JDU का सपोर्ट पर चिराग और मांझी का क्या रूख, वक्फ बोर्ड बिल पर NDA के साथ कौन-कौन
हालांकि, एक वरिष्ठ जेडीयू नेता ने कहा कि इस बात की भी संभावना है कि विपक्ष के जोरदार प्रदर्शन को देखते हुए सरकार इस बिल को संसदीय कमेटी के पास भेज सकती है। इसकी मांग I.N.D.I.A. में शामिल कई दल कर रहे हैं।
लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल, 2024 (Waqf Amendment Bill, 2024) का बिहार में NDA सरकार की अहम और सबसे बड़े सहयोगियों में शामिल जेडीयू ने समर्थन किया है। जदयू नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने लोकसभा में इस बिल का जोर-शोर से समर्थन किया और विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि यह बिल एंटी-मुस्लिम है। हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में बताते हैं कि इस बिल पर NDA के अन्य साथियों का क्या रुख है।
लोकसभा में जदयू सांसद ललन सिंह ने कहा कि वक्फ संस्था को पारदर्शी बनाने के लिए यह संशोधन लाया जा रहा है। इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। जद(यू) के नेता ने कहा कई (विपक्षी) सदस्यों की बातों से लग रहा है कि यह विधेयक मुसलमान विरोधी है। यह कैसे मुसलमान विरोधी है? उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने मंदिरों की बात की है, लेकिन मंदिर और संस्था में अंतर है।
हालांकि, एक वरिष्ठ जेडीयू नेता ने कहा कि इस बात की भी संभावना है कि विपक्ष के जोरदार प्रदर्शन को देखते हुए सरकार इस बिल को संसदीय कमेटी के पास भेज सकती है। इसकी मांग I.N.D.I.A. में शामिल कई दल कर रहे हैं। इससे यह बात होगी की विपक्ष की बात भी रह जाएगी। जदयू नेता ने कहा कि केंद्र सरकार इस बिल को अगले सत्र में लाने का फैसला भी कर सकती है। कई मुस्लिम भी इस बिल का समर्थन कर रहे हैं यह वक्फ बोर्ड में सुधार और व्यापक पारदर्शिता के लिए है।
JD-U के महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि कैबिनेट का सदस्य होने के नाते ललन सिंह ने पार्टी लाइन पर जाकर अपनी बात रखी है। यहां तक कि जब बिल को कैबिनेट में लाया गया था तब उन्होंने इसका समर्थन किया था। जेडीयू ने बिल का समर्थन किया है।
क्या बोले चिराग पासवान
NDA के ही एक और सहयोगी लोकजन शक्ति पार्टी (रामविलास पासवान)के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पटना पहुंचने पर कहा कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों में कटौती की जाएगी। खासकर किसी भी प्रॉपर्टी को वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी घोषित करने और उसे नियंत्रित करने के मामले में। पार्टी अपना स्टैंड रखने से पहले इस बिल को पढ़ेगी उसके बाद ही अपना रूख साफ करेगी।
मांझी ने बिल का किया समर्थन
एनडीए के एक अन्य सहयोगी HAM ने पहले ही इस बिल का समर्थन किया है। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी पहले कह चुके हैं कि वक्फ लॉ में सुधार समय की मांग है। बिहार बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल ने कहा कि कोई भी संस्थान कानून और संविधान से ऊपर नहीं है। इस बिल में इस बात का प्रावधान है कि अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति वक्फ बोर्ड के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वो अदालत का रुख कर सकता है जबकि पहले ऐसा संभव नहीं था। इससे पहले वो सिर्फ वक्फ ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटा सकते थे। यह बिल मुस्लिमों को और शक्तियां प्रदान करता है।
RJD ने साफ किया रूख
हालांकि राजद और अन्य कई विपक्षी पार्टियों का रूख अलग है। राजद सांसद मीसा भारती ने कहा, 'विपक्ष के दबाव की वजह से सरकार ने इस बिल को जेपीसी में भेजा। सच्चाई यह है कि इस बिल की कोई जरुरत नहीं है। मैं इस बात का समर्थन करती हूं कि वक्फ बोर्ड में महिलाओं को शामिल करने की बात कही गई है, लेकिन इसमें गैर-मुस्लिमों को शामिल कर सरकार अल्पसंख्यकों क्या मैसेज देना चाहती है।'
पिछले 17 साल से सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन मोहम्मद इरशाददुल्लाह ने कहा कि जब जेडीयू ने इस बिल का समर्थन किया है तब कुछ भी नहीं कहना है। यह पार्टी लाइन के साथ है। मैंने यह भी आग्रह किया है कि इसे सलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए ताकि व्यापक तौर से इसे पढ़ा जा सके। इस बिल में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने की बात कही गई है इसपर इरशाद्दुल्लाह ने कहा कि अब कमेटी अलग-अलग चीजों पर विचार करेगी। वक्फ बोर्ड की सदस्या मुस्लिम महिलाएं हो सकती हैं लेकिन गैर-मुस्लिमों का कोई प्रावधान नहीं है। बिहार में सुन्नी वक्फ बोर्ड में भी एक महिला सदस्य हैं।
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर एनके चौधरी ने कहा कि इससे वक्फ बोर्ड में जबरदस्त सुधार होगा। यह सच्चर कमेटी की सिफारिशों पर आधारित है, जो लंबे समय से लागू होने के इंतजार में था। उन्होंने कहा कि हालांकि, इसपर जो अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ ही हैं उसका अंदाजा वोट बैंक की राजनीतिक को देखते हुए पहले से ही था।