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बक्सर के किला मैदान में चल रहे विजयादशमी महोत्सव के छठे दिन रामलीला में अहिल्या उद्धार और पुष्प वाटिका के प्रसंग का मंचन किया गया। भगवान श्रीराम ने अहिल्या का उद्धार किया और जनकपुर जाकर सीता से मिले।...
अहिल्या उद्धार, पुष्प वाटिका व मीरा चरित्र का मंचन आकर्षित अहिरौली मार्ग में पत्थर बनी अहिल्या का किया श्रीराम ने उद्धार महर्षि विश्वामित्र सहित श्रीराम और लक्ष्मण पहुंचे जनकपुर धाम फोटो संख्या- 14, कैप्सन- किला मैदान में चल रहे रामलीला में राम-लक्ष्मण की वेशभूषा में कलाकार। बक्सर, निज संवाददाता। नगर के किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर चल रहे विजयादशमी महोत्सव के छठे दिन रामलीला में अहिल्या उद्धार और पुष्प वाटिका प्रसंग का मंचन किया गया। जिसमें दिखाया गया कि भगवान श्रीराम द्वारा ताड़का, मारिच और सुबाहु वध के पश्चात धर्म की स्थापना हुई। इसके बाद जनकपुर से सीता के स्वयंबर का निमंत्रण आने पर श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण व गुरुदेव विश्वामित्र के साथ जनकपुर चल पड़ते हैं। मार्ग में अहिरौली स्थित एक पत्थर की शिला बनी अहिल्या का चरण रज से उद्धार करते हैं। जनकपुर में राजा जनक तीनों सत्कार करते हैं। इसके बाद श्रीराम- लक्ष्मण जनकपुर भ्रमण करते हैं। इसके बाद दोनों भाई गुरुदेव के पास आते हैं। गुरुदेव पूजा के लिए पुष्प लाने का आदेश देते हैं। श्रीराम-लक्ष्मण पुष्प वाटिका में जाते हैं। जहां सीताजी से मिलन होता है। श्रीराम पुष्प लेकर गुरुदेव के पास लौटते हैं। इधर सीताजी मां गौरी पूजन कर पति के रूप में श्रीराम को पाने का वर मांगती है। इसके पूर्व दिन में कृष्णलीला के दौरान 'मीराबाई चरित्र का मंचन किया गया। जिसमें दिखाया गया कि राजस्थान के मेड़ता गांव में मीराबाई का जन्म होता है। मीरा के गांव में संत रैदास सत्संग करने आते हैं। मीरा अपनी मां के साथ सत्संग में जाती है। वहां गिरधर गोपाल की मूर्ति देख आकर्षित हो जाती है। वह बाबा से गोपाल की मूर्ति मांगती है। परन्तु बाबा मना कर देते हैं। मंचन के दौरान समिति के सचिव बैकुण्ठनाथ शर्मा, हरिशंकर गुप्ता, कृष्ण कुमार वर्मा, निर्मल कुमार गुप्ता, उदय कुमार सर्राफ (जोखन), राजकुमार गुप्ता, कमलेश्वर तिवारी, चिरंजी लाल चौधरी व नारायण राय थे। ------------ राजा भानू प्रताप के दृश्य का मंचन देख रोमांचित हुए लोग रामलीला राजा भानू प्रताप अपने महल में ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं राजाओं को गिरफ्तार कर राजपाट छीन लेने का आदेश देते हैं फोटो संख्या- 09, कैप्सन- चौसा बाजार में चल रहे रामलीला में राजा भानुप्रताप प्रसंग का मंचन करते कलाकार। चौसा, एक संवाददाता। स्थानीय नगर पंचायत के चौसा बाजार में स्थित रामलीला मंच पर रामलीला कमेटी के तत्वावधान में शुरू हुए रामलीला में बीती रात राजा भानू प्रताप सिंह की लीला का सफल मंचन किया गया। इसे देखने के लिए देर रात तक सैकड़ों की संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे डटे रहे। स्थानीय कलाकारों की बेहतरीन प्रस्तुति में यह दिखाया गया कि महाराज सीलनिधि अपने ज्येष्ठ पुत्र भानू प्रताप सिंह को अपना राज सिंहासन सौंप कर वन की ओर प्रस्थान कर जाते हैं। राज सिंहासन संभालते ही राजा भानू प्रताप अपने सेनापति को आसपास के अधर्मी और अत्याचारी राजाओं को गिरफ्तार कर राजपाट छीन लेने का आदेश देते हैं। आदेश मिलते ही सेनापति और उनके छोटे भाई कई राजाओं से युद्ध कर उनपर विजय प्राप्त कर लेते हैं। इस खुशी में राजा भानू प्रताप अपने महल में ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। इस भोज में ब्राह्मणों के वेष में राजा का विदुषक और उसका मंत्री भी शामिल हो जाता है और भोजन में मांस मिला देता है। इस दौरान जैसे ही ब्राह्मण भोजन शुरू करते हैं, उसी समय आकाशवाणी होती है कि वे इस भोजन को मत खाए, इसमे मांस मिला हुआ है। यह सुनकर ब्राह्मण भोजन नहीं करते हैं और राजा भानू प्रताप को श्राप दे देते हैं। बाद में पता चलने पर कि राजा का इसमे कोई दोष नहीं है, वे राजा को श्राप से मुक्त कर देते हैं। रामलीला के दौरान रामलीला कमेटी के संरक्षक बृजबिहारी सिंह, अध्यक्ष रविश कुमार जायसवाल और वार्ड पार्षद चंदन कुमार चौधरी थे।
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