आज होगा पितृपक्ष मेले का आगाज, शुरू होगा त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध
आज होगा पितृपक्ष मेले का आगाज, शुरू होगा त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध आज होगा पितृपक्ष मेले का आगाज, शुरू होगा त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध
पितृपक्ष मेला-2024 का उद्घाटन मंगलवार की शाम होगा। 17 सितंबर से शुरू होने वाले राजकीय मेले का समापन दो अक्टूबर को होगा। पितरों को मोक्ष दिलाने के महापर्व में त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध करने वाले मंगलवार से ही पुनपुन नदी में स्नान कर पिंडदान की शुरुआत करेंगे। पुनपुन नहीं जाने वाले गया शहर के गोदावरी तालाब से शुरुआत करेंगे। राजकीय मेले में देश-विदेश से आने वाले पिंडदानियों के स्वागत को मोक्षधाम विष्णुनगरी सज-धज कर तैयार है। जिला प्रशासन से लेकर गयापालों ने अपनी तैयारी को पूरा किया। त्रिपाक्षिक पिंडदान के सोमवार से पिंडदानियों का आना शुरू हो गया।
त्रिपाक्षिक पिंडदान करने वाले पिंडदानी पहुंचे गयाधाम
त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वाले अधिकतर पिंडदानी सोमवार की रात तक गयाधाम पहुंच चुके हैं। देर रात तक करीब 15 हजार से पिंडदानी यहां पहुंच चुके हैं। इनमें अधिकतर हरियाणा व राजस्थान के मारवाड़ी परिवार। ये तीर्थयात्री भाद्रपद्र चतुदर्शी यानी मंगलवार से त्रिपाक्षिक कर्मकांड शुरू करेंगे। पटना जिले के पुनपुन नदी के घाट से स्नान कर कर्मकांड की शुरुआत करेंगे। पुनपुन नहीं जाने वाले गया के गोदावरी तालाब से पिंडदान कर 21 कुलों का उद्धार की कामना करेंगे। ये 17 दिनों तक गया पंचकोस की विभिन्न वेदियों पर पिंडदान करते-करते आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा यानी 02 अक्टूबर को नाना-नानी के लिए पिंडान कर कर्मकांड का समापन करेंगे। त्रिपाक्षिक के अलावा मुख्य रूप से एक दिन, तीन, पांच और सात दिनों तक गयाश्राद्ध करने वाले पिंडदानियों का आना बुधवार से शुरू हो जाएगा। अगले तीन-चार दिनों में पिंडदानियों की भीड़ से गयाधाम पट जाएगा।
कल फल्गु व देघवाट पर उमड़ेगा पिंडदानियों का सैलाब, प्रेतशिला में भी होगी भीड़
भाद्रपद पूर्णिमा बुधवार को दिन फल्गु और देवघाट पर पिंडदान को तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ होगी। अहले सुबह से तीर्थयात्रियों का जत्था मोक्षदायिनी पहुंचेगा। सोमवार से ही फल्गु के दोनों लबालब भरे हैं। रबर डैम के बाद लगातार तीसरे साल पिंडदानियों को स्नान व तर्पण करने में काफी आराम होगा। गयापाल महेश लाल गुपुत ने बताया कि इस बार पितृपक्ष में दो तिथि एक दिन (पूर्णिमा व प्रतिपदा) रहने के कारण संभावना है कि बुधवार को ही फल्गु के बाद तीर्थयात्री प्रेतशिला,ब्रह्मकुंड, रामशिला,रामकुंड आदि वेदियों पर पिंडदान करेंगे। कुछ लोग बुधवार को भी प्रेतशिला का विधान करेंगे।
पिंडदानियों के स्वागत के लिए विष्णुपद से लेकर गयापाल तैयार
