अक्षय नवमी कल, आंवले के वृक्ष की होगी पूजा
अक्षय नवमी 10 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए इस दिन पूजा की जाती है। माता लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की थी, जो विष्णु और शिव...
मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। अक्षय नवमी दस नवम्बर को मनाई जाएगी। माना जाता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। पंडित प्रभात मिश्र ने बताया कि आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष के पूजन का महत्व है। पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए इस नवमी पूजन का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर ब्राह्मणों को खिलाना चाहिए, इसके बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। इस दिन अधिकतर लोग खिचड़ी बनाते हैं और उसी वृक्ष के नीचे खुद और दूसरों को भी ग्रहण कराते हैं।
आंवला नवमी पूजा की शुरूआत माता लक्ष्मी द्वारा की गयी थी। एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण कर रही थीं। रास्ते में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। लक्ष्मी मां ने विचार किया कि एक साथ विष्णु एवं शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी एवं बेल का गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को। आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिन्ह मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन करवाया। इसके बाद स्वयं भोजन किया। वह दिन कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि थी। उसके बाद से परंपरा चली आ रही है। अक्षय नवमी के दिन अगर आंवले की पूजा करना और आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव नहीं हो तो इस दिन आंवला जरूर खाना चाहिए। चरक संहिता के अनुसार अक्षय नवमी को आंवला खाने से शरीर स्वस्थ रहता है।
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