उत्तर बिहार के ड्रीम प्रोजेक्ट को मोदी कैबिनेट से मंजूरी, पूर्वोत्तर तक बढ़ेगी रेल कनेक्टिविटी
केंद्रीय कैबिनेट ने उत्तर बिहार के पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, दरभंगा और मुजफ्फरपुर जिले में रेलवे लाइन के दोहरीकरण और नई लाइन के निर्माण की लंबित परियोजना को मंजूरी दी। 4553 करोड़ रुपये की लागत से 286 किलोमीटर रेल लाइन का निर्माण किया जाएगा।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बिहार को ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ने वाली एक बड़ी रेल परियोजना को मंजूरी दी है। इसके तहत नरकटियागंज-सीतामढ़ी रेलवे लाइन को डबल किया जाएगा। यह उत्तर बिहार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इससे बिहार समेत पूर्वोत्तर राज्यों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। उन्हें रेल के साथ बंदरगाहों की भी कनेक्टिविटी उपलब्ध हो सकेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। केंद्रीय सूचना प्रसारण और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह परियोजना 4553 करोड़ रुपये की है। इससे बिहार में कनेक्टिविटी को अभूतपूर्व मजबूती मिलेगी। इस प्रोजेक्ट के तहत 286 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कहा कि यह उत्तर बिहार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। लंबे समय से इसकी मांग उठ रही थी। इस परियोजना के तहत बिहार में नेपाल बॉर्डर के साथ-साथ नरकटियागंज, रक्सौल, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी आदि को जोड़ने वाला बड़ा ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर बनाया जाएगा। इस बड़ी परियोजना से जनकपुरी, लुंबिनी, अयोध्या जैसे धार्मिक स्थलों की कनेक्टिविटी भी आसान होगी।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना का निर्माण होने के बाद मिथिलांचल में अगर कोई निवेशक आता है तो उसे बंदरगाह से जोड़ने में भी यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट साबित होगा। इसके निर्माण से उत्तर बिहार और राज्य के अन्य जिलों के लिए सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर उपलब्ध हो सकेगा।
सरकार द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि नरकटियागंज से रक्सौल, सीतामढ़ी होते हुए दरभंगा तक रेल लाइन का दोहरीकरण किया जाएगा। वहीं, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर जिले के बीच मल्टी-ट्रैक बिछाए जाएंगे। इससे पैसेंजर ट्रेनों और मालगाड़ियों का परिचालन और आसान होगा। यह प्रोजेक्ट क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाएगा।