आज के समय में कला आधारित शिक्षण महत्वपूर्ण विषय
आज के समय में कला आधारित शिक्षण महत्वपूर्ण विषय आज के समय में कला आधारित शिक्षण महत्वपूर्ण विषय
गया कॉलेज के शिक्षा शास्त्र में बुधवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। कला आधारित शिक्षण पर आयोजित कार्यशाला में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के एमएड प्रशिक्षु छात्र शामिल हुए। प्राचार्य डॉ. सतीश सिंह चंद्र के निर्देश पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में शिक्षाशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय धीरज ने कहा कि आज का समय नवाचारी शिक्षण पद्धतियों का प्रयोग कर शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया को संपन्न करने का है। ऐसे में कला आधारित शिक्षण एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। कला आधारित शिक्षण का प्रयोग विज्ञान सामाजिक विज्ञान व भाषा शिक्षण से लेकर अन्य सभी विषयों के शिक्षण अधिगम में समान रूप से लाभकारी है। जटिल से जटिल अवधारणाओं को कला व शिल्प के माध्यम से क्लास रूम में सरलीकृत कर प्रस्तुत किया जा सकता है। इतना ही नहीं विद्यार्थियों के अंदर विभिन्न कलाकृतियों के निर्माण का कौशल भी विकसित होता है। सृजनात्मक का भी विकास होता है। कल आधारित शिक्षण की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि बच्चों की प्रतिभा एवं उनके अंदर छुपे हुए सृजनात्मक को अभिव्यक्त करने का समुचित अवसर भी प्रदान करता है। शिक्षाशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक अजय शर्मा ने कहा की विद्यालय स्तर पर कला शिक्षण समय की मांग है और प्रारंभिक स्तर पर खिलौनों तथा कठपुतलियों के मध्यम से शिक्षण अधिगम सर्वाधिक प्रभावी है। मौके पर शिक्षा विभाग के सहायक प्रध्यापक अमरेंद्र कुमार, डॉ. अभिषेक कुमार व डॉ. सदरे आलम आदि मौजूद रहे।
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