प्रशांत किशोर के जन सुराज से नाराज है एम वाई? मोनाजिर और देवेंद्र के इस्तीफे के क्या हैं मायने
2 अक्टूबर को पटना में बड़ी ही धूमधाम के साथ अपनी पार्टी लॉन्च करने वाले पीके को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषकों का यह मानना रहा है कि बिहार की राजनीति में पांव जमाने के लिए उनकी नजर शुरू से ही राजद के मुस्लिम-यादव (एम वाई) वोट बैंक में सेंध लगाने की रही है।
बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को चुनाव से पहले बड़ा झटका लग चुका है। पार्टी में कोर कमेटी के गठन को लेकर दिग्गज नेताओं की नाराजगी खुल कर सामने आई और स्थिति यहां तक आ गई कि देवेंद्र प्रसाद यादव और डॉ. मोनाजिर हसन ने कमेटी से इस्तीफा दे दिया। देवेंद्र प्रसाद जन सुराज के वरिष्ठ सदस्य के साथ-साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री भी हैं और डॉ. मोनाजिर हसन पूर्व मंत्री हैं। हालांकि, यह दोनों नेताओं ने यह भी कहा है कि वो फिलहाल जन सुराज के साथ मजबूती से बने रहेंगे। जन सुराज में दो दिग्गजों की नाराजगी सामने आने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि जिस फॉर्मूले को लेकर प्रशांत किशोर 2025 की बैतरणी पार करने की सोच रहे हैं कहीं वो फॉर्मूला फेल तो नहीं साबित हो रहा है।
2 अक्टूबर को पटना में बड़ी ही धूमधाम के साथ अपनी पार्टी लॉन्च करने वाले पीके को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषकों का यह मानना रहा है कि बिहार की राजनीति में पांव जमाने के लिए उनकी नजर शुरू से ही राजद के मुस्लिम-यादव (एम वाई) वोट बैंक में सेंध लगाने की रही है। प्रशांत किशोर पहले ही बिहार विधानसभा के चुनाव में 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने का ऐलान कर चुके हैं। प्रशांत किशोर अक्सर ही लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार दोनों ही नेताओं पर मुसलमानों को ठगने का आरोप लगाते रहे हैं।
बिहार में हुए जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां मुस्लिमों की आबादी 18 फीसदी है। खुद को मुसलमानों का मसीहा बताने में जुटे प्रशांत किशोर के लिए मोनाजिर हसन की नाराजगी भविष्य में भारी पड़ सकती है। कोर कमेटी से इस्तीफा देते हुए मोनाजिर हसन ने कहा है कि कोर कमेटी मजाक बन गया है। लंबी-चौड़ी कमेटी बनाने से गलत संदेश गया है। इसमें सबको एक साथ शामिल कर दिया गया। इससे निराशा हुई है। कमेटी में पूर्व मंत्री के साथ वार्ड के सामान्य कार्यकर्ता को भी शामिल कर दिया गया है। यह गैर राजनीतिक कदम है। इससे पार्टी को नुकसान होगा। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर भी सवाल खड़ा किया।
देवेंद्र यादव की गिनती आज भी उत्तर बिहार के दिग्गज नेताओं में होती है। झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके देवेंद्र यादव फुलपरास से विधायक भी चुने जा चुके हैं। कहा जाता है कि एक वक्त था जब देवेंद्र यादव लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी थे। हालांकि, देवेंद्र यादव कुछ वक्त के लिए समाजवादी पार्टी में भी रहे। बाद में वो जन सुराज में शामिल हुए थे। देवेंद्र यादव ने कोर कमेटी छोड़ने की वजह बताते हुए कहा था कि इसमें वरीयता का ख्याल नहीं रखा गया है। मिथिलांचल के बड़े नेताओं में शुमार देवेंद्र यादव देवेगौड़ा सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। जेपी आंदोलन से निकलने वाले देवेंद्र यादव के बारे में कहा जाता है कि उनके इलाके में उनकी काफी मजबूत पकड़ है। जाहिर है इन दोनों नेताओं की नाराजगी अगर आगे भी यूं ही बनी रही तो पीके की जन सुराज के लिए आगे की राह मुश्किलों भरी होगी।