औषधीय गुणों से भरपूर है गंगा का जल, खत्म होते हैं विषाणु
कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता भू-जल भरण और आर्द्र जलवायु प्रदान करती है गंगा जलवायु परिवर्तन से लेकर भूमिगम जलस्तर के वृद्धि में भी गंगा सहायक फोटो 24 डोरीगंज में बहती गंगा नदी छपरा, नगर...
छपरा, नगर प्रतिनिधि। गंगा नदी विश्व भर में अपनी शुद्धीकरण क्षमता के कारण जानी जाती है। लम्बे समय से प्रचलित इसकी शुद्धीकरण की मान्यता का वैज्ञानिक आधार भी है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। साइंस के लिहाज़ से गंगा नदी का महत्व काफी है। गंगा जल में ऑक्सीजन सोखने की क्षमता होती है। गंगा जल में गंधक की मात्रा ज़्यादा होती है, जिससे यह लंबे समय तक खराब नहीं होता और इसमें कीड़े नहीं पनपते।गंगा जल में बैक्टीरियोफ़ेज नाम के जीव होते हैं, जो जल को प्रदूषित करने वाले विषाणुओं को नष्ट कर देते हैं। गंगा अपने उद्गम स्थल से लेकर मैदानों में आने तक प्राकृतिक स्थानों और वनस्पतियों से होकर बहती है, जिससे इसके पानी में औषधीय गुण आ जाते हैं। स्वच्छता व निर्मलता की प्रतीक पापनाशिनी मुक्तिदायिनी व जीवनदायिनी गंगा जहां हमारी पूजा, आस्था व भक्ति का आधार रही है, वही गंगा विज्ञान की दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण हैं। गंगा नदी के जल में कैल्शियम व मैग्नीशियम जैसे स्वास्थय लाभकारी खनिज पदार्थ पाये जाते हैं। गंगा नदी के पानी में प्राकृतिक रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो हानिकारण सूक्ष्म जीवों को नष्ट करने में उपयोगी होते हैं। एक रिसर्च में यह पाया गया कि गंगा जल में बीमारी पैदा करने वाले ईकोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता होती है। गंगा के पानी में मौजूद बैक्टीरियोफैज नामक वायरस की वजह से गंगा में स्वयं के शुद्धिकरण की क्षमता होती है। ऑक्सीजन की अत्यधिक मात्रा पानी की गुणवत्ता को लंबे समय तक बरकरार रखने में मददगार होती है। गंधक की अधिकता की वजह से गंगा का पानी लंबे समय तक खराब नहीं होता है। गंगा नदी में तलछट और जलीय पौधे प्राकृतिक फिल्टर के रूप में काम करते हैं। गंगा नदी के पानी में कई तरह के खनिज और जड़ी-बूटियों का असर होता है और इस वजह से गंगा के पानी में औषधीय गुण पाये जाते हैं। गंगा नदी के वैज्ञानिक तथा पर्यावरणीय महत्ता पर सारण जिले के कुछ विशेषज्ञों के विचार बीते कुछ वर्षों में गंगा नदी की जैव विविधता में वृद्धि फोटो डॉ रजनीश कुमार सिंह सर्वेक्षण में पाया गया है कि बीते कुछ वर्षों में गंगा नदी की जैव विविधता में वृद्धि हुई है, जो कि गंगा नदी के अच्छे स्वास्थ्य और गिरते प्रदूषण स्तर का प्रमुख घोतक है। इस सर्वेक्षण में गंगा नदी की सहायक नदियों को शामिल नहीं किया गया था।।ध्यातव्य है कि गंगा और इसकी सहायक नदियाँ भारत के 11 राज्यों से होकर बहती हैं और देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 26.3 प्रतिशत हिस्सा कवर करती हैं, किंतु गंगा नदी (जिसमें सहायक नदियाँ शामिल नहीं हैं) मुख्यतः पांच राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है। सर्वेक्षण के मुताबिक, लोगों के बीच यह गलत धारणा है कि गंगा में ऐसे कुछ क्षेत्र हैं जहां जैव विविधता नहीं है, जबकि अध्ययन में यह पाया गया है कि संपूर्ण गंगा नदी में जैव विविधता मौजूद है और तकरीबन 49 प्रतिशत हिस्से में जैव विविधता का स्तर काफी उच्च है। गंगा इस मामले में काफी धनी नदी मानी जाती है। डॉ रजनीश कुमार सिंह लेक्चरर, डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी जैव विविधता के लिहाज से गंगा का महत्व अहम फोटो डॉ भूपेंद्र प्रताप सिंह, गंगा नदी मानव जीवन के लिए जलीय जैव संरक्षण के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। गंगा नदी तथा गंगातटीय क्षेत्र मछलियों, चिड़ियों तथा दूसरे जानवरों का आश्रय स्थल है। मछलियों की 143 प्रजातियां (गंगीय शा्र्क, गंगेटिक स्टींग रे, गोल्डन महसीर, हिलसा, समेत अन्य), चिड़ियां की 177 प्रजातियां समेत घड़ियाल, डॉल्फिन, कई जीवभक्षी क्रोकोडाइल जैव विविधता के दृष्टिकोण से गंगा को धनी बनाती है। कुल मिलाकर तकरीबन दो हजार से अधिक जलीय जातियों का समूह गंगा नदी में उपलब्ध है। औद्योगिक अपशिष्ट, अत्यधिक कृषि रसायन का उपयोग, नदी पर बनने वाले बराज आदि गंगी की जैवविविधता को कमजोर कर रही है। