बंगाल के मजदूर छीन रहे हैं स्थानीय मजदूरों का रोजगार
मखदुमपुर, निज संवाददाता। कबाड्डी के सामान खरीदने वाले अधिकांश लोग बंगाल के ही हैं। जो गांव गांव घूम कर प्लास्टिक लोहा, कागज आदि की कचरा ले रहे हैं और बदले में घरेलू सामान चलनी साबूंदानी, सजावटी सामान...
मखदुमपुर, निज संवाददाता। प्रखंड में इन दोनों बड़ी संख्या में पश्चिम बंगाल के मजदूरों को देखा जा रहा है। ये मजदूर सबसे अधिक निर्माण कार्य एवं फेरी के सामान बेचते नजर आते हैं। कबाड्डी के सामान खरीदने वाले अधिकांश लोग बंगाल के ही हैं। जो गांव गांव घूम कर प्लास्टिक लोहा, कागज आदि की कचरा ले रहे हैं और बदले में घरेलू सामान चलनी साबूंदानी, सजावटी सामान आदि की बिक्री करते हैं। इसके अलावे मूंगफली, सोनपापड़ी आदि बेचने वाले भी बंगाली लोग ही हैं। यह टूटी फूटी हिंदी में बात कर खरीद बिक्री करते हैं। घर निर्माण कार्य में भी अधिकांश कारीगर और मजदूर बंगाली देखे जा रहे हैं। इससे स्थानीय मजदूरों की हक मारी जा रही है। इस संबंध में एक घर निर्माण करने वाले मालिक बृजेश शर्मा ने कहा कि बंगाल के मजदूर दिन रात काम कर कार्य को जल्दी पूरा कर देते हैं। दूसरे इनके राजमिस्त्री पूरी तरह ट्रेंड रहते हैं। घरों में जैसे चाहे नकाशी कर देते हैं। जबकि स्थानीय मजदूरों को बार-बार समझाना पड़ता है एवं समय की पाबंदी नहीं रहती है। तो दूसरी ओर स्थानीय मजदूरों का कहना है कि बाहरी मजदूरों के आने से उन लोगों के रोजगार कम हो रहे हैं। इससे मजदूरों का पलायन तेजी से दूसरे शहरों में हो रहा है। फोटो-24 सितम्बर जेहाना-01 कैप्शन-मखदुमपुर बाजार से ग्रामीण क्षेत्र में साइकिल पर सामान ले जाते बंगाल के मजदूर।
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