मधुमेह पीड़ित गर्भवती महिलाएं रहें सावधान और सतर्क, गर्भावस्था के दौरान उचित प्रबंधन से सुरक्षित
मधुमेह पीड़ित गर्भवती महिलाएं रहें सावधान और सतर्क, गर्भावस्था के दौरान उचित प्रबंधन से सुरक्षित प्रसव संभव

लखीसराय, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि बदलती जीवनशैली और परिवेश के साथ मधुमेह की समस्या भी आम हो गई है। वर्तमान दौर में इस परेशानी से किसी भी आयु वर्ग के लोग ग्रसित हो सकते हैं। इसका प्रमाण दिन- प्रतिदिन लगातार ऐसे मरीज की संख्या में वृद्धि है। ऐसे में लोगों को बचाव के लिए सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। खासकर मधुमेह पीड़ित हो चुकी गर्भवती महिला को अधिक सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है। दरअसल गर्भावस्था के दौरान ऐसी महिला को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने से सुरक्षित और सामान्य प्रसव संभव है। इसके लिए सरकार द्वारा भी हर जरूरी प्रयास किया जा रहा है ।
स्थानीय स्तर भी समुचित जांच और उचित प्रबंधन की व्यवस्था है। इसलिए मधुमेह से ग्रसित गर्भवती को गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जांच जरूर करानी चाहिए। मधुमेह ग्रसित गर्भवती को समय पर जांच कराना जरूरी सदर अस्पताल में तैनात वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ कुमार अमिय एवं डॉ रूपा सिंह ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान मधुमेह से ग्रसित महिला की समय पर जांच और आवश्यक उपचार जरूरी है। लापरवाही से जान जाने का भी खतरा बना रहता है। दरअसल मधुमेह के प्रति लापरवाही करने से ना केवल गर्भवती को परेशानी से सामना पड़ सकता बल्कि गर्भस्थ शिशु का विकास भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की जांच जरूर करानी चाहिए। ताकि समय पर परेशानी का पता चल सके और ससमय जरूरी इलाज सुनिश्चित हो सके। जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में मधुमेह जांच की सुविधा बिल्कुल मुफ्त उपलब्ध है। 30 से 60 प्रतिशत गर्भपात की भी रहती है संभावना- डॉ रूपा की माने तो यदि समय से उपचार नहीं हो पता है तब आगे चलकर प्रसूता एवं गर्भस्थ शिशु में विभिन्न जटिलताएं हो सकती एवं दोनों टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित हो सकते हैं। इससे गर्भवती में इन्फेक्शन, प्रसव अवधि में बढ़ोतरी, जटिलतापूर्ण प्रसव, सिजेरियन प्रसव, प्रसव के बाद गर्भाशय का सिकुड़ नहीं पाना एवं प्रसव के बाद अत्यधिक रक्त स्राव जैसी तमाम जटिल समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिससे प्रसूता की जान पर भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। गर्भावस्था जनित मधुमेह से गर्भस्थ शिशु को भी समस्या हो सकती है। इससे गर्भस्थ शिशु की मृत्यु, मृत शिशु का जन्म, बर्थ डिफेक्ट, बर्थ इन्जरी एवं नवजात शिशु में ग्लूकोज की कमी के साथ पहले तीन महीने में अचानक गर्भपात की संभावना 30 से 60 प्रतिशत तक हो सकती है। गर्भवस्था में मधुमेह का उपचार- डॉ अमित की माने तो इसके उपचार के लिए सरकार द्वारा तीन व्यवस्था की गई है। पहला भोजन एवं पोषण संबंधित, दूसरा दवाई एवं तीसरा इन्सुलिन इंजेक्शन के द्वारा। गर्भावस्था में मधुमेह पीड़ित महिला को पोषण संबंधी जानकारी दी जानी जरूरी है। जिससे वह समझ सके कि गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए पोषण युक्त आहार क्या है। उपयुक्त वजन में बढ़ोत्तरी कितनी होनी चाहिए एवं खून में सामान्य ग्लूकोज स्तर को प्राप्त करने एवं बनाए रखने के लिए कितना और कौन सा भोजन लेना है। जिन मधुमेह पॉजिटिव महिला का मधुमेह, पोषण संबंधित उपचार से नियंत्रित नहीं होता है, उन्हें दवा दी जाती है। साथ ही जब दवा सेवन के बाद भी मधुमेह अनियंत्रित होता है। चिकित्सक द्वारा इंजेक्शन द्वारा इन्सुलिन की डोज दी जाती है। इधर सीएस डॉ बीपी सिन्हा ने सभी गर्भवती महिला व उनके परिजन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में अनिवार्य रूप से जांच करने का आग्रह किया।
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