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पिछले पांच साल में नामांकित बच्चों का देना होगा रिकॉर्ड

सरकार ने ज्ञानदीप पोर्टल में आवश्यक संशोधन किए हैं, जिससे सभी निजी विद्यालयों को महत्वपूर्ण जानकारियाँ अपलोड करना अनिवार्य हो गया है। यदि स्कूल डेटा अपलोड नहीं करते हैं, तो उनका पंजीकरण नहीं होगा।...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरTue, 10 Sep 2024 12:20 AM
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मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाता। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन निजी विद्यालयों में सुनिश्चित कराने के लिए बने ज्ञानदीप पोर्टल में सरकार ने कुछ जरूरी संशोधन किया है। नई व्यवस्था के तहत अब सभी निजी स्कूलों को कई सारी जानकारी अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है। इन जानकारियों को अपलोड नहीं करनेवाले स्कूल का पंजीकरण पोर्टल पर नहीं हो पाएगा।

वहीं निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा इस दिशा में रूचि नहीं दिखाई जा रही है। इससे कई सारे निजी स्कूलों में पढ़ रहे गरीब तबके के बच्चों की पढ़ाई पर ब्रेक लगने की संभावना जताई जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक नए निर्देश के अनुसार डाटा अपलोड नहीं करने से करीब 4000 बच्चे इस योजना का लाभ लेने से वंचित रह जाएंगे।

जिला शिक्षा अधीक्षक अजय कुमार सिंह ने बताया कि गत पांच सालों में नामांकन लिए बच्चों का ब्योरा उनके आधार कार्ड नंबर, किस वर्ग में उनका नामांकन हुआ है जैसे विवरण पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों की योग्यता, उनको दिए जानेवाले वेतन व भत्ते का विवरण भी अपलोड करना है। इन सबसे उपर नामांकित छात्रों की उपस्थिति रजिस्टर को भी पोर्टल पर अपलोड किया जाना है, ताकि स्कूल किसी भी तरह की गड़बड़ी न कर सकें। अभी तक स्कूल मनमाना तरीके से विवरण विभाग को दे देते थे, जिनका सत्यापन करना काफी मुश्किल होता था।

सिंह ने बताया कि नई व्यवस्था में गड़बडी की संभावना न के बराबर रह गई है, क्योंकि विद्यालय में बच्चे का किस आधार पर दाखिला हुआ, कितनी राशि स्कूलों को मिली, ये सूचनाएं ऑनलाइन होने से जांच करने में आसानी हो जाएगी। यदि कोई विद्यालय इनमें से एक भी विवरण अपलोड नहीं करता है, तो उनका पंजीकरण पोर्टल पर नहीं हो पाएगा।

इधर, जिला शिक्षा कार्यालय ने इसको लेकर सभी निजी विद्यालयों को नए निर्देश से अवगत करा दिया था। सभी स्कूलों को 16 जून तक ही पंजीयन कराना था, लेकिन पंजीयन कराने वाले स्कूलों की संख्या दहाई में भी नहीं पहुंच पाई है। जबकि, जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों तक ढाई सौ से अधिक निजी स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। पंजीयन नहीं होने से आरटीई के तहत पढ़ रहे बच्चों को मदद देने में परेशानी आ सकती है।

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