संजीव हंस ने प्री-पेड मीटर लगाने वाली कंपनी से कमीशन में ली थी मर्सिडीज
एसवीयू की एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि आईएएस अधिकारी संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के शारीरिक शोषण का आरोप लगाने वाली महिला से ताल्लुकात थे। इनके बीच लाखों रुपये के अवैध लेनदेन के भी प्रमाण मिले हैं।
आईएएस अधिकारी संजीव हंस ने प्री-पेड मीटर लगाने वाली एक कंपनी को काम देने के बदले घूस के तौर पर मर्सिडिज कार ली थी। इनके साले गुर बलतेज सिंह की फेसबुक एकाउंट खंगालने पर इस कार के साथ उसकी पोज देते हुए फोटो भी मिली है। इसका खुलासा विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) की प्राथमिकी से हुआ है। प्राथमिकी में कहा गया है कि यह कार 2023 में खरीदी गई थी, लेकिन इसका निबंधन गुरुग्राम में रहने वाले तरुण राघव के नाम पर है, जो गुर बलतेज सिंह का दोस्त है। इस कार को 2022 में झारखंड स्थित कंपनी एसके एंड सन्स इंटरप्राइजेज के नाम पर सबसे पहले खरीदी गई। फिर इसे तरुण के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया।
ईडी ने छापेमारी के दौरान संजीव हंस के पास से 70 लाख रुपये मूल्य की 15 घड़ियां जब्त की थी। पूछताछ में बताया कि विभिन्न कंपनियों ने घड़ियां इन्हें कॉरपोरेट गिफ्ट के तौर पर दी हैं। इतने महंगे गिफ्ट लेना अखिल भारतीय सेवा शर्त नियमावली का उल्लंघन है। एफआईआर के अनुसार, 2015-20 और 2022 से अब तक गुलाब यादव और उनकी पत्नी अंबिका यादव झंझारपुर क्षेत्र से बतौर विधायक एवं विधान पार्षद के पद पर काबिज हैं। इस दौरान इन्होंने अपने बैंक खाते में 3 करोड़ 8 लाख रुपये जमा कराए थे।
आरोप लगाने वाली महिला को हर माह 2 लाख रुपये गुलाब यादव के जरिये मिलते थे। एसवीयू की एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि आईएएस अधिकारी संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के शारीरिक शोषण का आरोप लगाने वाली महिला से ताल्लुकात थे। इनके बीच लाखों रुपये के अवैध लेनदेन के भी प्रमाण मिले हैं। संजीव हंस मासिक खर्च के लिए 2 लाख रुपये उक्त महिला को गुलाब यादव और सुनील कुमार सिन्हा के माध्यम से देते थे। ये पैसे महिला को संजीव हंस के साथ अवैध संबंध की बात छिपाने या इस पर चुप रहने के लिए दिये जाते थे।
हालांकि, महिला ने ईडी के समक्ष पूछताछ में यह स्वीकार किया है कि गुलाब यादव उसे पहले 25 हजार रुपये महीने देता था। बाद में इस राशि को बढ़ाकर 49 हजार रुपये प्रति महीने कर दिया गया। नवंबर 2017 से फरवरी 2022 के बीच 29 लाख रुपये उसको दिये गए। यह राशि गुलाब यादव ने उसके बैंक खाते में जमा कराए थे। संजीव हंस ने महिला को लखनऊ में 90 लाख रुपये का एक फ्लैट दिया था। यह राशि सुनील सिन्हा और उसकी कंपनी मेसर्स एक्स आर्मी मेंस प्रोटेक्शन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड और दो अन्य लोग दिव्य प्रकाश एवं शिव राज ने 7 बार में महिला के बैंक खाते में जमा कराई थी।
संजीव हंस ने उक्त महिला को सुनील सिन्हा की मदद से हवाला के जरिये 2 करोड़ 44 लाख रुपये भेजे थे। सुनील सिन्हा आईएएस अधिकारी के बेहद करीबी थे और उनकी अवैध कमाई के कारोबार में उनकी बड़ी हिस्सेदारी है। उसने संजीव हंस से जुड़े कुछ खास फोटोग्राफ और वीडियो फुटेज भी ईडी को मुहैया कराए थे।
पुणे में बनाई कंपनी से सीएनजी पंप का संचालन
संजीव हंस की पत्नी मोना हंस उर्फ हरलोविलीन कौर और गुलाब यादव ने पुणे में संयुक्त रूप से मेसर्स प्रोग्रोथ इंटरप्राइजेज नाम की कंपनी बना रखी है, जिसके अंतर्गत सीएनजी पंप का संचालन किया जाता है। इस कंपनी के खाते में तीन बारे में 15 लाख ट्रांसफर किए गए थे। यह पंप को 2017 में खोला गया था। जिस जमीन पर यह पंप मौजूद है, वह अंबिका यादव (गुलाब यादव की पत्नी) के नाम पर है। पुणे में इनके दोस्त दविंद्र सिंह ने भी 9 लाख रुपये मोना हंस के खाते में ट्रांसफर किए थे। काली कमाई के लेनदेन में दविंद्र सिंह की भूमिका भी काफी संदिग्ध है। दविंद्र को गुलाब यादव ने संजीव हंस के कहने पर 50-60 लाख रुपये कैश दिये थे।
9 करोड़ का फ्लैट खरीदा दूसरे के नाम पर
दिल्ली के आनंद निकेतन के सी-35 भवन के तीसरे तले पर संजीव हंस की पत्नी और परिवार रहता है। यह फ्लैट प्रवीण चौधरी का है, जो कई बड़ी कंपनियों मसलन केईसी इंटरनेशनल, यूनिवर्सल केबल्स समेत अन्य के अंतर्गत सब-कांट्रैक्टर का काम करता है। यह मुख्य रूप से ऊर्जा विभाग के लिए वेंडर के तौर पर एक अगस्त 2024 से काम कर रहा है। जब से संजीव हंस ने इस विभाग का कार्यभार संभाला है। दिल्ली वाले फ्लैट को प्रवीण ने 24 मार्च 2023 को गुडो लूथरा से 9 करोड़ 25 लाख में खरीदा था। बाद में यह बात सामने आई कि इस फ्लैट को खरीदने के लिए प्रवीण को पैसे संजीव हंस और उनकी पत्नी ने ही दिये थे।
पटना में छापेमारी के दौरान मिले थे कागजात
ईडी को पटना में एसके विहार, शांति कुंज में मौजूद मेसर्स मातृस्वा इंफ्रा प्राइवेट लि. के कार्यालय में छापे के दौरान कई कागजात मिले थे। इस कंपनी के निदेशक पवन कुमार हैं। एक कागज पर अंग्रेजी में एस-सर लिख 67 लाख कमीशन के तौर पर देने की बात कही गई थी। जांच में पता चला कि एस-सर यानी संजीव हंस हैं। पवन को यह काम मेसर्स एसपी सिंघला कंपनी के सुरेश सिंघला से मिली थी।