सारण में सरोवरों व तालाबों का खस्ताहाल, छठ व्रती होंगे परेशान
सारण में अस्तित्व खो रहे 75 सरोवर-तालाबों को मिला अमृतहर के राजेन्द्र सरोवर में फैला गंदगी न्यूमेरिक 18 प्रखंडों का योजना के लिये चयन पेज चार की लीड छपरा, नगर प्रतिनिधि। सारण जिले के सरोवरों व...
सारण में अस्तित्व खो रहे 75 सरोवर-तालाबों को मिला अमृत तालाबों को अमृत सरोवर का रूप देकर पर्यटक केंद्र के रूप में किया जा रहा विकसित फ़ोटो 14 शहर के राजेन्द्र सरोवर में फैला गंदगी न्यूमेरिक 18 प्रखंडों का योजना के लिये चयन पेज चार की लीड छपरा, नगर प्रतिनिधि। सारण जिले के सरोवरों व तालाबों का खस्ताहाल है। इस बार इनके जीर्णोद्धार की पहल नहीं की गयी तो छठ व्रती परेशान होंगे। जिला मुख्यालय के मध्य में स्थित शहर के राजेंद्र सरोवर की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। छठ जैसे पर्व पर भी श्रद्धालु इस सरोवर में स्नान करने से परहेज करते हैं। सरोवर के चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारी की उदासीनता के कारण यह सरोवर अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्षरत है। इस सरोवर के सौंदर्यीकरण पर काफी रुपए भी खर्च किए गए लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। पानी के अंधाधुंध दोहन से जमीन के जल स्तर में कमी आ रही है। सरकार ने ग्रामीण अंचलों के तालाबों को संवारने व लबालब भरने की पहल की है। धरती की सूखती कोख को नया जीवन भी अमृत सरोवर देंगे।अमृत सरोवर योजना के तहत जिले के तालाब सौंदर्यीकरण के लिए चिह्नित किए गए थे। इनमें बारिश की बूंदों को सहेजने और भूगर्भ जलस्तर बढ़ाने का भी इंतजाम किया जाएगा।।तालाब-पोखर का अस्तित्व खतरे में है। लोग इन पर अवैध कब्जे व अतिक्रमण कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव योजना के तहत तालाबों को अमृत सरोवर के रूप में विकसित करने की पहल की है। जिले में इसके तहत कुल 75 तालाबों का चयन हुआ था। 75 तालाबों पर काम शुरू करने के लिये एस्टीमेट बनाया गया था।।मनरेगा मजदूरों की मेहनत से इनका जीर्णोद्धार हुआ।जिले के विभिन्न गांवों में अवस्थित कई तालाब बदहाल स्थिति में हैं। गंदे पानी की निकासी का ये साधन बन गए हैं। या फिर कुछ तालाब अतिक्रमण का शिकार हो चुके हैं। प्राचीन काल में यह तालाब गांव की पहचान हुआ करती थी, लेकिन अब अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। तालाबों को पुराने स्वरूप में देखने के लिए ही सरकार की तरफ से योजना शुरू करते हुए तालाबों को विकसित किया जा रहा है। इन तालाबों को अमृत सरोवर का रूप देकर पर्यटक केंद्र के रूप में विकसित करना और जल संरक्षण करना ही मुख्य उद्देश्य है। सौंदर्यीकरण के लिए तालाबों की खुदाई करना, तालाब के किनारे पर बांध बनाना, पेड़-पौधे लगाने के साथ ही पशुओं के लिए भी पानी की व्यवस्था यहां की जाएगी। इन तालाबों का नाम शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखा जाएगा। एक एकड़ से अधिक में तालाब का निर्माण देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर जिले में 75-75 तालाब बनाने की घोषणा की थी। इसके तहत 75 पंचायतों में एक-एक तालाब बनाया गया है। इससे दिन प्रतिदिन गहराती जा रही पानी की समस्या से निदान मिलेगा। आजादी के 75 साल पूरा होने पर अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसके तहत सभी जिलों में 75 तालाब का निर्माण कराया गया है। सभी तालाब का निर्माण एक एकड़ से अधिक रकबा में हुआ है। जिले में अमृत सरोवर योजना के तहत एक एकड़ या इससे अधिक एरिया वाले सरकारी तालाबों का जीर्णोद्धार या नए तालाब का निर्माण कराया गया है। इसके निर्माण होने से भू जलस्तर बनने के साथ ही मछली पालन को बढ़ावा मिलेगा। मत्स्य पालन के इच्छुक किसान इन तालाब को पट्टा पर लेकर मछली पालन कर अपनी जीविका चला सकते है। वहीं किसान अपने खेतों का पटवन भी कर सकते हैं। 