Hindi Newsबिहार न्यूज़Deal worth Rs 40 lakh each with two dozen students IP address already leaked how fraud happened in CHO recruitment exam

दो दर्जन छात्रों से 40-40 लाख की डील, आईपी एड्रेस पहले ही लीक; CHO भर्ती परीक्षा में ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा

जांच में यह बात सामने आई कि हर परीक्षार्थी 30 से 40 लाख रुपये तक की वसूली की गई थी। कुछ से आधे, तो कुछ से पूरी राशि वसूली जा चुकी है। अब तक कितने अभ्यर्थियों की किन केंद्रों पर सेटिंग की थी, इसकी पूरी जानकारी जांच के बाद सामने आएगी। शुरुआती जांच में करीब दो दर्जन अभ्यर्थियों के नाम सामने आ चुके हैं।

sandeep हिन्दुस्तान, पटनाMon, 2 Dec 2024 08:19 PM
share Share
Follow Us on

आर्थिक अपराध ईकाइ (ईओयू) ने बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से आयोजित सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी (सीएचओ) की 4500 पदों की भर्ती परीक्षा में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़े का खुलासा किया। इसके साथ ही ईकाई ने मामले में 37 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई। फिलहाल परीक्षा के तारीख की घोषणा नहीं की गई है। ऑनलाइन परीक्षा में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके गड़बड़ी की गई। 3 परीक्षा केन्द्रों पर 9 अभ्यर्थियों के स्थान पर किसी दूसरे को परीक्षा देते दबोचा गया। ईओयू को इस गड़बड़ी की गुप्त सूचना रविवार को ही मिली थी। इसके बाद आनन-फानन में विशेष टीम का गठन करके पटना स्थित 3 केंद्रों में रैंडम जांच करके इस गड़बड़ी का खुलासा किया।

यहां की गई छापेमारी

इस मामले में पटना, दानापुर, छपरा, वैशाली, बिहारशरीफ, समस्तीपुर समेत करीब 10 स्थानों पर छापेमारी की गई। जिसमें अब तक 37 संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार कर सघन पूछताछ की जा रही है।

3 केंद्रों का किया औचक जांच

गिरफ्तार परीक्षा केंद्रों के संचालक, आईटी मैनेज समेत इससे संबंधित अन्य कर्मियों से अलग से ईओयू पूछताछ कर रहा है। ताकि यह स्पष्ट हो सके कि तार कहां-कहां से जुड़े हुए हैं। किसी नए गैंग की तरफ जांच जा रही है। परीक्षा के लिए रविवार और सोमवार (1,2 दिसम्बर) को दो-दो पालियों में ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की गई थी। इसके लिए पटना, दानापुर एवं आसपास के इलाकों में 12 केंद्र बनाए गए थे। फर्जीवाड़ा की सूचना पर ईओयू की टीम ने इनमें दानापुर एवं पटना के 3 केंद्रों की औचक जांच की। इसमें परीक्षा आयोजित करने वाली कंपनी ‘वी साइन टेक प्राइवेट लिमिटेड’ और संबंधित परीक्षा केंद्रों के प्रमुखों की भी संलिप्तता सामने आई।

कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद

छापेमारी में एडमिट कार्ड समेत बड़ी संख्या में संदिग्ध दस्तावेज के अलावा कंप्यूटर, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, डिजिटल डिवाइस, कई एटीएम एवं क्रेडिट कार्ड समेत अन्य कई चीजें बरामद हुई।

ये भी पढ़ें:तेजस्वी ने CHO परीक्षा रद्द पर नीतीश सरकार को घेरा, बोले-फिर पेपर लीक का कारनामा

परीक्षार्थी से 40 लाख तक की वसूली

अब तक की जांच में यह बात सामने आई कि प्रत्येक परीक्षार्थी 30 से 40 लाख रुपये तक की वसूली की गई थी। कुछ से आधे, तो कुछ से पूरी राशि वसूली जा चुकी है। अब तक कितने अभ्यर्थियों की किन केंद्रों पर सेटिंग की थी, इसकी पूरी जानकारी जांच के बाद सामने आएगी। शुरुआती जांच में करीब दो दर्जन अभ्यर्थियों के नाम सामने आ चुके हैं।

