से कुर्सी-टेबल का इंतजाम करते हैं। कई कमरों में कुर्सी भी नहीं है। छात्रों को खुद से बेड का भी इंतजाम करना पड़ता है। पंखे भी छात्र खुद ही लाते हैं। एमआईटी प्रशासन को हॉस्टलों में इन सुविधाओं का इंतजाम करना चाहिए, क्योंकि बाहर से आने वाले विद्यार्थियों के लिए यह अतिरिक्त खर्च है।
दो हॉस्टलों का निर्माण पूरा नहीं
एमआईटी में एक ब्वॉयज और एक गर्ल्स हॉस्टल का निर्माण वर्षों से अटका हुआ है। प्राचार्य का कहना है कि इन हॉस्टलों का निर्माण भवन निर्माण विभाग को करना है। एमआईटी का हॉस्टल नंबर सात सुविधा नहीं होने के कारण परित्यक्त हो चुका है। यहां के छात्र दूसरे हॉस्टल में शिफ्ट कर दिये गये हैं। छात्राओं का हॉस्टल चार साल से पूरा नहीं हुआ है। नया हॉस्टल 200 बेड का बन रहा है। गर्ल्स हॉस्टल के पूरा नहीं होने से भी छात्राओं को हॉस्टल नहीं मिल पाते हैं। प्राचार्य ने बताया कि एमआईटी में कई विभागों के भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
हॉस्टलों में बढ़े वाई-फाई की स्पीड
छात्रों का कहना है कि एमआईटी कैंपस में तो वाई-फाई की स्पीड बढ़िया है, लेकिन हॉस्टल तक आते-आते यह धीमी हो जाती है। इसके कारण हमलोगों की पढ़ाई प्रभावित होती है। एमआईटी प्रशासन को इस समस्या के समाधान की दिशा में पहल करने की जरूरत है। छात्र शुमभ कुमार ने कहा कि लाइब्रेरी में सभी अखबार मंगाए जाने चाहिए, ताकि हमलोगों को देश-दुनिया के घटनाक्रमों से अपडेट रह सकें। छात्रों ने हॉस्टल में फर्स्ट एड बॉक्स और विद्यार्थियों के लिए अलग से डॉक्टर की व्यवस्था की भी मांग की।
दूर की जाएगी विद्यार्थियों की परेशानी
एमआईटी में हॉस्टलों और अन्य भवनों की मरम्मत का जिम्मा भवन निर्माण विभाग का है। कई जगहों पर मरम्मत का काम किया जा रहा है। जहां बिजली की समस्या है, उसे तुरंत ठीक किया जायेगा। खाने की व्यवस्था विद्यार्थी ही तय करते हैं। अगर कभी किसी तरह की परेशानी आती है तो उसे दूर किया जायेगा।
-प्रो. मिथिलेश कुमार झा , प्राचार्य, एमआईटी
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