गणपति विसर्जन के साथ ही जिले में 15 दिवसीय पितृपक्ष शुरु
कटिहार में पितृपक्ष का श्राद्ध कार्यक्रम शुरू हो गया है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष से पहले कृष्ण पक्ष के 15 दिन इस पितृपक्ष के तहत पूर्वजों को तर्पण किया जाता है। भाद्र पूर्णिमा के बाद यह कार्यक्रम...
कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि जिले में पितरों को अर्पण व तर्पण को लेकर पितृपक्ष का श्राद्ध कार्यक्रम शुरू हो गया। प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष से पहले कृष्ण पक्ष के 15 दिन पितृपक्ष के नाम से जाने जाते हैं। बुधवार को भाद्र पूर्णिमा प्रात:काल 8 बजकर 50 मिनट के बाद पितृ पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुभारंभ हो गया। इसे
15 दिवसीय महालया श्राद्ध पक्ष या महालया पितृपक्ष भी कहते हैं। इस पितृपक्ष में व्यक्ति अपने अपने पूर्वजों को तिल ,जल के द्वारा तर्पण करते हैं तथा देहावसान पितरों की तिथि पर श्राद्ध आदि कर्म करके ब्राह्मण भोजन इत्यादि कराते हैं। इसी पक्ष में चतुर्दशी के बाद अमावस्या पर्व आता है जिसे पितृ विसर्जन अमावस्या कहते हैं। वैसे तो प्रत्येक माह की अमावस्या पितरों की पुण्यतिथि मानी गई है लेकिन, आश्विन मास की अमावस्या पितरों के लिए विशेष फलदायी मानी गई है। क्योंकि इस तिथि को समस्त पितरो का विसर्जन होता है । जिन पितरों की पुण्यतिथि परिजनों को ज्ञात नहीं होती या किसी कारण बस जिनका श्राद्ध तर्पण इत्यादि पितृपक्ष के 15 दिनों में नहीं हो पाता वह उनका श्राद्ध तर्पण आदि इसी दिन करने से पितरों को प्राप्त होता है। उक्त आशय की जानकारी देते हुए आचार्य अंजनी कुमार ठाकुर ने बताया कि आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ऊपर की रश्मि एवं रश्मि के साथ पितृप्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है।
क्या है श्राद्ध की मूलभूत परिभाषा
उन्होंने बताया कि श्राद्ध की मूलभूत परिभाषा यह है कि, प्रेत और पितर के निमित्त उनकी आत्मा की शांति के लिए श्रद्धा पूर्वक जो अर्पित किया जाता है वह श्राद्ध है। पितृ पक्ष भर में जो श्राद्ध तर्पण किया जाता है उससे वह पितृगण स्वयं आपलावित्त होते है । पुत्र या उसके नाम से उसका परिवार जो तिल आदि से तर्पण श्राद्ध आदि करते हैं उसमें रेतस का अंश लेकर वह चंद्रलोक में चंद्रमा ग्रहण करते हैं । ठीक आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से ऊपर की ओर होने लगता है ।15 दिन वे अपने-अपने भाग लेकर शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से उसी रश्मि के साथ रवाना हो जाते हैं ।इसीलिए इसको पितृपक्ष कहते हैं । इस पितृपक्ष में श्राद्ध तर्पण आदि करने से पितरों को तृप्त संतुष्टि होती है।
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