मंदिर और ठाकुरवाड़ियों में रही सावन के झूलनोत्सव की धूम
मंदिर और ठाकुरवाड़ियों में रही सावन के झूलनोत्सव की धूम
बड़हिया, एक संवाददाता। सावन पूर्णिमा के विशेष मौके पर नगर व प्रखण्ड क्षेत्र स्थित विभिन्न मंदिरों और ठाकुरवाड़ियों में चल रहा झूलनोत्सव परवान पर रहा। मंदिरों में स्थित झूले पर झुकाए जा रहे भगवान के दर्शन और प्रस्तुत झांकी को देखने लोगों की भीड़ लगी रही। इस बीच देर रात तक बाजारों में चहल पहल बनी रही। छोटे से बाजार में मेले की स्थिति रही। हर उम्र के लोगों के आवागमन के बीच जगह जगह अस्थाई रूप से मीठे पकवान, चाट समोसे, गुब्बारे और खेल खिलौने के अस्थाई दुकान लगाये गए थे। मंदिर और ठाकुरवाड़ियों के समक्ष लगाए गए मिठाई की दुकानों पर खरीददारों की भीड़ लगी रही। नगर स्थित गोपाल मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर, राजाजी ठाकुरबाड़ी, राधामोहन ठाकुरवाड़ी, राजरानी ठाकुरवाड़ी, मालती ठाकुरवाड़ी, रामाश्रय बाबू ठाकुरवाड़ी, लखनलाल जी ठाकुरवाड़ी, दूधनाथ शिवाला आदि में पूर्णिमा के मौके पर श्रद्धालुओं की भाड़ी भीड़ रही। झूले और झांकी के साथ ही कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किये जा रहे रात्रि जागरण सह सांस्कृतिक कार्यक्रम का लोगों ने जमकर आनंद उठाया। इस बीच पुलिस बलों की लगातार ही शहर में पेट्रोलिंग की जाती रही। भक्ति रस में सराबोर कलाकारों ने अहले सुबह तक लोगों को बांधे रखा। जिंसके बाद भव्य आरती बाद भगवान को यथा स्थान स्थापित किया गया। ज्ञात हो कि बड़हिया के सावन झूला का बड़ा ही गौरवान्वित इतिहास रहा है। जिसमें शामिल होने के लिए प्रदेश के सुदूर विभिन्न जिला से लोग यहां पहुंचते थे। पूरे एक पखवाड़े चलने वाले इस झूले में न सिर्फ यहां की अर्थव्यवस्था बल्कि सांस्कृतिक विरासत भी समृद्ध होती थी। देश के अलग अलग प्रदेशो के नामचीन कलाकर यहां प्रवास करते हुए अपनी कला का प्रदर्शन करते थे। जिनका उद्देश्य न सिर्फ लोगों का मनोरंजन कर धन का उपार्जन करना था, बल्कि विशिष्ट कलाकारो से नायाब कला को सीखने की लालसा भी शामिल होती थी। इन सावन के उत्सव बीच दिन और रात के भेद खत्म ही हो जाते थे। दिन रात चौबीस घण्टे दुकान खुले रहते और हर वर्ग के लोग अपनी सुविधा अनुसार स्थायी अस्थायी दुकान लगाकर अपना कारोबार किया करते थे। 80 के दशक तक चली इस परंपरा ने असामाजिक तत्वों के हस्तक्षेप से पलायन कर लिया। तब से तो बस औपचारिक रूप से नगर के विभिन्न मंदिरों और ठाकुरवाड़ियों में राधा रानी और राम दरबार आदि के लिए झूलनोत्सव का आयोजन किया जाता है।
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