Hindi Newsबिहार न्यूज़मोतिहारीDevotion and Enthusiasm Shine at 80 km Kanwar Yatra in Motihari

कांवर पथ में दिखा भक्ति व सेवा भाव का अद्भुत नजारा

मोतिहारी में भगवान भोलेशंकर की भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला। कांवरिये 80 किलोमीटर के पथ पर गेरुआ वस्त्र पहने, बार-बार बोल बम के नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। सड़क किनारे लोगों ने उनकी सेवा की,...

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीSun, 15 Sep 2024 11:00 PM
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मोतिहारी,निप्र। भगवान भोलेशंकर के प्रति अटूट भक्ति। मुख से बार-बार गूंज रहे बोल बम के नारे। शरीर पर चमक बिखेर रहे गेरुआ वस्त्र। लगातार मंजिल की ओर आगे बढ़ रहे कदम। शिवभक्ति का यह अदभुत नजारा पताही के देवापुर संगम घाट से अरेराज तक 80 किलोमीटर कांवर पथ पर रविवार की शाम दिख रहा था। संगम घाट से जलबोझी कर डाकबम कांवरिये अरेराज स्थित सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए रवाना हो गए हैं। डाकबम कांवरियों से पटी रही सड़कें:

डाकबम कांवरियों से सड़कें पटी रही। नंगे पैर कांवरिये लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं। इनमें, बड़ी संख्या में महिलाएं,युवा व किशोर भी हैं। डीजे के धुन पर थिरकते हुए वे आगे बढ़ते जा रहे हैं। इनके चेहरे पर अदभुत चमक दिख रही है। राजू बम, कन्हैया बम, मनोज बम व भोला बम के चेहरे पर उत्साह देखते बन रहा है। बार-बार बोल बम के नारे लगा रहे हैं। साथ ही दूसरे साथियों को भी उत्साहित कर रहे हैं।

हर जगह भक्ति व सेवा का अदभुत नजारा:

पूरे कांवरिया पथ में हर जगह भक्ति व सेवा का अदभुत नाजारा दिख रहा था। पूरे कांवर पथ में बड़ी संख्या में शिविर लगाया गया है। यहां गर्म पानी, चाय, नींबू पानी,दवा, फल आदि की व्यवस्था की गयी है। यहां कार्यकर्ताओं के द्वारा डाकबम कांवरियों की मदद की जा रही है। यहां बज रहे भक्ति गीत कांवरियों के उत्साह को दुगूना कर रहे थे।

सड़कों के दोनों ओर उमड़ा जनसैलाब:

डाकबम कांवरियों के आने का सबको बेसब्री से इंतजार था। जैसे ही डाकबम कांवरिये संध्या समय शहर में आना शुरू हो गये, सड़क के दोनों ओर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। ऐसा लग रहा था मानो पूरा शहर सड़क पर आ गया हो। युवक व किशोर बेहद उत्साहित थे। जैसे ही कोई डाकबम कांवरिया सामने से गुजरता, युवक दौड़ कर उनकी सेवा में पहुंच जाते। कोई उनकी थकान मिटाने के लिए पैर पर गुनगुना पानी डालता। तो कोई उन्हें चाय ऑफर करता। वहीं कुछ लोग फल लेकर उनके पास पहुंचते। चलते-चलते या तो वे उन्हें स्वीकार करते या हाथ जोड़ कर आगे बढ़ जाते। जिन्हें चलने में थोड़ी दिक्कत आ रही थी, उन्हें कंधा का सहारा देकर आगे बढ़ा देते थे।

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