सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस का टोटा
जिले के सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस की कमी है। आलम यह है कि अरेराज कोविड सेन्टर में एम्बुलेंस नहीं...
जिले के सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस की कमी है। आलम यह है कि अरेराज कोविड सेन्टर में एम्बुलेंस नहीं है। जिसके चलते कोविड के मरीजों को रेफर करने की स्थिति में उन्हें भाड़े के बोलेरो से सदर अस्पताल पहुंचाया जाता है। जिसके चलते मरीजों को सुलाकर सदर अस्पताल ले जाने में थोड़ी परेशानी होती है। अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी डॉ उज्ज्वल प्रताप ने एम्बुलेंस की बेहतर सुविधा मुहैया करने की बात कही। हालांकि अरेराज के अनुमंडलीय अस्पताल में दो एम्बुलेंस है। दोनों एम्बुलेंस सही सलामत हैं।
एक एम्बुलेंस के भरोसे संचालित है स्वास्थ्य व्यवस्था
केसरिया। केसरिया जैसे पर्यटक स्थल पर मात्र एक एम्बुलेंस के भरोसे स्वास्थ्य सेवा का संचालन होना कुव्यवस्था को दर्शाता है। जबकि यह क्षेत्र एनएच 28 व एसएच 74 से जुड़ा हुआ है। जिससे यहां दुर्घटना भी बहुत होती है। यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मात्र एक एम्बुलेंस है। जबकि यहां कम से चार एम्बुलेंस की जरूरत है। यहां विश्व का सबसे ऊंचा बौद्ध स्तूप है। जहां साल में लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते रहते हैं।
यही नहीं उत्तर बिहार का प्रसिद्ध बाबा केसरनाथ महादेव मंदिर भी केसरिया में ही अवस्थित हैं। वैसे भी केसरिया प्रखंड में 17 पंचायत व एक नगर पंचायत है। इतने बड़े क्षेत्र के लिये एक मात्र एम्बुलेंस के भरोसे यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था चल रही है। हालांकि समय-समय पर एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाने की मांग की जाती रही है। उसके बावजूद यहां शुरू से ही एक ही एम्बुलेंस के भरोसे स्वास्थ्य व्यवस्था चल रही है। स्थानीय लोगों द्वारा एम्बुलेंस की संख्या को बढ़ाने के लिये कई बार प्रयास किया गया। इन समस्याओं को लेकर सिविल सर्जन और स्वास्थ्य प्रबंधक
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