18 प्रखंडों की पंचायतों में योजना जिले के 20 प्रखंडों में से 18 प्रखंडों में अमृत सरोवर योजना की तैयारी जिला प्रशासन के स्तर पर की गई थी। इनमें सबसे अधिक जलालपुर में आठ अमृत सरोवर बने हैं। इसके अलावा परसा में सात लहलादपुर, बनियापुर रिविलगंज में छह- छह, मकेर, माझी, नगरा में पांच- पांच ,एकमा, इसुआपुर मशरख में चार- चार, दरियापुर , मढ़ौरा में तीन- तीन,छपरा सदर अमनौर, दिघवारा, गड़खा, पानापुर में दो- दो व तरैया में एक तालाब का निर्माण हुआ है। गड़खा में तीन में से एक तालाब का ही हो पाया जीर्णोद्धार फ़ोटो 6 अमृत महोत्सव के तहत गड़खा प्रखंड के महम्मदपुर तालाब में पर्याप्त मात्रा में है पानी गड़खा, एक संवाददाता। प्रखंड में अमृत महोत्सव सरोवर योजना की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत प्रखंड के तीन तालाबों को संजीवनी मिलनी थी। इन तालाबों को अमृत सरोवर के रूप में विकसित किया जाना था, लेकिन इस योजना के तहत प्रखंड में केवल एक तालाब का ही जीर्णोद्धार हो पाया। जानकारी के अनुसार महम्मदपुर, मीरपुर जुआरा और कोठेयां पंचायतों में तालाब की जमीन पर अमृत सरोवर विकसित करने का काम होना था, लेकिन केवल महम्मदपुर स्थित तालाब का ही जीर्णोद्धार हो पाया। जाहिर है कि मनरेगा के तहत होने वाले इस कार्य से इन तालाबों को इस तरह विकसित करना था कि वहां ग्रामीण घूम सकें। अमृत सरोवर योजना के तहत तालाबों के सुंदरीकरण के बाद हर समय उसमें कम से कम छह फीट पानी रहने, सरोवर को रमणिक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए छह मीटर पोल पर लाइट लगाए जाने, तालाब के चारों को पक्की सड़क बनाए जाने, सीढी बनाए जाने, बरसात के पानी को एकत्रित करने, गंदे पानी को तालाब में जाने से रोकने की व्यवस्था करनी थी। ग्राम पंचायतों द्वारा फल व छायादार पौधे भी लगाना था, लेकिन प्रशानिक उदासीनता के कारण मीरपुर जुआरा और कोठेयां में अब तक ऐसा नहीं हो सका। हालांकि इसके लिए जगह की कमी बताई गई। प्रखंड में एक अमृत सरोवर समेत कुल 102 पोखर व तालाब हैं। हालांकि इन पोखर व तालाबों में से कइयों की स्थिति दयनीय है। वैसे इन पोखर व तालाबों में फिलहाल पानी उपलब्ध है। अमृत सरोवर के तालाब व कई नदी में नहीं है पानी फोटो 3 मुरलीपुर शहनेवाजपुर छठघाट खदारा नदी में पानी कम व उपजे जंगल तरैया, एक संवाददाता। प्रखंड में अमृत सरोवर के तहत चार तालाब हैं जिसके सौंदर्यीकरण, जीर्णोद्धार व उड़ाही कार्य किया गया है। इनमें नारायणपुर पंचायत में एक, डुमरी में एक व चैनपुर पंचायत में दो है। इनमें चयनित चारों तालाब चैनपुर पंचायत के गलिमापुर वार्ड एक में नौ लाख 58 हजार 205 रुपये तो वार्ड पांच में छह लाख 92 हजार 195 रुपये व डुमरी पंचायत के हरपुर फरीदन वार्ड सात में आठ लाख 60 हजार और नारायणपुर में लगभग चार लाख 50 हजार रुपये की स्वीकृति से तालाब बने हैं। उक्त योजना के तहत एक एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले तालाबों का ही चयन किया गया है जिसमें गलीमापुर तालाब में कुछ मात्रा में पानी है तो वही चैनपुर स्थत तालाब में काफी पानी कम है । हरपुर फरीदन में पानी काफी कम है। नारायणपुर में भी पानी कम है जिसका पूर्णरूपेण सौंदर्यीकरण, जीर्णोद्धार व उड़ाही निर्माण नहीं होने का कारण जल संरक्षण नहीं हो पाया है। इन तालाबों पर छठ पूजा होती हैं । इन तालाबों में पानी कम रहने व गंदा रहने से के कारण छठ पूजा के दिन पव धारियों को परेशानी होगी। तरैया खदरा नदी व डबरा नदी में पानी काफी कम है ।