पताही हवाईअड्डा से उड़ान भरेंगे 19 सीटर विमान
बजट में पताही हो मिनी एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने की मिली है स्वीकृति, व्यवसाय और पर्यटन क्षेत्र को मिलेगी ऊंचाई

मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाता। चार दशक से पताही हवाईअड्डा से उड़ान का सपना संजोए लोगों को बजट से राहत मिली है। वर्ष 2025-26 के लिए पेश बिहार बजट में पताही को मिनी एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई है। साथ ही यहां से 19 सीटर विमान के उड़ान भरने का आश्वासन दिया गया है। इससे जिले के लोगों को यह उम्मीद बंधी है।
मुजफ्फरपुर सूबे के प्रमुख औद्योगिक शहरों में शामिल है। यहां की लीची विदेश तक भेजी जाती है। हवाई संपर्कता नहीं होने से औद्योगिक क्षेत्र का विकास तेज नहीं हो पा रहा है। इसको लेकर राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक सैंकड़ों पत्र लिखे गए। व्यवसायी वर्ग और जन प्रतिनिधियों ने भी अपने स्तर से कई बार पहल की। कई बार सर्वे भी हुआ पर अबतक लोगों को निराशा ही हाथ लगी थी। ऐसे में आगामी बजट में पताही से हवाई सेवा शुरू होने से व्यवसायिक दायरा बढ़ेगा। इससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
बिहार में हवाई संपर्कता विकसित करने के उद्देश्य से सात जिलों में छोटे हवाई अड्डे बनाए जाने की योजना बनाई गई है। उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर, मधुबनी व वाल्मीकिनगर समेत प्रदेश में कुल सात जिलों से छोटे विमान उड़ान भरेंगे। यहां से 19 सीटर क्षमता वाले छोटे विमानों के संचालन की योजना है।
सूतापट्टी उत्तर बिहार की सबसे बड़ी वस्त्र मंडी :
मुजफ्फरपुर का सूतापट्टी उत्तर बिहार की सबसे बड़ी वस्त्र मंडी है। हवाई संपर्क नहीं होने के कारण व्यवसाय पर असर होता है। वैशाली और सीतामढ़ी को पर्यटन के लिए विकसित किया जा रहा है। इन दोनों जिलों की सीमाएं मुजफ्फरपुर से जुड़ती हैं। ऐसे में यहां से उड़ान की सुविधा मिलने से आसपास के जिलों के लोगों को भी लाभ मिलेगा। पर्यटकों के आगमन से क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा। सीधी एयर कनेक्टिविटी नहीं मिलने के कारण लोग पटना और दरभंगा पर निर्भर हैं।
1989 से पताही हवाई अड्डा से बंद है उड़ान :
पताही हवाई अड्डा के लिए आजादी से पहले ही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई थी। 1945-46 में भूमि अधिग्रहण के बाद 1952-53 में यहां से विमान सेवा की शुरुआत की गयी थी। 1977 के आसपास मुजफ्फरपुर से पटना के लिए विमान सेवाएं संचालित थीं। 1982 तक यहां से लगातार विमानों का उड़ान भरना जारी रहा, लेकिन लगातार घाटा के कारण 1989 के बाद यहां से उड़ान सेवाएं पूर्णत: बंद कर दिया गया।
भूमि की कमी बन रही बड़े एयरपोर्ट में बाधा :
पताही एयरपोर्ट के पास वर्तमान में करीब 100 एकड़ भूमि है। मानक के अनुसार बड़े एयरपोर्ट के करीब 475 एकड़ और भूमि की जरूरत है। इसको लेकर आसपास के इलाकों में कई बार सर्वे भी कराया गया है। आसपास के गांवों के लोग लगातार भूमि अधिग्रहण को लेकर विरोध जता रहे हैं। इससे बड़े एयरपोर्ट के निर्माण और बड़े विमानों के यहां से उड़ान को शुरू करने में अड़चन आ रही है।
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