Hindi Newsबिहार न्यूज़दरभंगाUttara Phalguni Nakshatra Brings Mixed Blessings for Farmers Amidst Rain

उत्तरा नक्षत्र जाते-जाते मौसम को बना गया खुशगवार

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र इस वर्ष किसानों के लिए खट्टी-मीठी यादें लेकर आया है। 13 सितंबर से 27 सितंबर तक की बारिश ने गर्मी को कम किया है, जिससे किसान खुश हैं। हालांकि, हथिया नक्षत्र की बारिश पर भी उनकी...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाFri, 27 Sep 2024 01:20 AM
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जाले। किसानों एवं आम लोगों के लिए इस वर्ष का उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र खट्टी-मीठी यादें छोड़कर जा रही है। 13 सितंबर को इस नक्षत्र की शुरुआत और 27 सितंबर को इसका अंत मोहक बारिश के साथ हो रहा है, लेकिन बीच में इस नक्षत्र के प्रचंड तापमान ने किसानों और आम लोगों को परेशान कर दिया। गत 25 सितंबर की शाम से हल्की हवा और बूंदाबांदी शुरू हुई, जो 26 सितंबर की सुबह से रिमझिम बारिश के रूप में तब्दील हो गई। मौसम विभाग की साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार इस नक्षत्र की अंतिम बारिश ने अधिकतम तापमान में 4.5 से 6.5 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक की कमी लाई है। इस वजह से मौसम खुशगवार हो गया है। जोगियारा के किसान भोला प्रसाद सिंह, उमाशंकर सिंह, गौड़ी शंकर सिंह, जाले के किसान प्रेम कुमार धीर, ब्रह्मपुर के रजत ठाकुर आदि ने इस वर्षा को अमृत वर्षा बताया है। किसानों का कहना है कि यह खेती-गृहस्थी और जीव-जंतु सभी के लिए लाभप्रद एवं बेहतरीन बारिश है। ऐसी बारिश का किसान शिद्दत के साथ इंतजार कर रहे थे। अब किसानों की नजरें हथिया नक्षत्र पर टिकी है। हालांकि अब धान की उपज को उतरा नक्षत्र की बारिश से पूरी संजीवनी मिल चुकी है, लेकिन इलाके के ताल-तलैए, नाले-डबरे आदि खाली हैं। इसे भरने की शक्ति केवल हथिया नक्षत्र के पास मानी जाती है। किसानों को इस बात का भी डर है कि अगर हथिया नक्षत्र की जोरदार बारिश हुई तो रवी फसल को लगाने में बिलंब हो जाएगा। फिलहाल किसान उत्तरा नक्षत्र की अंतिम बारिश से खुश हैं।

धान की फसल के लिए उत्तम है बारिश

कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष सह वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. दिव्यांशु शेखर कहते हैं कि यह बारिश धान की फसल के लिए उत्तम है। इस बारिश से सब्जी खेतों में जहां जहां जलजमाव हो गया हो, किसान उस जगह से जल की निकासी की मुकम्मल व्यवस्था कर लें, जिससे सब्जी की फसल को नुकसान न पहुंचे। उन्होंने कहा कि औसतन किसान धान के पौधे में चार किलो प्रति कट्ठा यूरिया का प्रयोग करते हैं। जिन किसानों ने 15-20 दिनों के अंदर खेतों में अनुसंशित यूरिया खाद का प्रयोग नहीं कर पाए थे, वैसे किसान खेतों में यूरिया का छिड़काव कर दें।

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