त्याग, बलिदान और सच्चे प्रेम की कहनी है नागमंडल नाटक
प्रयास नाट्य महोत्सव में गिरीश कार्नाड का बहुचर्चित नाटक 'नागमण्डल' का हुआ मंचन, मखदुमपुर गांधी मैदान में प्रयास नाट्य मेला के तीसरी संध्या प्रख्यात लेखक गिरीश कर्नाड लिखित नाटक नागमंडल की प्रस्तुति...
प्रयास नाट्य महोत्सव में गिरीश कार्नाड का बहुचर्चित नाटक 'नागमण्डल' का हुआ मंचन एक नारी की कसमकस और पुरुष मानसिकता को दर्शाती कहानी मखदुमपुर,निज संवाददाता। मखदुमपुर गांधी मैदान में प्रयास नाट्य मेला के तीसरी संध्या प्रख्यात लेखक गिरीश कर्नाड लिखित नाटक नागमंडल की प्रस्तुति दी गई। नाटक की बेजोड़ कथानक के साथ कलाकारों ने इसकी शानदार प्रस्तुति दी । जिसे उपस्थित हजारों दर्शकों ने तालियों के माध्यम से सराहा। नाटक का प्रवाह शुरू से अंत तक बना रहा। नाटक का मुख्य पात्र अपणा और नायिका रानी की नई-नई शादियां होती हैं। लेकिन अपणा का रानी से प्रेम नहीं है, वह एक दूसरी बाजरु स्त्री से प्रेम करता है। सिर्फ एक बार खाने के लिए घर पहुंचता है और घर में बाहर से ताला लगा कर चला जाता है। तभी एक दिन एक अंधी मां रानी से मिलने आती है जो उसकी सास की सहेली थी। रानी से सारा हाल जानकर उसने एक जड़ी दी और कहा कि इसे पीसकर अपने पति को पिला दे जिससे वह उसके बस में हो जाएगा। अंधी मां की आने की सूचना पाकर उसने दरवाजे पर एक शिकारी कुत्ता रख दिया। उसने रानी को सख्त हिदायत दी की वह किसी से ना मिले। लेकिन रानी ने उसे जड़ी को अपने पति को पिलाने के बजाय पीपल के पेड़ के नीचे एक बोमबी में डाल देती है। जिसमें एक इच्छाधारी सांप रहता था। जड़ी मिला पानी पीने से सर्प रानी पर मोहित हो गया। सर्प प्रत्येक रात पुरुष के बेस में रानी के कमरे में पहुंच जाता है। रानी इसे एक सपना समझती है। कुछ दिनों के बाद रानी गर्भवती हो जाती है जिससे उसका पति अपणा काफी नाराज होता है। उसने गांव को पंचों को बुलाया और कहा कि उसकी पत्नी का अवैध संबंध है यह बच्चा मेरा नहीं है। पांच ने गांव के रीति रिवाज के अनुसार पीपल के नीचे नाग देवता से न्याय करवाने का निर्देश दिया। लेकिन पूरे गांव के सामने नाग देवता आए और रानी को आशीर्वाद देकर लौट गए। नियम के अनुसार जो पापी होता था उसे नाग देवता डस लेते थे। नाग देवता को देखकर ग्रामीण और पंच लोग प्रणाम कर लौट गए। सर्प रानी से सच्चा प्रेम करता था। अंत में इस प्रेम की अमरता के लिए सर्प अपनी जान दे देता है। ताकि रानी के पति का शक उस पर ना हो। नाटक के माध्यम से यह बताया गया कि सच्चा प्रेम किसी से भी हो सकता है। नाटक के मुख्य पात्र अपना का किरदार अखिलेश नारायण ने किया जबकि रानी का किरदार जागृति कोठारी ने किया अंधी मां का किरदार परमजीत ने किया कलाकारों ने अपनी जबरदस्त प्रस्तुति से लोगों का दिल जीत लिया। नाटक की प्रस्तुति देहरादून की एकलव्य थिएटर ग्रुप के द्वारा किया गया। आज के कार्यक्रम का उदधाटन थानाध्यक्ष डीएसपी राजकुमार सिंह और सामाजिक कार्यकर्ता शाहजहां खान और तिलक देव शर्मा ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रयास के निदेशक और उपाध्यक्ष मिथिलेश जी ने कहा कि इस खेल मैदान पर खेल के साथ अब नाट्य महोत्सव प्रत्येक वर्ष किया जाएगा। ताकि जहानाबाद को कला के क्षेत्र में एक विशेष पहचान मिल सके। नाटक से पहले नुक्कड़ नाटक और जादू का खेल दर्शकों को दिखाया गया। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बाल विवाह और दहेज प्रथा के विकृति के बारे में लोगों को बताया गया। किस तरह दहेज के चक्कर में हमारी बेटियों को अयोग्य लड़कों से शादी कर दी जाती है। कार्यक्रम देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। फोटो-23 अक्टूबर जेहाना-24 कैप्शन-मखदुमपुर गांधी मैदान में आयोजित प्रयास नाटय महोत्सव में अपनी कला को बिखरते कलाकार।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।