साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु के बेटे के साथ साइबर फ्रॉड, ठगों ने लगा दिया 95 हजार का चूना
इस मामले में जानकारी देते हुए साइबर थानाध्यक्ष सह डीएसपी अनुराग कुमार ने कहा कि अभी वे अवकाश पर हैं। परन्तु साहित्यकार रेणुजी के बेटे के साथ फ्रॉड को लेकर दिए गए आवेदन की जानकारी है। अवकाश से लौटने के बाद कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल टॉल फ्री नम्बर 1930 पर कॉल करके ट्रांजेक्शन करने की सलाह दी गई है।
देश के नामचीन साहत्यकारों में शुमार फणीश्वरनाथ रेणु के बेटे के साथ साइबर फ्रॉड ने 95 हजार रूपये की ठगी कर ली है। जिसको लेकर उन्होंने साइबर थाना में आवेदन दिया है। पीड़ित मौजूदा समय में सदर थाना के रामबाग मुहल्ले में रह रहे हैं। गत छह अगस्त को उन्होंने डिजिटल ट्रांजेक्शन के जरिए मोबाइल रिचार्ज किया। राशि कट गयी, परन्तु मोबाइल रिचार्ज नहीं हो सका। इसके बाद गूगल से टेलिकॉम कम्पनी के कस्टमर केयर का नम्बर लिया। उस नम्बर पर उपलब्ध व्यक्ति ने फोन सेटिंग में जाकर ऑप्शन को चुनने के लिए कहा। इस दौरान एक ओटीपी गिरी, जिसके बारे में जानकारी लेकर उस व्यक्ति ने फोन को रिबूट करने के लिए कहा। फोन रिबूट होते ही उनके बैंक खाते से तीन चरणों में 95 हजार रुपये कट गए।
इस मामले में जानकारी देते हुए साइबर थानाध्यक्ष सह डीएसपी अनुराग कुमार ने कहा कि अभी वे अवकाश पर हैं। परन्तु साहित्यकार रेणुजी के बेटे के साथ फ्रॉड को लेकर दिए गए आवेदन की जानकारी है। अवकाश से लौटने के बाद कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल टॉल फ्री नम्बर 1930 पर कॉल करके ट्रांजेक्शन करने की सलाह दी गई है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
फणीश्वर नाथ रेणु का जन्म 4 मार्च 1921 को अररिया जिले में फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना गाँव में हुआ था। वह धानुक विरादरी से तालुक रखते थे उस समय यह पूर्णिया जिले में था। उनकी शिक्षा भारत और नेपाल में हुई। रेणु जी का बिहार के कटिहार से गहरा संबंध रहा है। शादी कटिहार जिले के हसनगंज प्रखंड अंतर्गत बलुआ ग्राम में काशी नाथ विश्वास की पुत्री रेखा रेणु से हुई ,हसनगंज के ही गांव महमदिया ग्राम में पद्मा रेणु की मायके हैं और रेणु जी के दो और पुत्री सबसे बड़ी कविता रॉय और छोटी वहीदा रॉय की शादी महमदिया और कवैया गांव में हुई है। प्रारंभिक शिक्षा फारबिसगंज तथा अररिया में पूरी करने के बाद रेणु ने मैट्रिक नेपाल के विराटनगर के विराटनगर आदर्श विद्यालय से कोईराला परिवार में रहकर की। इन्होने इन्टरमीडिएट काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से 1942 में की जिसके बाद वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। बाद में 1950 में उन्होने नेपाली क्रांतिकारी आन्दोलन में भी हिस्सा लिया जिसके परिणामस्वरुप नेपाल में जनतंत्र की स्थापना हुई।
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