दुर्गाबाड़ी में मां के खुले पट, देवी के दर्शन-पूजन शुरू
शहर दुर्गा पूजा के माहौल में डूब गया है। नवरात्र के छठे दिन देवी की प्रतिमाओं की स्थापना की गई। दुर्गाबाड़ी और पंजाबी कॉलोनी में बांग्ला शैली में पूजा की गई। सप्तमी से विधिवत पूजा का आरंभ होगा। भक्तों...
शारदीय नवरात्र के छठे दिन शहर दुर्गापूजा के माहौल में सराबोर हो गया। पूजा-पंडालों में मां देवी की प्रतिमाओं को विराजमान कराने की तैयारी पूरी की गई। पंडाल के साथ आसपास के इलाकों को रंग-बिरंगी बल्बों से सजाया गया है। मंदिर से लेकर शहर भर में देवी मंत्र व भक्ति गीत गूंज रहे हैं। नवरात्र के छठे दिन बुधवार को शहर के दुर्गाबाड़ी और पंजाबी कॉलोनी में बांग्लाशैली में मां की पूजन के साथ पट खुले। बंगाली समाज के अलावा आसपास के लोगों ने माता के दर्शन किए। सप्तमी से माता की बांग्लाशैली में विधिवत पूजा-अर्चना शुरू होगी। इन दोनों के अलावा शहर के पूजा-पंडालों में सप्तमी पूजन यानी गुरुवार से पट खुलेंगे। तीन पेड़ों की पूजा कर कलश की स्थापना की
दुर्गाबाड़ी और बंगाली कॉलोनी में षष्ठी की सुबह पेड़ की पूजा के साथ कलश स्थापित की गई। गया दुर्गावाटी समिति के बैनर तले आयोजित पूजन में मुख्य रूप से बंगाली की समाज महिलाएं शामिल हुईं। सुबह दुर्गाबाड़ी में बेल, नीम, पीपल, और गुलड़ के वृक्ष की पूजा हुई। शाम में देवी का आह्वान किया गया। अधिवास हुआ। इसके बाद माता का दर्शन शुरू हो गया। दोनों स्थानों पर बांग्ला तरीके से माता की पूजा के लिए बंगाल से पुजारी आए हैं। दुर्गावाटी समिति के अध्यक्ष प्रदीप कुमार सेन गुप्ता व सचिव विश्वदीप चौधरी ने बताया कि बुधवार पष्ठी की सुबह माता के पट खुल गए। पूजा हुई। सातवीं से विधिवत रूप से पूजा शुरू हो जाएगी। सप्तमी से लेकर दशमी की सुबह तक चलेगी। सबसे मुख्य पूजा अष्टमी पुष्पांजलि और नवमी को संधिपूजा होगी। इस बार 11 अक्टूबर को ही आठवीं और नवमी होने के कारण दोनों पूजा इसी दिन होगी। विजयी दशमी के दिन प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाएगा। इसी दिन सिंदूर की होली होगी। विश्वशांति के लिए शांति मार्जना होगी। इसी तरह के पूजन व विधान बंगाली कॉलोनी में भी होंगे।
पूजा पंडालों में देवी की प्रतिमा स्थापित, आज खुलेंगे पट
शहर के पूजा पंडालों में मां देव की प्रतिमा पष्ठी बुधवार से मां देवी की प्रतिमा स्थापित होने लगीं। शहर के विभिन्न इलाकों में स्थित कुम्हारों के यहां से प्रतिमाओं का जाना का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। सबसे पुराने पांच लाइसेंसी मूर्तियां पंडाल में स्थापित कर दिए गए। गुरुवार को पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन को मां के पट खुल जाएंगे। शाम श्रद्धालु मां के दर्शन को पूजा-पंडाल में आएंगे।
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