जीसैट 20 को अंतरिक्ष में भेजे जाने पर रेवढ़ा में हर्ष
जाले प्रखंड के रेवढ़ा गांव के वैज्ञानिक डॉ. इम्तियाज अहमद ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित संचार उपग्रह जीसैट 20 के लांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 18 नवंबर को फाल्कन-9 रॉकेट...
जाले। पूरे विश्व में मिथिला की प्रतिभा की डंका यूं ही नहीं बजता। इसकी एक और मिसाल पेश की है जाले प्रखंड के रेवढ़ा गांव के रिटायर्ड सैनिक कमर आलम के पुत्र वैज्ञानिक डॉ. इम्तियाज अहमद ने। गत 18 नवंबर की रात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित संचार उपग्रह जीसैट 20 को स्पेस एक्स फाल्कन-9 से लांच किया गया। डॉ. इम्तियाज इस अभियान के प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। देश की सबसे एडवांस कम्युनिकेशन सैटेलाइट जिसैट 20 या जीसैट 92 अंतरिक्ष की यात्रा पर निकल गई है। खास बात यह है कि इसरो ने इस सैटेलाइट को फाल्कन नाइन रॉकेट की मदद से लांच किया है। बताया जा रहा है कि इसका संचालन शुरू होते ही भारत की संचार व्यवस्था काफी मजबूत हो जाएगी। इस पूरे मिशन में वैज्ञानिक डॉ. इम्तियाज अहमद की सबसे अहम भूमिका रही है। इस मिशन की कामयाबी को लेकर पूरे देश के साथ ही रेवढ़ा में भी जश्न माहौल है। इससे पहले भी युवा वैज्ञानिक डॉ. इम्तियाज सेटेलाइट इनसेट थ्री डीएस के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर अपने मिशन की सफलता का परचम लहरा चुके हैं। खासकर उनके गांव में उनकी कामयाबी पर ग्रामीण काफी गर्व कर रहे हैं। इम्तियाज की सफलता की खबर रेवढ़ा और आसपास के गांवों में आते ही मंगलवार को दर्जनों लोगों ने उनके घर जाकर उनके पिता रिटायर्ड सैनिक मो. कमर व मां नैमुन निशां को शुभकामनाएं दी।
डॉ. इम्तियाज ने अपने गांव के ही मिडिल स्कूल से शिक्षक जहांगीर आलम की देखरेख में सातवीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने दरभंगा शहर के जिला स्कूल से मैट्रिक व पटना साइंस कॉलेज से आईएससी पास किया। इसके बाद उनका दाखिला बीआईटी सिंदरी में हुआ, जहां से उन्होंने बीटेक किया। इसके बाद वे बेंगलुरु चले गए और वहीं से उन्होंने इसरो ज्वाइन किया।
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