श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी का पट खुला, दर्शन को
श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी का पट खुला, दर्शन कोश्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी पट खुला, दर्शन कोश्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी पट खुला,
श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी का पट खुला, दर्शन को श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी का पट खुला, दर्शन को
उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
श्रद्धालुओं के जय माता दी की घोष के साथ वातावरण हुआ गंुजायमान
घंटों मां की जयकारा से आसपास का वातावरण हो उठा भक्तिमय
परबत्ता, एक प्रतिनिधि
प्रखंड के चतुर्भुज दुर्गा मंदिर बिशौनी क़ा बुधवार की शाम पट खुलते ही मैया के दर्शन के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। शंख नाद घंटे की चोट से वातावरण गुंजायमान हो रही है। वही श्रद्धालुओं के जय माता दी की घोष के साथ मां दुर्गा सहित अन्य देवी व देवताओं की प्रतिमा को पिंडी पर विराजमान कर दिया गया। इधर अतिप्राचीन सिद्ध पीठ श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी का पट दर्शन हेतु खोल दिया गया मंदिर का पट खुलते ही मां चतुर्भुजी दुर्गा का दर्शन के लिए श्रद्धालु बारी-बारी से पहुंचने लगें। घंटों मां की जयकारा से वातावरण भक्तिमय हो उठा। उसके बाद संध्या पूजन किया गया। मां की पूजा- अर्चना से सभी जगह माहौल भक्ति मय बना हुआ है। श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी में षष्ठी के दिन ही मंदिर का पट खोलने की परंपरा सदियों पुरानी है। जबकि अष्टमी पर सुबह सभी दुर्गा मंदिर का पट खोल दिया जाएगा। ताकि भक्तजन मां दुर्गा का दर्शन कर सके। बुधवार को मां के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा होगी। दुर्गा सप्तशती का श्लोक से वातावरण भक्तिमय हो चुका हैं। माँ दुर्गा की प्रतिमा पिंडी पर विराजमान होने के बाद पूजा पाठ की विधि विधान ओर बढ़ जाती हैं। पंडित डॉ प्राण मोहन कुंवर, पंडित मनोज कुंवर, आचार्य उत्कर्ष गौतम उर्फ रिंकू झा ने बताया कि षष्ठी की संध्या पिंडी पर मां की प्रतिमा विराजमान होने के बाद श्रृंगार से भरी डाली को लेकर माँ दुर्गा का आह्वान किया गया। जिसे आमतौर पर अधिवास पूजा कहते हैं। वहीं सप्तमी के दिन उक्त श्रृंगार से भरी डाली का उपयोग मां भगवती की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा में किया जाता हैं। उस दिन से माँ भगवती की पूजा वृहत रुप से प्रारंभ हो जाती हैं। मंदिरों में विधिवत् तरीकों से पूजन को देखने के भक्तो की आना शुरू हो चुका है।
आज रात में होगा निशा का पूजन : बिशौनी गांव स्थित अति प्राचीन सिद्ध पीठ श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर में प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र के दौरान किये जाने वाले निशा पूजन का एक अलग ही महत्व है। मां शक्ति के सातवें रूप को कालरात्रि के रूप में जाना जाता है। सप्तमी को मं का महास्नान कराया जाता है। इसी दिन रात में निशा पूजा का आयोजन होता है। मंदिर के मुख्य पुजारी की देखरेख में निशा पूजा का आयोजन किया जाता है।
कबूतर व काले छागड़ की दी जाती है बलि: इस पूजन में अन्य धार्मिक क्रिया कलापों के अलावा बलि से इसकी शुरुआत होती है। इसमें काले कबूतर व काले छागड़ की बलि दी जाती है।इस पूजा की शुरुआत बारह बजे रात में होती है,जो अगले दो घंटे तक चलती है। ऐसी मान्यता है कि इस पूजन को देखने मात्र से मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा मां का आशीर्वाद मिलता है। इस पूजा को देखने के लिये प्रतिवर्ष काफी संख्या में श्रद्धालू मंदिर में जुटते हैं। ऐसी मान्यता है कि माँ जिस भक्त पर प्रसन्न होती हैं उसे ही निशा पूजा देखने का सौभाग्य प्राप्त होता है। जिन पर मां की कृपा नहीं होती है वे पूजा शुरु होने तक स्वयं को रोक नहीं सकते हैं और निद्रा के आगोश में चले जाते हैं। पूजा के समापन पर भक्तों को प्रसाद दिया जाता है। इस प्रसाद को प्राप्त करने वालों को उसी समय बिना रुके अपने घर जाना पड़ता है तथा उसे प्रसाद देना पड़ता है। जिसके लिये मन्नत मांगी गई है। निशा पूजा देखने एवं प्रसाद प्राप्त करने के चमत्कारिक परिणामों के दर्जनों किस्से इलाके के लोगों की जुबान पर है।
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