मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिले, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू की केंद्र से मांग
जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने कहा कि मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलना ही चाहिए। वे जल्द ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलकर इस मांग पर जोर देंगे।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग की है। जेडीयू की यह मांग ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बांग्ला, मराठी, पाली, प्राकृत और असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके मद्देनजर जेडीयू ने अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने कहा कि वह जल्द ही इस सिलसिले में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलेंगे, उनके सामने यह मांग रखेंगे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट शेयर कर बताया कि मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलवाने के लिए वे साल 2018 से प्रयासरत हैं। केंद्र सरकार ने उस समय मैथिली के विद्वानों की विशेषज्ञ समिति गठित की थी। बीते 6 सालों में इस समिति की कुछ सिफारिशों पर काम हुआ, लेकिन मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिल पाया।
उन्होंने कहा कि मैथिली भाषा 1300 साल पुरानी है। समय-समय पर इसके साहित्य का विकास होता रहा है। बिहार और केंद्र में एनडीए की सरकारों ने मैथिली भाषा के संरक्षण और संवर्धन को लेकर बहुत काम किए हैं। नीतीश कुमार की पहल पर ही अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। संजय झा ने कहा कि केंद्र सरकार मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा भी देगी, उन्हें पूरा विश्वास है।
बता दें कि मराठी, बांग्ला, पाली, प्राकृत और असमिया के अलावा 6 भाषाओं - तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया को पहले ही शास्त्रीय भाषाओं की सूची में शामिल किया जा चुका है।
बीजेपी विधायक ने भी दो दिन पहले की मांग
पिछले दिनों दरभंगा के केवटी से बीजेपी विधायक मुरारी मोहन झा ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि मैथिली भारत के अलावा नेपाल के भी कई हिस्सों में बोली जाती है। यह सुमधुर भाषा है। शास्त्रीय भाषा के रूप में अधिसूचित होने के लिए यह सभी निर्धारित शर्तों को पूरा करती है। मैथिली से कई अन्य भाषाओं का जन्म हुआ। इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से इसका सांस्कृतिक संरक्षण तो होगा ही, साथ ही शिक्षा और मीडिया के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।