जाले की प्रतिमा विसर्जन यात्रा का 37 घंटे में हुआ समापन
जाले में मां दुर्गे की प्रतिमा का विसर्जन सोमवार को सुबह 6:30 बजे शांतिपूर्ण ढंग से हुआ। इस वर्ष की विसर्जन यात्रा 37 घंटे चली, जो एक रिकॉर्ड है। 20,000 से अधिक लोग इस यात्रा में शामिल हुए। विधायक...
जाले। नगर परिषद जाले के जालेश्वरीस्थान की मां दुर्गे की प्रतिमा का विसर्जन सोमवार की सुबह 6:30 बजे शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। इस वर्ष यह विसर्जन यात्रा 37 घंटे तक चली, जो अपने आप में रिकॉर्ड है। पिछले वर्ष विसर्जन यात्रा 29 घंटे तक चली थी। इस विसर्जन यात्रा में इलाके के कोई 20 हजार से अधिक लोग शामिल हुए। जालेश्वरीस्थान से विसर्जन यात्रा 12 अक्टूबर की शाम 5:40 बजे शुरू हुई थी। जालेश्वरीस्थान से प्रतिमा विसर्जन स्थल नगर परिषद क्षेत्र के सुखाई पोखर तक की दूरी मात्र डेढ़ किलोमीटर की है। इस वर्ष की विसर्जन यात्रा ने अपने पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया। वर्ष 2019 में विसर्जन यात्रा 28 घंटे तक चली थी, जिसका पिछले वर्ष रिकॉर्ड टूटा था। विसर्जन यात्रा में क्षेत्रीय विधायक सह पूर्व मंत्री जीबेश कुमार भी शामिल हुए। उन्होंने मिथिला की परंपरानुसार झिझिया नृत्य भी किया और लाठी की कलाबाजियां भी दिखाई। विधायक पिछले 10 वर्षों से भी अधिक समय से हर साल विसर्जन यात्रा में शामिल होकर आयोजन समिति और झिझिया नृत्य के कलाकारों का मनोबल बढ़ाते रहे हैं। लंबी विसर्जन यात्रा को लेकर विधायक ने कहा कि माता की प्रतिमा इतनी मन मोहिनी है कि जाले के लोग जल्द विसर्जन नहीं करना चाहते रहते हैं, लेकिन आखिरकार बेटी की विदाई तो करनी ही पड़ती है। विदाई के समय वहां अद्भुत तरीके से महिलाएं उपस्थित थीं। माता की अंतिम विदाई का साक्षी होने के लिए सीमावर्ती चार जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु विसर्जन यात्रा देखने आए थे। विसर्जन यात्रा की खासियत यह रही कि इसमें सभी धर्म और सभी समाज के लोग शामिल हुए। विसर्जन यात्रा के साथ चल रहे मेले का भी लोगों ने भरपूर लुत्फ उठाया। इतने समय में जहां पुरुष लाठी-डंडे से अपनी कलाबाजी दिखाते रहे, वहीं महिलाओं की विभिन्न टोली झिझिया के साथ लगातार नृत्य करती रहीं।
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