कर्मभूमि और जनसाधारण बनी ‘मानव तस्करी एक्सप्रेस’; बच्चों को कहां ले जा रहे ट्रैफिकर?
बीते तीन महीने में करीब 200 बच्चों का रेस्क्यू किया गया और 52 मानव तस्करों को दबोचा गया है। पूछताछ में सामने आया कि तस्कर परिजनों से झूठ बोलकर और पैसे का लालच देकर बच्चों को ले जाते हैं। इससे लिए वे गांव-गांव घूमकर गरीब परिवार की रेकी करते हैं। ।
बिहार-यूपी से चलने वाली कर्मभूमि और जनसाधारण एक्सप्रेस ‘मानव तस्करी एक्सप्रेस’ बनती जा रही है। इन्हीं दोनों ट्रेने से सबसे ज्यादा बच्चों की तस्करी कर मानव तस्कर यूपी, हरियाणा और पंजाब ले जा रहे हैं। बच्चे 13 से 17 वर्ष के बीच के होते हैं। इसका खुलासा आरपीएफ और जीआरपी की कार्रवाई से हो रहा है। हर दूसरे-तीसरे सप्ताह इन ट्रेनों से मानव तस्करों से बच्चों को मुक्त कराया जा रहा है। इसके अलावा दक्षिण भारत जाने वाले यशवंतपुर और बेंगलुरू एक्सप्रेस से भी तस्कर बच्चों को ले जा रहे हैं।
बीते तीन महीने में करीब 200 बच्चों का रेस्क्यू किया गया और 52 मानव तस्करों को दबोचा गया है। पूछताछ में सामने आया कि तस्कर परिजनों से झूठ बोलकर और पैसे का लालच देकर बच्चों को ले जाते हैं। इससे लिए वे गांव-गांव घूमकर गरीब परिवार की रेकी करते हैं। फिर परिजन की काउंसिलिंग करते हैं और कुछ रकम देकर बच्चों को ले जाते है। सबसे अधिक बच्चों को पंजाब और हरियाणा में दुकान, फैक्ट्री, खेत में काम कराने ले जाया जाता है। इंस्पेक्टर मनीष कुमार ने बताया कि मानव तस्करों पर निगरानी के लिए आरपीएफ ने एक टीम बना रखी है।
तीन माह में कर्मभूमि से 67 बच्चों का रेस्क्यू
बताया कि मुजफ्फरपुर में बीते तीन माह में सिर्फ कर्मभूमि एक्सप्रेस से 67, जनसाधारण से 17 और यशवंतपुर एक्सप्रेस से 8 बच्चों का रेस्क्यू किया गया है। इसके अलावा अन्य ट्रेनों से आरपीएफ ने किशोरों को मुक्त कराया है। बताया कि कर्मभूमि और जनसाधारण अनारक्षित ट्रेन है, इस कारण इसमें अन्य ट्रेनों से ढाई गुना तक भीड़ रहती है। इसमें पुलिस और टीटीई को भी जांच करने जाने में दिक्कत हो ती है। इसी कारण मानव तस्कर बच्चों को इन ट्रेनों से ले जाते हैं।
मजदूरी को ले जाते है बच्चों को
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर तस्कर कोसी व मिथिलांचल क्षेत्र के होते है। कोसी क्षेत्र में आर्थिक संपन्नता नहीं है। बताया कि कोसी, मिथिलांचल के अलावा सारण जिला के भी कुछ मानव तस्करी में संलिप्त हैं, जो सारण से सटे मुजफ्फरपुर, गोपालगंल, सीवान व चंपारण इलाके के बच्चों को मजदूरी के लिए ले जाते है।