Hindi Newsबिहार न्यूज़Half posts vacant in health department of Bihar Shortage of 53 percent doctors revealed in CAG report

बिहार के स्वास्थ्य विभाग में आधे पद खाली; आबादी के हिसाब से 53% डॉक्टरों की कमी, CAG की रिपोर्ट में खुलासा

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक हजार की आबादी पर एक चिकित्सक होना चाहिए, लेकिन बिहार में 2148 लोगों पर एक डॉक्टर की उपलब्धता है। स्वीकृत बल की तुलना में विभिन्न जिलों में स्टाफ नर्स की 18 से 72 फीसदी तक कमी है। आवश्यकता से 66 हजार 775 (53 फीसदी) डॉक्टर कम हैं।

sandeep हिन्दुस्तान, पटनाFri, 29 Nov 2024 05:44 AM
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बिहार में आबादी के हिसाब से डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्यकर्मियों की 50 फीसदी से अधिक कमी है। इसमें डॉक्टरों की 53 फीसदी कमी है। 2022 में राज्य में 12 करोड़ 49 लाख अनुमानित आबादी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसा के हिसाब से 1 लाख 24 हजार 919 डॉक्टर की आवश्यकता थी। राज्य में केवल 58 हजार 144 एलोपैथिक चिकित्सक उपलब्ध थे। यानी आवश्यकता से 66 हजार 775 (53 फीसदी) डॉक्टर कम हैं। मार्च 2023 तक राज्य के सरकारी अस्पतालों में 11 हजार 298 एलोपैथिक चिकित्सक के सवीकृत पदों के विरुद्ध 4 हजार 741 यानी 42 फीसदी ही चिकित्सक पदस्थापित मिले। 6 हजार 557 चिकित्सक के पद रिक्त पाए गए। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) का लोक स्वास्थ्य आधारभूत संरचना और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर रिपोर्ट में खुलासा हुआ है।

गुरुवार को सीएजी की यह रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखी गई। सीएजी ने बिहार में 2016 से 2022 की अवधि में स्वास्थ्य सुविधा की नमूना जांच के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है। सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक हजार की आबादी पर एक चिकित्सक होना चाहिए, लेकिन बिहार में 2148 लोगों पर एक डॉक्टर की उपलब्धता है। स्वीकृत बल की तुलना में विभिन्न जिलों में स्टाफ नर्स की 18 से 72 फीसदी तक कमी है। सीएजी ने नमूना जांच में सीएजी ने पाया कि स्वास्थ्य उपकेंद्र (सीएचसी) स्तर से लेकर रेफरल अस्पताल (आरएच) या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) स्तर तक स्वास्थ्य सुविधाओं की काफी कमी थी।

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44 फीसदी स्वास्थ्य केंद्र चौबीस घंटे काम नहीं कर रहे सीएजी की रिपोर्ट में पाया गया कि 1932 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 856 यानी 44 फीसदी स्वास्थ्य केंद्र चौबीस घंटे काम नहीं कर रहे थे। यह भी पाया गया कि राज्य में 7974 के लक्ष्य के मुकाबले मार्च 2022 तक सिर्फ 4129 यानी 52 फीसदी स्वास्थ्य व कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) थे। यहां शौचालय, पेयजल आदि की कमी पायी गई। सीएजी ने पाया कि 1932 पीएचसी या एपीएचसी और 10258 एचएससी में मौलिक सुविधाओं की कमी थी। 31 फीसदी पीएचसी या एपीएचसी और 41 फीसदी एचएससी में बिजली आपूर्ति उपलब्ध नहीं थी।

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