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महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद बना त्रिग्रही योग

महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। इस वर्ष 60 साल बाद त्रिग्रही योग बना है, जिसमें सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में हैं। इस दिन श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र का सुसंयोग, बुधादित्य योग और परिघ योग...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरSun, 23 Feb 2025 09:26 PM
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महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद बना त्रिग्रही योग

मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। इस वर्ष महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद त्रिग्रही योग बना है। इस दिन कई और खास योग भी बने हैं। आध्यात्मिक गुरु पंडित कमला पति त्रिपाठी ने बताया कि इस दिन श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र का सुसंयोग बना है। परिघ योग और शिव योग भी है। इस दिन चंद्रमा मकर राशि में है, जो शुभ माना गया है। इस दिन सूर्य, बुध, और शनि तीनों ग्रह कुंभ राशि में हैं, जिसके कारण इस वर्ष इस दिन त्रिग्रही योग बन रहा है। कहा कि इस दिन बुधादित्य योग भी बना है। उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस त्योहार को शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष के मुताबिक, इस दिन कई ग्रहों का परिवर्तन भी होता है। धर्म शास्त्रों में प्रदोष काल यानि सूर्यास्त होने के बाद और रात्रि होने के मध्य की अवधि, मतलब सूर्यास्त होने के 2 घंटे 24 मिनट की अवधि को प्रदोष काल कहा जाता है। इसी समय भगवान आशुतोष प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं। इसी समय सभी के प्रिय भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। हमारे सनातन धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में महाशिवरात्रि तिथि में ही सभी ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। इस दिन व्रत रखने से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत होता है। साथ ही, मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। इस दिन भक्त चारों प्रहर में महादेव का षोडशोपचार पूजन, अभिषेक, भजन, संकीर्तन, जला हार, निराहार और फलाहार पर रहकर महादेव की आराधना अपने समस्त अभीष्ट प्राप्ति के लिए करते हैं।

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