महात्मा गांधी के बलिदान दिवस को स्मृति दिवस के रूप में मनाया
महात्मा गांधी के बलिदान दिवस को स्मृति दिवस के रूप में मनाया
लखीसराय, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। शहर के नया बाजार केआरके मैदान स्थित टाउन हॉल में फ्रेंडस ऑफ आनंद के बैनर तले गुरुवार को समाजसेवी श्याम किशोर प्रसाद सिंह के अध्यक्षता में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बलिदान दिवस को स्मृति दिवस के रूप में मनाया गया। उद्घाटन मुख्य अतिथि पूर्व सांसद आनंद मोहन, आसिफ अली, जितेंद्र नीरज, साधु शरण सिंह ,अमित कुमार सिंह, पिंटू सिंह तोमर, सुनील कुमार चंद्रवंशी, मुकेश यादव एवं श्याम किशोर प्रसाद सिंह ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद आनंद मोहन ने नीतीश कुमार की आधी आबादी की भागीदारी व महिला सशक्तिकरण के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार देने का मांग किया। महात्मा गांधी के अहिंसा वादी नीति पर चर्चा करते हुए पूर्व सांसद ने कहा कि गांधी के बिना भारत के परिकल्पना असंभव है। गांधी को समझने के लिए उन्हें पढ़ना जरूरी है। 100 से अधिक देश में गांधी जहां गए भी नहीं थे। उनका प्रतिमा स्थापित है। उन्हें लोग आदर्श मानकर सामाजिक कार्य में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज धरना प्रदर्शन आमरण अनशन आंदोलन पूरी दुनिया को गांधी की देन है जिसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता। किसी भी आंदोलन या तानाशाह शासन को हटाने के लिए सबसे बड़ा हथियार अहिंसा है। जिसे गांधी ने पूरे विश्व को दिया। हिंसा से कभी भी किसी आंदोलन या तानाशाह व्यवस्था को समाप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने भगवान राम भगवान, श्री कृष्ण, ईसा मसीह, मोहम्मद पैगंबर एवं महात्मा बुद्ध के बाद महात्मा गांधी को अवतरित पुरुष बताया। अपने पूरे भाषण के दौरान पूर्व सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम विजय कुमार सिंहा एवं सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के विकास कार्य का चर्चा किया। हालांकि कार्यक्रम के बाद प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने ट्रिपल एस जिसमें शराब बंदी, जमीन सर्वे एवं स्मार्ट मीटर पर सवाल उठाते हुए सरकार से इन तीनों पर पुनर्विचार करने का पुरजोर मांग व समर्थन किया। वृद्धा, विधवा एवं दिव्यांग पेंशन को पांच हजार करने का मांग किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्याम किशोर सिंह ने कहा कि मेरी नजर में कबीर साहब एवं महात्मा गांधी विश्व के महानतम आध्यात्मिक क्रांतिकारी में से एक हैं। कबीर साहब ने अपनी वाणी से मध्ययुगीन बर्बर शासको के समय न केवल हिंदू पाखंडवाद पर प्रहार किया बालिक इस्लामिक कट्टरता पर भी जबरदस्त हमला बोला था। सतत अनवरत समाज की बुराइयों एवं आध्यात्मिक अज्ञानता को दूर करने के लिए अपने तीखे भजन एवं दोहों को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया था। बावजूद इन क्रांतिकारी हमले के बर्बर, निर्मम सुल्तान की सत्ता उनका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकी परंतु अपने ही चेलों की सरकार में सत्य एवं अहिंसा के अन्यतम पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्राणों की रक्षा नहीं हो सकी। तमाम सूचनाओं आशंकाएं मौजूद रहने के बावजूद तत्कालीन सरकार गांधी जी की हत्या रोकने में विफल रही 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर गांधी जी का कत्ल कर दिया गया। हमारे आर्ष ग्रंथ कहते हैं की मृत्यु केवल देह का अभाव है और देही अमर है। जीव नित्य है देह नश्वर है। गांधी जी का कथन ईमानदार मतभेद आमतौर पर प्रगति के स्वस्थ संकेत हैं। गांधी जी की अमर विचार हमारे साथ हैं। हमारे मार्गदर्शक हैं। परंतु दुख की बात यह है कि आज का राजनीतिक विरोध राष्ट्रीय अस्मिता को भी कलंकित करने से परहेज नहीं कर रहा है। गांधी जी के सपनों एवं विचारों से दूरी बना रहे हैं। वह गांधीवाद को गंभीरता से लेते हुए प्रतीत नहीं हो रहे हैं। आज के राष्ट्रीय परिस्थिति में एक बार फिर गांधी जी के विचार आवश्यक ही नहीं अपरिहार्य प्रतीत हो रहे हैं। विचारों का गहन मंथन राष्ट्र की सलामती एवं मजबूती के लिए अत्यावश्यक प्रतीत होता है। स्वस्थ परिसंवाद जरूरी है। मौके पर अशोक पासवान, ब्रह्मचारी यादव, रामगोपाल ड्रोलिया, योग प्रशिक्षक हरिदरश सिंह उर्फ चुन्नू भाई, धनराज पटेल, सत्येंद्र कुमार सिंह, एवं विजय कुमार सिंह सहित अन्यलोक मौजूद थे।
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