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत सरकार के द्वारा गंगा नदी की पवित्रता एवं जैवविविधता के संरक्षण के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही है। सामाजिक चेतना जागृत कर प्रदूषणों के स्त्रोतों को रोककर वैज्ञानिक दृष्टि से गंगानदी की महत्वपूर्ण जैव विविधता को संरक्षित तथा प्राकृतिक संसाधनों का क्षय रोका जा सकता है। डॉ भूपेंद्र कुमार सिंह, प्रवक्ता, उच्च माध्यमिक विद्यालय, विशुनपुरा गंगा नदी का उपजाऊ विशाल मैदान भारतीय कृषि प्रणाली का आधार फोटो डॉ विनय प्रताप सिंह पर्यावरण के दृष्टिकोण से गंगा नदी का महत्व अहम है। गंगा नदी में पोषक तत्वों से भरपूर तलछट आता है, जिससे किनारे की मिट्टी उपजाऊ होती है। गंगा नदी से कृषि के लिए पानी मिलता है। गंगा नदी का उपजाऊ विशाल मैदान भारतीय कृषि प्रणाली का आधार है । वहीं पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने में भी मददगार है। गंगा नदी अपने बहाव क्षेत्र में उपजाए मिट्टी का निक्षेप करती है तो कृषि के साथ साथ वनावरण को भी बढ़ाती है। इसमें आने वाली बाढ़ इसके मैदानी क्षेत्र को उपजाऊ मिट्टी के साथ साथ भू-जल भरण और आर्द्र जलवायु प्रदान करती है। गंगा नदी के कछार में तरबूज़, खीरा, ककड़ी, खरबूज़, कद्दू, लौकी, तोरी जैसे फल और सब्ज़ियां उगाई जाती हैं। गंगा किनारे के किसान आर्थिक रूप से भी समृद्ध माने जाते हैं। गंगा किनारे बसे गांव व शहर धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक व पर्यावरणीय दृष्टि से काफी समृद्ध हैं। गंगा को निर्मल तथा अविरल बनाये रखने की हर किसी की नैतिक जिम्मेदारी है। डॉ विनय प्रताप सिंह प्राध्यापक भूगोल , जय गोविंद उच्च विद्यालय दिघवारा लोगों के लिए पानी का सबसे बड़ा संसाधन गंगा फ़ोटो डॉ मनोज कुमार सिंह गंगा नदी का पानी प्राकृतिक रूप से तेजी से शुद्ध होता है। उत्तर भारत के लोगों के लिए पानी का सबसे बड़ा संसाधन गंगा है। गंगा में पानी में हानिकारण बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफैज नामक वायरस होते हैं तो वाररस की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होकर उसे नष्ट कर देते हैं। गंगानदी के पानी में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की क्षमता होती है। एंटी बैक्टीरियल तत्व की प्रचूरता के कारण गंगा लोगों को सेहतमंद भी करती है। गंगा के जल में लाभकारी रेडियोधर्मी तत्व सूक्ष्म रूप से मौजूद रहते हैं। अनुसंधान के लिहाज से भी गंगा काफी महत्वपूर्ण है। हलांकि इन दिनों गंगा में बढ़ते प्रदूषण की वजह से गंगा का पानी भी काफी हद तक प्रदूषित हो चुका है। जलवायु परिवर्तन से लेकर भूमिगम जलस्तर के वृद्धि में भी गंगा सहायक है। गंगा अपनी लंबी पर्वतीय प्रवाह क्षेत्र में औषधिय गुणों से युक्त पौधों के संपर्क से प्रवाहित होती है, जिसके कारण जल में भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों की भरमार होती है। गंगा कृषि के लिए सिचाई, लाभदायक उपजाए जलोढ़ मिट्टी का उत्तम स्त्रोत है। गंगा किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है। डॉ मनोज कुमार सिंह, प्राध्यापक भूगोल विभाग , डॉ पी एन सिंह डिग्री कॉलेज
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