इन नदी में तरैया बाजार,मुरलीपुर शहनेवाजपुर, बगही हरखपुर , कोरड़ गांव में छठघाट है। नदी में पानी कम रहने से दिक्कत होगी। भलुआ से चंचलिया महीनदी सूखी पड़ी है।इस में उक्त गांवो में कई जगहों पर छठघाट बने हुए हैं। पानी नही होने के कारण ग्रामीणों को कठिनाई होगी।ये नदियां कई गांवों में अपना अस्तित्व भी खो चुकी हैं। मढ़ौरा के अधिकतर तालाबों की स्थिति बेहतर नहीं फोटो 8 मढ़ौरा के रूपराहिमपुर बड़ा तालाब में उपजा झाड़ झंखाड़ व और थोड़ी दूर में बचा गंदा पानी मढ़ौरा, एक संवाददाता। मढ़ौरा के विभिन्न बड़े तालाब और अमृत सरोवरों की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है। हालांकि समय-समय पर इन तालाबों के जीर्णोद्धार के नाम पर मनरेगा के माध्यम से पंचायत स्तर पर लाखों रुपया खर्च किए गए लेकिन परिणाम आज भी वही ढाक के तीन पात जैसी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक मढ़ौरा प्रखंड के अंतर्गत लगभग 25 से 30 तालाब और जलाशय हैं जहां बरसात के बाद भी समुचित मात्रा में पानी का अभाव है। यहां के सभी तालाबों के किनारे झाड़ झंकार इतने उपज गए हैं कि छठ आदि के दौरान छठव्रती को यहां जाना काफी दूभर हो जाएगा। मढ़ौरा में करीब पांच अमृत सरोवर भी हैं जिसमें रामपुर,नरहरपुर, शिल्हौरी, आटा, भावलपुर का नाम शामिल है। इन अमृत सरोवरों के जीर्णोद्धार पर दो साल के अंदर मनरेगा से अमृत सरोवर योजना के तहत 12 से 18 लाख रुपए तक खर्च किये गये हंै लेकिन इस तालाब की न ढंग से उड़ाही हो पाई हैऔर न तालाबों के किनारे को सुंदर बनाया गया है। यहां कई ऐसे अमृत सरोवर हैं जिसमें इस बरसात के समय में भी पानी का अभाव दिख रहा है। कहीं-कहीं कुछ पानी तालाब की तलहटी में दिख भी रहा है तो वह भी इतना गंदा है की उसमे व्रतियों का उतरना तो दूर जानवरों को भी नहलाना और उसे पानी पिलाना मुश्किल है। लहलादपुर के दो अमृत सरावरों कर अभी भी काम बाकी लहलादपुर,एक संवाददाता। जनता बाजार के समीप स्थित सारण खास गांव के छठ व्रतियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इस गांव में गंडकी नदी पर बना पुल कुछ महीने पहले पानी की तेज धारा की वजह से गिर गया है। गिरने वाले पुल की जगह नया पुल बनाने के लिये खुदाई की गयी है। इस वजह से छठ पूजा वाले स्थान पर काफी मलबा जमा हो गया है। स्थानीय लोगों ने बताया की इस स्थान पर काफी लोग अघ्र्य देने जुटते है। प्रखंड के लगभग सभी तालाबों और सरोवरों में पानी भरा हुआ है। दयालपुर, सेंदुआर, पश्चिम टोला, कटेया, पुरुषोत्तमपुर, ताजपुर, बनपुरा आदि गांवो के तालाब, पोखरा आदि में पानी लबालब भरा हुआ है। कई पोखरों में घाट का निर्माण किया गया है। आंकड़ों पर गौर करें तो अमृत सरोवर में पांच जलाशय शामिल है। इनमें से तीन जलाशय पर काम पूरा हुआ है जबकि दो पर कुछ प्रतिशत काम किया गया है। हालांकि ये आंकड़े कागजी है। हकीकत में जमीनी स्तर पर कटेया के लोहिया भवन के समीप स्थित अमृत सरोवर में कई काम अब भी बाकी है। बसही पैक्स अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता आशुतोष अनल ने बताया कि बसही के पोखरों व घाटों की सफाई और मरम्मत ग्रामीण अपने स्तर से कर लेते हैं।
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