पिंडदानियों के स्वागत के लिए जिला प्रशासन, विष्णुपद से लेकर गयापाल तक तैयार हैं। श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभूलाल विट्ठल व सचिव गजाधर लाल पाठक ने बताया कि विष्णुपद मंदिर में इस बार सुरक्षा व सुविधा पर विशेष ध्यान रहेगा। पिंडदानियों का आना शुरू हो गया है। मंगलवार को पुनपुन घाट या गोदावरी से त्रिपाक्षिक पिंडदान की शुरुआत करेंगे। पितृपक्ष पखवारे में 17 सितंबर से बाद से पिंडदानियों की आवाजाही का सिलसिला 2 अक्टूबर तक जारी रहेगा।
बाइपास लेकर रबर डैम का क्षेत्र 16 सेक्टरों में, इस बार बढ़कर नौ पंडाल
पितृपक्ष मेला का मुख्य क्षेत्र यानी विष्णुपद व फल्गु के घाट पर इस बार जिला प्रशासन की ओर से जबर्दस्त तैयारी है। सबसे बड़ी सुविधा पहली बार बाइपास से देवघाट तक पाथवे की मिलेगी। लगातार तीसरे साल रबर डैम का लाभ पिंडदानी उठाएंगे। रबर डैम से लेकर बाइपास तक के क्षेत्र को 16 सेक्टरों में बांटकर सुविधा से लेकर सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। विष्णुपद मंदिर में श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अलावा जिला प्रशासन की भी व्यवस्था है। रबर डैम से लेकर बाइपास पुल तक नौ पंडाल बनाए गए हैं। इनमें दो भव्य। मेले के उद्घाटन, प्रवचन,भागवत कथा और अन्य कार्यक्रम के लिए विष्णुपद मंदिर के बाहर परिसर में भव्य पंडाल व मंच बनाया गया है। विष्णुपद से लेकर चांदचौरा तक रंगीन लाइटों से सजावट की गई। विष्णुपद का इलाका बैनर-पोस्टर से पट गया है। सड़क किनारे अस्थायी दुकानें खुलने लगी हैं।
फल्गु से शुरू होकर अक्षयवट में सुफल के साथ संपन्न होगा पिंडदान
आचार्य नवीनचंद्र मिश्र वैदिक ने बताया कि इस बार पिंडदान की तिथि में अंतर है। पितृपक्ष पखवाड़ा 15 दिन के बजाए 14 दिन और त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध 17 दिन के बजाए 16 दिन का होगा। भादो पूर्णिमा व आश्विन कृष्णपक्ष पक्ष प्रतिपदा एक ही दिन 18 सितंबर को है। बताया कि 17 सितंबर (भाद्रपद चर्तुदर्शी) को पुनपुन का विधान है। गयाजी में पिंडदान 18 सितंबर फल्गु से शुरू होगा। इसी दिन फल्गु प्रेतशिला, ब्रह्मकुंड, रामकुंड, रामशिला, कागबलि श्राद्ध करेंगे।
गयाश्राद्ध के लिए तिथि और पिंडवेदियां
तारीख पिंडदान वाली वेदियां
17 सितंबर पुनपुन या गोदावरी श्राद्ध
18 सितंबर फल्गु श्राद्ध , प्रेतशिला, ब्रह्मकुंड, रामकुंड, रामशिला, कागबलि श्राद्ध
19 सितंबर उत्तरमानस, उदिची, कनखल, दक्षिण मानस, जिह्वालोल
20 सितंबर बोधगया के मातंगवापी, धर्मारण्य और सरस्वती
21 सितंबर ब्रह्मसत, कागवलि, आम्रसचेन
22 सितंबर विष्णुपद, रूद्रपद व ब्रह्मपद (सोलह वेदी)
23 सितंबर कार्तिकपद, दक्षिणाग्निपद ,गार्हपत्याग्निपद, सूर्यपद, आह्वीयाग्निपद
24 सितंबर चंद्रपद, गणेशपद, संध्याग्निपद, आवसंध्याग्नि पद, दधीचि
25 सितंबर कन्वपद, मतंगपद, क्रौंचपद, इंद्रपद, अगस्त्यपद, काश्यप पद
26 सितंबर सीताकुंड और रामगया
27 सितंबर गयासिर और गया कूप
28 सितंबर मुंडपृष्ठा, आदि गया, धौतपद
29 सितंबर भीमगया, गो प्रचार, गदालोल
30 सितंबर फल्गु में दूध तर्पण व पितृ दीपावली
01 अक्टूबर वैतरणी श्राद्ध, गौदान
02 अक्टूबर अक्षयवट, शैय्यादान, सुफल
03 अक्टूबर गायत्री घाट, मातामाह श्राद्ध
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