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Flood In Bihar: बच्चों को भूखे सुला रहे, पशुओं के साथ रह रहे और शौच जाने तक की दिक्कत; बिहार के बाढ़ पीड़ितों का दर्द

Flood In Bihar: मंगली देवी ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या शौचालय की है। आखिर शौच करने कहां जाएं। तटबंध के दोनों तरफ पानी है। ऊपर लोगों की भीड़ दिन-रात रहती है। उसी तटबंध पर लोगों के बीच बेशर्म होकर शौच जाना पड़ता है।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, दरभंगाFri, 4 Oct 2024 07:05 AM
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Flood In Bihar: बिहार में बाढ़ से बेहाल लोगों की जिंदगी से जंग जारी है। पश्चिमी कोसी तटबंध पर शरण लिये लोग बेहाल हैं। भोजन व पानी के लिए तरस रहे हैं। बच्चे भोजन मांग रहे हैं तो परिजन पानी पिलाकर सुला देते हैं। वह भी बाढ़ का गाद भरा दूषित पानी। परिजन बेबस हैं। उनके पास खिलाने के लिए कुछ नहीं है। प्रशासनिक स्तर पर राहत का वितरण हो रहा है लेकिन इसका लाभ सभी लोगों तक नहीं पहुंच रहा है। हर दिन सुबह में राहत की उम्मीद जगती है जो दिन ढलने के साथ बुझने लगती है। पश्चिमी कोसी तटबंध पर शरण लिए तेतरी तरवाड़ा के गरीब सदा की पत्नी मंगली देवी ने गुरुवार को बताया कि तटबंध टूटते ही हम लोग जान बचाकर बांध पर आ गए। अनाज, कपड़े व अन्य सामान सब कुछ घर में ही छोड़ आए हैं। यहां राहत की कौन कहे, पानी तक देने वाला कोई नहीं है।

राहत वितरण के नाम पर खानापूरी

तटबंध पर शरण लिये भुवौल के मोहन पासवान ने कहा कि यहां दाने-दाने को तरस रहे हैं। राहत वितरण के नाम पर केवल खानापूरी की जा रही है। विस्थापितों में हाय-तौबा मची है। सरकारी व निजी संस्थाओं की ओर से दी जानेवाली राहत सामग्री सड़क किनारे रह रहे विस्थापितों में बांट दी जाती है। यहां तक कोई नहीं पहुंचता। कुबौल के रामचंद्र साहू ने कहा कि हमें यहां देखने वाला कोई नहीं है। हेलीकॉप्टर से आ रही राहत सामग्री हवा-हवाई हो गई। मंत्री व नेता भी आते हैं तो विस्थापितों से दुख-दर्द सुने बिना बगल से निकल जाते हैं।

पशुओं के साथ रहने को विवश हैं बाढ़ पीड़ित

पश्चिमी कोसी तटबंध पर सैकड़ों बाढ़ विस्थापित पशुओं के साथ खाने, सोने और रहने को विवश हैं। कोसी और कमला बलान तटबंधों पर यह नजारा आम है। पश्चिमी कोसी तटबंध पर शरण लिए छेदी मुखिया, जागेश्वर मुखिया, सुनीता देवी, उर्मिला देवी आदि ने कहा कि भुवौल के पास तटबंध टूटने के आधे घंटे के अंदर पानी ने उनके टोले को घेर लिया। हेलते-डूबते वे अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे। मचान के नीचे मेमना और बच्चों को सुलाती हूं ताकि वे जलीय जीवों से सुरक्षित रह सकें।

सबसे बड़ी समस्या शौच करने को लेकर

मंगली देवी ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या शौचालय की है। आखिर शौच करने कहां जाएं। तटबंध के दोनों तरफ पानी है। ऊपर लोगों की भीड़ दिन-रात रहती है। उसी तटबंध पर लोगों के बीच बेशर्म होकर शौच जाना पड़ता है। वह बताती हैं कि गंदगी के कारण बीमारियां फैलने की आशंका है। सरकार ने प्लास्टिक देकर छांव की व्यवस्था तो कर दी पर भोजन नहीं मिलने से बच्चों को भूखे सुलाना पड़ता है।

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