पहले ही लीक कर दी गई थी आईपी एड्रेस

ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों पर जिन अभ्यर्थियों की सेटिंग थी, उनकी बॉयोमेट्रिक हाजिरी लगाकर उन्हें सिर्फ कंप्यूटर पर बैठने के लिए कहा गया था। जबकि सेंटर संचालक और आईटी मैनेजरों या सपोर्ट स्टाफ की मिली-भगत से इन कंप्यूटर सिस्टमों को चिन्हित करके इनकी आईपी एड्रेस पहले ही लीक कर दी गई थी। इसके बाद विशेष तरह के सॉफ्टवेयर ‘रिमोट व्हियूइंग एप्लीकेशन’ की मदद से इन कंप्यूटर का कंट्रोल कहीं दूर बैठे सॉल्वर के पास था।

यही सॉल्वर दूर बैठकर इन कंप्यूटर की स्क्रीन पर आ रहे प्रश्न को पढ़ रहे थे और इन्हें ऑनलाइन ही हल कर रहे थे। इस तरह डिजिटल माध्यम से परीक्षा केंद्र में बैठे अभ्यर्थी के स्थान पर दूर बैठकर सॉल्वर या इंजन परीक्षा दे रहे थे। इस पूरी प्रक्रिया को रंगे हाथ ईओयू की टीम ने पकड़ा है। ऑनलाइन सेटिंग की इस प्रणाली को सुचारू तरीके से काम करने के लिए कुछ परीक्षा केंद्रों ने गुप्त रूप से प्रॉक्सी सर्वर बैठा रखा था। कंप्यूटर आधारित रियल टाइम परीक्षा की ऑनलाइन प्रणाली में बीच में घुसकर चुनिंदा अभ्यर्थियों को गलत तरीके से पास कराने की कवायद चल रही थी।

ये भी पढ़ें:बिहार में एक और पेपरलीक कांड! CHO की परीक्षा में EOW की रेड के बाद एग्जाम रद्द

परीक्षार्थी से 40 लाख तक की वसूली

अब तक की जांच में यह बात सामने आई कि प्रत्येक परीक्षार्थी 30 से 40 लाख रुपये तक की वसूली की गई थी। कुछ से आधे, तो कुछ से पूरी राशि वसूली जा चुकी है। अब तक कितने अभ्यर्थियों की किन केंद्रों पर सेटिंग की थी, इसकी पूरी जानकारी जांच के बाद सामने आएगी। शुरुआती जांच में करीब दो दर्जन अभ्यर्थियों के नाम सामने आ चुके हैं।

पहले ही लीक कर दी गई थी आईपी एड्रेस

ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों पर जिन अभ्यर्थियों की सेटिंग थी, उनकी बॉयोमेट्रिक हाजिरी लगाकर उन्हें सिर्फ कंप्यूटर पर बैठने के लिए कहा गया था। जबकि सेंटर संचालक और आईटी मैनेजरों या सपोर्ट स्टाफ की मिली-भगत से इन कंप्यूटर सिस्टमों को चिन्हित करके इनकी आईपी एड्रेस पहले ही लीक कर दी गई थी। इसके बाद विशेष तरह के सॉफ्टवेयर ‘रिमोट व्हियूइंग एप्लीकेशन’ की मदद से इन कंप्यूटर का कंट्रोल कहीं दूर बैठे सॉल्वर के पास था।

यही सॉल्वर दूर बैठकर इन कंप्यूटर की स्क्रीन पर आ रहे प्रश्न को पढ़ रहे थे और इन्हें ऑनलाइन ही हल कर रहे थे। इस तरह डिजिटल माध्यम से परीक्षा केंद्र में बैठे अभ्यर्थी के स्थान पर दूर बैठकर सॉल्वर या इंजन परीक्षा दे रहे थे। इस पूरी प्रक्रिया को रंगे हाथ ईओयू की टीम ने पकड़ा है। ऑनलाइन सेटिंग की इस प्रणाली को सुचारू तरीके से काम करने के लिए कुछ परीक्षा केंद्रों ने गुप्त रूप से प्रॉक्सी सर्वर बैठा रखा था। कंप्यूटर आधारित रियल टाइम परीक्षा की ऑनलाइन प्रणाली में बीच में घुसकर चुनिंदा अभ्यर्थियों को गलत तरीके से पास कराने की कवायद चल रही थी।

|#+|

वहीं इस मामले पर डीआईजी, ईओयू मानवजीत सिंह ढिल्लो ने कहा कि पूरे मामले की सघन जांच चल रही है। जल्द ही इसमें शामिल मुख्य सरगना समेत अन्य सभी लोगों के नाम का खुलासा हो जाएगा। हिरासत में लिए गए सभी संदिग्धों से पूछताछ चल रही है। जल्द ही इसके मास्टरमाइंड समेत अन्य प्रमुख लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

अगला लेखऐप पर पढ़ें