बिहार में तेजी से फैल रहा डेंगू; इस साल के मरीजों का रिकॉर्ड कल टूट गया, पटना में सर्वाधिक बीमार
राज्य में डेंगू का प्रकोप फिर से बढ़ता दिख रहा है। इस साल अब तक के सबसे ज्यादा डेंगू मरीज कल (गुरुवार) को 148 मरीज मिले। सबसे ज्यादा पटना में 76 केस सामने आए। इससे पहले 12 सितंबर को 128 केस सामने आए थे।
बिहार में डेंगू का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। राज्य में अब हर दिन नए डेंगू मरीजों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इस साल अब तक एक दिन में सबसे अधिक 148 डेंगू पीड़ित गुरुवार (19 सितंबर) को मिले हैं। इसमें सर्वाधिक पटना के 76 डेंगू पीड़ित हैं। इसके पहले 12 सितंबर को पूरे राज्य में सबसे अधिक 128 डेंगू पीड़ित मिले थे। पूरे राज्य में इस साल एक जनवरी से 19 सितंबर तक डेंगू मरीजों की कुल संख्या 2241 हो गई है। पटना के बाद सबसे अधिक 10 डेंगू मरीज औरंगाबाद में मिले।
गया में 9, नालंदा में 8, मुजफ्फरपुर में 5, सीतामढ़ी 5, गोपालगंज 5, खगड़िया 3, जहानाबाद 3, पूर्वी चंपारण 3, भोजपुर 2, जमुई 2, मधेपुरा 2, सहरसा 2, शेखपुरा 2 और वैशाली में 2 नए डेंगू मरीज मिले। अररिया, दरभंगा, कटिहार, मधुबनी, मुंगेर, सारण, शिवहर, सुपौल और पश्चिम चंपारण में एक-एक डेंगू पीड़ित मिले हैं। पटना में डेंगू के टाइप 1 का प्रकोप अभी ज्यादा है। अभी मिले 855 केस में लगभग 95 मामले टाइप-1 के ही हैं। लेकिन, मरीजों पर ज्यादा घातक प्रभाव डेंगू का टाइप-2 वेरिएंट ही छोड़ रहा है। यही ज्यादा जानलेवा भी हो रहा है।
इसका खुलासा आईजीआईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में हुई सीरो टाइपिंग से हुई है। यह सीरो टाइपिंग संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा अपने स्तर पर किया गया है। विभाग की अध्यक्ष डॉ. नम्रता कुमारी ने बताया कि इस बार सीरो टाइपिंग के लिए सरकार अथवा स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर कोई सैंपल नहीं भेजा जा रहा है।
दो साल पहले सरकार के स्तर पर सैंपल की सीरो टाइपिंग हुई थी। इस बार शोध के उद्देश्य से विभाग द्वारा अपने स्तर पर कुछ डेंगू मरीजों के सैंपल की सीरो टाइपिंग की गई है। लगभग 50 सैंपलों की सीरो टाइपिंग में से 90 से 95 प्रतिशत मामले अबतक डेंगू के टाइप 1 जिसे डीईएनवी-1 कहा जाता है, के मिले हैं। इसका मतलब है कि पटना में फिलहाल इस वायरस के इसी वैरिएंट का मामला ज्यादा है।
पटना में डेंगू के कुल 35 मरीज दो सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं। इसके अलावा मेदांता, रूबन, मेडिवर्सल, एशियन, सहयोग जैसे बड़े निजी अस्पतालों में भी लगातार मरीज भर्ती हो रहे हैं। एनएमसीएच के मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि भर्ती मरीजों को ठीक होने में पांच से सात दिन का समय लग रहा है।