नीतीश ने मधुबनी को 1107 करोड़ की सौगात दी, प्रगति यात्रा में 1396 परियोजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को मधुबनी जिले में 1107 करोड़ रुपये की लागत वाली 139 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को मधुबनी जिले को 1107 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की सौगात दी। नीतीश ने रविवार को प्रगति यात्रा के दौरान मधुबनी जिले में 139 विकासात्मक योजनाओं का उद्घाटन, कार्यारंभ एवं शिलान्यास किया। इस यात्रा के क्रम में वह जिले के खुटौना प्रखंड के दुर्गीपट्टी गांव के वार्ड संख्या-14 में सक्षम आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण करने के बाद कहा कि बच्चों को ठीक से पढ़ाएं। साथ ही इनमें सीखने की कला विकसित करें। इस प्रकार से बच्चों को पढ़ाएं कि उनकी पढ़ाई में रूचि बढ़े ताकि वे बड़े होकर एक बेहतर नागरिक बन सकें। यही हमारी भावी पीढ़ी है जो राज्य और देश के भविष्य हैं।
सीएम नीतीश ने दुर्गीपट्टी में जीविका दीदियों एवं विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉल का अवलोकन करने के क्रम में अभियान बसेरा-2 के तहत कुल 926 बास भूमि विहीन परिवारों के बीच पर्चा एवं नवनियुक्त अमीनों को नियुक्ति पत्र वितरित किया। उन्होंने नारी शक्ति योजना का सांकेतिक चेक, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का सांकेतिक चेक, स्वस्थता पत्र, 23 हजार 861 जीविका स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी एक लाख 43 हजार 166 जीविका दीदियों को बैंक लिंकेज द्वारा आर्थिक सहयोग के लिए 260 करोड़ रुपये का सांकेतिक चेक, 5670 जीविका स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 28 हजार 350 जीविका दीदियों को सामुदायिक निवेश निधि के तहत 56 करोड़ 70 लाख रुपय़े का सांकेतिक चेक, 2875 सतत् जीविकोपार्जन योजना की लाभार्थी दीदियों को आर्थिक सहयोग के लिए 11 करोड़ 50 लाख रुपये का सांकेतिक चेक, दिव्यांगजनों को ट्राई साइकिल की चाबी, सतत् जीविकोपार्जन योजना अंतर्गत ई-रिक्शा की चाबी मुख्यमंत्री ने लाभुकों को प्रदान किया।
नीतीश कुमार ने स्टॉल निरीक्षण के क्रम में जीविका दीदियों से बातचीत के दौरान कहा, “बिहार में स्वयं सहायता समूहों की संख्या काफी कम थी। वर्ष 2005 में जब हमलोगों को बिहार में काम करने का मौका मिला, उसके बाद वर्ष 2006 में विश्व बैंक से कर्ज लेकर स्वयं सहायता समूहों की संख्या बढ़ानी शुरू की। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को ‘जीविका दीदी’ नाम हमने ही दिया। हम लोगों के काम से प्रेरित होकर उस समय की केंद्र सरकार ने इसका नाम ‘आजीविका’ दिया। हम जहां भी जाते हैं जीविका दीदियों से जरूर मिलते हैं। उनकी बातों को सुनते हैं और यदि उनकी कोई मांग या समस्या रहती है तो मौके पर मौजूद अधिकारी उन समस्याओं का समाधान भी करते हैं। स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर महिलाओं की स्थिति काफी अच्छी हुई है। वे तरह-तरह के व्यवसाय से जुड़ी हैं, जिससे उनकी अच्छी आमदनी हो रही है।”