समाज में समरसता होने पर ही आर्थिक न्याय संभव :डा. अनिल
आर्थिक न्याय तभी संभव है जब समाज में समरसता होगी। कानून में सरलता का अभाव है। सक्षम लोगों को जल्द न्याय मिल जाता है। क्योंकि उन्हें संसाधन उपलब्ध...
आर्थिक न्याय तभी संभव है जब समाज में समरसता होगी। कानून में सरलता का अभाव है। सक्षम लोगों को जल्द न्याय मिल जाता है। क्योंकि उन्हें संसाधन उपलब्ध है। न्यायपालिका का प्रयास होता है कि सभी को समय पर न्याय मिले। लेकिन स्थित यह है कि जिनकी बात न्यायालय तक नहीं पहुंच पाती है तो वे न्याय से वंचित रह जाते हैं। गया कॉलेज के 77 वां स्थापना दिवस पर आयोजित न्यायपालिका-चुनौतियां और अपेक्षाएं विषय पर आयोजित गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डा. अनिल कुमार उपाध्याय ने ये बातें कही।
उन्होंने कहा कि न्याय में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि लोग न्यायालय तक जा पाएंगे या नहीं, न्याय मिलने में विलंब, न्याय में खर्च, अनिश्चितता ये सभी एक बड़ी चुनौती है। हर स्तर पर मुकदमें लंबित है। न्यायाधीश की कमी है। बावजूद लोगों को न्यायालय पर एक बड़ा विश्वास है। बड़ी चुनौतियों के बाद भी न्यायालय के प्रति लोगों को आस्था व विश्वास है। 40 साल से लंबित मामले पर भी लोगों को न्याय मिलने की आस रहती है। निश्पक्ष न्याय दिलाने की प्रक्रिया में न्यायालय हमेशा सक्रिय है। उन्होंने विलंबित न्याय के कई कारणों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने लोगों से न्यायालय के साथ सहयोग देने की आवश्यकता पर जोर दिया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने भी अपना विचार रखा। स्वागत भाषण गया कॉलेज के प्राचार्य प्रो. दिनेश प्रसाद सिन्हा ने किया। इस अवसर पर आगत गतिथियों को गुलदस्ता व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह के दौरान कथाकार मुंशी प्रेमचंद व गर्ल्स कॉमनरूम का उद्घाटन किया गया। छात्र-छात्राओं द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति किया गया। समारोह में डा. शशिरंजन रस्तोगी, डा. आरकेपी यादव, बीएड विभाग के विभागाध्यक्ष धनंजय धीरज, संगीता कुमारी, डा. अभय नारायण सिंह, सोनू अनपूर्णा आदि उपस्थित थे।
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