बिहार में निवेश के प्रस्तावों पर फैसले में नहीं होगी देरी, पांच करोड़ तक के इन्वेस्टमेंट पर सचिव ही लेंगे फैसला
भी उद्योग विभाग के समक्ष आने वाले निवेश प्रस्ताव के सभी आवेदनों पर राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद की बैठक में विचार होता है। इसमें दो करोड़ रुपये से कम और दो करोड़ से अधिक के प्रस्ताव होते हैं।
बिहार में अब पांच करोड़ रुपये तक के निवेश प्रस्ताव पर उद्योग विभाग के स्तर पर ही निर्णय लिया जाएगा। ऐसे प्रस्तावों पर विचार के लिए उद्योग विभाग सचिव की अध्यक्षता में बैठक होगी। राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद की बैठक में इस पर सहमति बनी है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह लागू हो जाएगा। अभी उद्योग विभाग के समक्ष आने वाले निवेश प्रस्ताव के सभी आवेदनों पर राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद की बैठक में विचार होता है। इसमें दो करोड़ रुपये से कम और दो करोड़ से अधिक के प्रस्ताव होते हैं। करीब 30 फीसदी प्रस्ताव पांच करोड़ रुपये से कम के होते हैं। ऐसे में कई बार छोटे निवेश प्रस्तावों पर भी अनावश्यक देरी होती थी।
इसीलिए राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद की 57वीं बैठक में विचार किया गया कि ऐसे प्रस्तावों पर औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद सचिवालय को शक्ति प्रदान किया जाए। औद्योगिक विकास आयुक्त उद्योग विभाग के सचिव ही होते हैं। इस निर्णय के क्रियान्वयन के लिए आगे उद्योग विभाग सचिव को अधिकृत किया गया है। एसआईपीबी की सहमति के बाद अब इस पर कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। कैबिनेट की स्वीकृति के बाद ही पांच करोड़ से कम के प्रस्ताव पर औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में विचार होगा।
आईटी और पर्यटन सचिव को है अधिकार
वर्तमान में सूचना प्रोद्यौगिकी विभाग और पर्यटन विभाग में आने वाले प्रस्ताव पर विभाग के स्तर पर ही निर्णय लिया जाता है। पर्यटन सचिव और सूचना प्रौद्योगिकी सचिव इस पर निर्णय लेते हैं। इसी तर्ज पर उद्योग विभाग सचिव सह औद्योगिक विकास आयुक्त को उद्योग विभाग में आने वाले पांच करोड़ रुपये से कम के निवेश प्रस्ताव पर निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया जाएगा।