लालू यादव ने 32 बार लिखा बिहार=बलात्कार, उपेंद्र कुशवाहा ने बताया राज्य का अपमान, याद दिलाया जंगलराज
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के एक ट्वीट पर सियासी घमासान छिड़ गया है। लालू ने 32 बार बिहार= बलात्कार लिखा है। जिस पर आरएलएम चीफ उपेंद्र कुशवाहा ने इसे बिहार का अपमान करार दिया है। और जंगलराज याद दिलाया है।
बिहार में कानून व्यवस्था को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार नीतीश सरकार को घेर रहे हैं। लूट, हत्या और बलात्कार की घटनाओं की लिस्ट बनाकर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। अब तेजस्वी के पिता और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने भी अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट किया। जिसको लेकर सियासी बवाल खड़ा हो गया है। लालू यादव ने ट्वीट करते हुए 32 बार बिहार=बलात्कार लिखा है। जिसके पर राष्ट्रीय लोक मंच के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने तीखा हमला बोला है। और इसे बिहार का अपमान करार दिया है।
उपेंद्र कुशवाहा ने लालू यादव की पोस्ट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि जिस बिहार ने आपको अपने पलकों पर बिठाया, इतना विश्वास व्यक्त किया...! आज उसी बिहार के लिए 32 बार बिहार=बलात्कार कहना बिहारी अस्मिता और बिहार के गौरवशाली इतिहास पर हमला नहीं है क्या ? किसी क्षेत्र में बलात्कार जैसे जघन्य अपराध होना वहां के कुछ लोगों की आपराधिक मानसिकता का परिणाम है। इसके आधार पर पूरे प्रदेश का आपके द्वारा ऐसा नामकरण करना दुर्भाग्य की बात है। खास कर जिनके शासनकाल को बिहार और देशवासियों ने जंगलराज कहा है उन्हें तो कोई नैतिक अधिकार है ही नहीं कुछ बोलने का।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आज यदि अपराध की कोई छिटपुट घटनाएं होती हैं। तो अविलंब गिरफ़्तारी और स्पीडी ट्रायल होता है वहीं आपके जमाने में तो CM हाउस में ही अपराध की पटकथा लिखी जाती थी और अपराधियों को संरक्षण दिया जाता था। आज बिहार में कोई संगठित अपराध या अपराधी नहीं है। जैसा की आपके शासन के दौरान उन 15 वर्षो में था। आज भी रूंहें कांप जाती है उस काल को याद करके...!
राज्य में विधि व्यवस्था को लेकर तेजस्वी यादव क्राइम बुलेटिन जारी करते हैं। लालू जैसा ही एक ट्वीट तेजस्वी ने भी किया था। और 56 बार हत्या लिखा था। और आखिर में राम नाम सत्य, सुशासन का तथ्य, राम नाम सत्य! वहीं राज्य में लॉ एंड ऑर्डर को लेकर सीएम नीतीश ने गृह विभाग की समीक्षा बैठक की थी। और सख्त निर्देश दिए थे। राज्य के डीजीपी आलोक राज भी सभी जिलों के कप्तानों और आला अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक कर चुके हैं। और एसपी से लेकर थानेदारों तक को टास्क दिया है। फिलहाल राज्य में विधि व्यवस्था को लेकर राजनीति अपने चरम पर है।