बड़ी दुर्गा मंदिर: सामाजिक समरसता व मजहबी एकता का प्रतीक
खड़गपुर का बड़ी दुर्गा मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र है, जो मुस्लिम आबादियों के बीच सद्भाव और एकता का प्रतीक है। 1841 में स्थापित इस मंदिर ने लोगों में आपसी सद्भाव जागृत किया है। हर मंगलवार को महाआरती...
हवेली खड़गपुर, एक संवाददाता। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा के विशिष्ट मंदिरों में एक खड़गपुर की बड़ी दुर्गा मंदिर शक्तिपीठ के रूप में धार्मिक आस्था का केंद्र होने के साथ मजहबी एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। मुस्लिम आबादियों के बीच सद्भाव और एकता की मिशाल के रूप में स्थापित यह मंदिर अपने स्थापना काल से ही लोगों में आपसी सद्भाव जागृत कर रहा है। 1831 में प्राचीन काली मंदिर की स्थापना के दस वर्ष बाद 1841 में महाराजा कामेश्वर सिंह जो राज दरभंगा के नाम से प्रसिद्ध थे, उन्होंने बड़ी दुर्गा मंदिर का निर्माण करवाया था। करीब 25 वर्ष पूर्व कमेटी की ओर से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। इस मंदिर से सटे मुसलमान भाईयों का शेख टोला, मंसूर टोला, नबीनगर स्थित है। एक तरफ बड़ी दुर्गा मंदिर में शंख, घंटा की प्रतिध्वनियों के बीच महाआरती तो दूसरी तरफ पास के मस्जिद से अजां के स्वर दोनों धर्मों के मेल को मिल्लत में तब्दील करता नजर आता है। पिछले 20 वर्षों से मंदिर में प्रत्येक मंगलवार को संध्या महाआरती होती है।
पूजा कमेटी का गठन: प्रबंध समिति में अध्यक्ष राकेश चन्द्र सिन्हा, सचिव सुनील रंजन, संयुक्त सचिव अमित कुमार, कोषाध्यक्ष सुधीर गुप्ता, उपकोषाध्यक्ष डा. अशोक कुमार केशरी हैं। प्रबंध समिति के अध्यक्ष राकेश चन्द्र सिन्हा बताते हैं, कि गंगा-जमुनी संस्कृति के दोआब पर स्थित नगर की बड़ी दुर्गा मंदिर लोगों को सद्भाव की सीख दे रहा है। मंदिर के सदस्य हर सामाजिक और धार्मिक कार्यों के साथ सांस्कृतिक जागृति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है।
मंदिर के पुजारी पंडित सुभाष झा बताते हैं की बड़ी दुर्गा का यह मंदिर शक्तिपीठ के रूप में लोगों की आस्था का केंद्र है। सच्चे मन से जो भी भक्ति यहां अपनी मुरादे लेकर आते हैं बड़ी दुर्गा महारानी उनकी मन्नतें पूरी करती है।
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