नवरात्र में माता को चढ़ता है रुपयों की माला
पूर्वी चंपारण के गोढ़ीया गांव में स्थित जय मां मनोकामना मंदिर में भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं। इस सिद्धपीठ की मान्यता है कि यहां से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता। मंदिर का विकास चढ़ावे से होता...
चिरैया, निज संवाददाता। पूर्वी चंपारण जिले के चिरैया प्रखंड अन्तर्गत गोढ़ीया गांव स्थित सिद्धपीठ जय मां मनोकामना मन्दिर में मत्था टेकने वाले हर भक्त की मुरादें पूरी होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दरबार से अब तक कोई खाली हाथ नहीं गया है। मन्नतें पूरी होने के बाद भक्त यहां रुपयों की माला चढ़ाते है। यहां प्रतिवर्ष एक करोड़ से अधिक का चढ़ावा आता है। पहले इसी रूपये से मन्दिर का विकास होता था। अब इस सिद्धपीठ को धार्मिक न्यास बोर्ड ने अधिग्रहित कर लिया है। चढ़ावा की राशि जय मां मनोकामना न्यास बोर्ड के खाते में जमा किया जाता है। धार्मिक न्यास समिति के अध्यक्ष व भूमिदाता रामेश्वर राय ने बताया कि पुत्र प्राप्ति के लिए यहां दूर -दूर से लोग आते हैं। यहां आने वालों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। इस मन्दिर में पूर्वी व पश्चिमी चंपारण जिले सहित सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज व सीमा पार नेपाल के लोग भी मत्था टेकने आते हैं। वैसे तो यहां सालों भर भक्तों की आवाजाही लगी रहती है। लेकिन शारदीय नवरात्र में सप्तमी से दशमी तक यहां सर्वाधिक भीड़ रहती है। मन्दिर की स्थापना वर्ष 1983 में की गई थी। ग्रामीणों ने बताया कि मन्दिर स्थल पर एक अद्भुत फूल उगा था। जहां कुछ लोगों द्वारा पूजा अर्चना प्रारम्भ की गई थी। कहा जाता है कि ग्रामीण जयमंगल साह की पुत्री पानी में डूब गई। लोग उसे मृत मानकर दाह संस्कार की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच जयमंगल उक्त स्थल पर जाकर प्रार्थना किया और उसकी पुत्री जीवित हो गई। इसके बाद उसने मन्दिर निर्माण शुरू किया था। बाद में रामेश्वर राय ने भूमि दान कर ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया। अब यह जिले का सबसे बड़ा पांच मंजिल मन्दिर है।
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