Hindi Newsबिहार न्यूज़मोतिहारीChaos Erupts in Schools Due to Shortage of Urdu Question Papers During Mid-Term Exams

उर्दू विषय के प्रश्न पत्र की कमी से हुयी परेशानी

सिकरहना में अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन परीक्षा के दौरान उर्दू प्रश्न पत्र की कमी से स्कूलों में अफरातफरी मच गई। कई स्कूलों में कुछ वर्गों के लिए एक भी प्रश्न पत्र नहीं था। अन्य स्कूलों में प्रश्न पत्र की...

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीSat, 21 Sep 2024 05:12 PM
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सिकरहना, निज संवाददाता। वर्ग 1 से 8 तक की चल रही अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन परीक्षा के दौरान शनिवार को उर्दू विषय के प्रश्न पत्र की कमी के कारण स्कूलों में अफरातफरी मची रही। शनिवार को पहली पाली में वर्ग 3 से 5 व दूसरी पाली में वर्ग 6 से 8 तक के बच्चों की भाषा की परीक्षा थी। हिन्दी भाषी के लिए हिन्दी व उर्दू भाषी बच्चों के लिए उर्दू विषय की परीक्षा थी। लेकिन उर्दू विषय के प्रश्न पत्र की कमी अधिकांश स्कूलों में रही। किसी किसी स्कूल में वर्ग 5 व 6 के लिए एक भी प्रश्न पत्र उपलब्ध नहीं कराये गये थे तो किसी वर्ग में दो से तीन प्रश्न पत्र ही उपलब्ध थे। प्रश्न पत्र की कमी को लेकर स्कूलों में अफरातफरी का माहौल था। दूसरे स्कूलों से एक एक प्रश्न पत्र मंगाकर जहां फोटो स्टेट कराने की सुविधा थी वहां बच्चों के हिसाब से प्रश्न पत्र का फोटो कॉपी कराकर बच्चों को दिया गया। लेकिन जहां फोटो स्टेट की सुविधा नहीं थी वहां ब्लैक बोर्ड पर प्रश्नों को लिखकर बच्चों को उतर लिखने के लिए कहा गया। ढाका प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय उर्दू हरूहानी में स्थानीय पंचायत समिति सदस्य मो. अंसारूल हक ने जब प्रश्न पत्र की कमी की शिकायत पर एचएम से बात की तो कई वर्गों में एक भी नहीं तो कई वर्गों में कम संख्या में प्रश्न पत्र उपलब्ध कराये जाने की बात कही गयी। वहीं कई एचएम का कहना था कि जितने बच्चों की संख्या दी जाती है उस हिसाब से न तो प्रश्न पत्र की आपूर्ति की जाती है और न हीं कॉपी की। जिस कारण परीक्षा में काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। कॉपी की कमी के कारण बच्चों को एक कॉपी पर दो दो विषय की परीक्षा ली जाती है। इस बाबत बीईओ अखिलेश कुमार ने बताया कि जिला से जिन स्कूलों के लिए प्रश्न पत्र का बैंडल आया था उस स्कूल को एक सप्ताह पूर्व ही उपलब्ध करा दिया गया था। इसकी जांच पूर्व में ही कर लेना चाहिए था। यदि पहले से इसकी जानकारी हुयी रहती तो कोई उपाय हो सकता था। परीक्षा के दिन कमी होने से परेशानी हुयी। स्कूलों से जितनी संख्या बच्चों की दी जाती है उसका रिपोर्ट जिला को भेज दिया जाता है। लेकिन संख्या के हिसाब से कम आपूर्ति होने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुयी है।

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